Chhath Puja 2024 LIVE: छठ के तीसरे दिन 'संध्या अर्घ्य' का महत्व क्या है?, सूर्यास्त के समय नदी किनारे...
By संदीप दाहिमा | Published: November 7, 2024 02:05 PM2024-11-07T14:05:22+5:302024-11-07T14:08:24+5:30
Chhath Puja 2024 Day 3 Sandhya Arghya:
What is the significance of Sandhya Arghya on the third day of Chhath?: छठ पूजा का तीसरा दिन, जिसे संध्या अर्घ्य के रूप में जाना जाता है, छठ पर्व का एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन होता है। इस दिन श्रद्धालु सूर्य देव को अस्त होते समय अर्घ्य देकर उनकी उपासना करते हैं। यह विशेष रूप से सूर्य देव की आराधना, शक्ति, और जीवन के स्रोत के रूप में उनकी महत्ता को दर्शाता है। संध्या अर्घ्य का यह समय सूर्य देव को उनकी जीवनदायिनी ऊर्जा के लिए धन्यवाद देने और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करने के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है।
संध्या अर्घ्य का महत्व
सूर्योपासना: छठ पर्व के दौरान सूर्य की पूजा का खास महत्व है, क्योंकि सूर्य हमारे जीवन का प्रमुख ऊर्जा स्रोत हैं। उनकी आराधना करने से शक्ति, स्वास्थ्य और सकारात्मकता का प्रवाह होता है।
आरोग्यता और समृद्धि की कामना: संध्या अर्घ्य देकर लोग सूर्य देव से परिवार की खुशहाली, सुख-शांति और आरोग्यता की प्रार्थना करते हैं। मान्यता है कि सूर्य की कृपा से बीमारियाँ दूर होती हैं और जीवन में समृद्धि आती है।
प्रकृति का धन्यवाद: छठ पूजा प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करने का एक माध्यम है। सूर्य, जल, और पृथ्वी को धन्यवाद देने के साथ-साथ इस पूजा के द्वारा व्यक्ति प्रकृति की महत्ता को भी समझता है।
संध्या अर्घ्य की पूजा विधि
सजावट और तैयारी: व्रत रखने वाले घाट या नदी के किनारे पहुँचते हैं, जहाँ उन्होंने दिन के समय सूर्य को अर्घ्य देने के लिए पूरी तैयारी की होती है। अर्घ्य देने के लिए बाँस की टोकरियों में विभिन्न फलों, ठेकुआ, और गन्ने के टुकड़ों के साथ पूजा की जाती है।
अर्घ्य की सामग्री: पूजा की थाल में दीया, फल, सुपारी, नारियल, और फूल होते हैं। एक कलश या लोटा पानी से भरा होता है, जिसे सूर्य को अर्घ्य देने के लिए उपयोग किया जाता है।
अर्घ्य देने की विधि: सूर्यास्त के समय घाट पर जल में खड़े होकर व्रतधारी (प्रायः महिलाएँ) सूर्य की ओर मुख करके अर्घ्य देते हैं। यह अर्घ्य जल और दूध के मिश्रण से दिया जाता है। अर्घ्य देते समय भक्ति-भाव और सूर्य मंत्रों का उच्चारण किया जाता है।
भजन और कीर्तन: अर्घ्य देने के बाद, भक्तगण सूर्य देव के लिए भजन और कीर्तन करते हैं, जो इस अवसर की पवित्रता और आध्यात्मिकता को बढ़ाता है।
प्रसाद वितरण: अर्घ्य देने के बाद परिवार के सभी सदस्य मिलकर प्रसाद ग्रहण करते हैं और इसे दूसरों में भी बाँटते हैं।
संध्या अर्घ्य के अगले दिन, चौथे दिन प्रातः कालीन अर्घ्य दिया जाता है, जिससे छठ पूजा का समापन होता है।