बच्चा अगर शहर या देश से दूर जाकर पढ़ाई करे तो पेरेंट्स को सताती है इन बातों की चिंता
By गुलनीत कौर | Published: July 24, 2018 04:17 PM2018-07-24T16:17:31+5:302018-07-24T16:17:31+5:30
अपने शहर या देश से दूर जाकर कहीं और पढ़ाई करने से नए अनुभव सीखने को मिलते हैं। लाइफस्टाइल, स्वास्थ्य और दुनिया को समझने के नए अनुभव मिलते हैं।
अगर आपका बच्चा पहले से ही आपसे दूर किसी अन्य शहर में या विदेश में पढ़ाई कर रहा है या फिर ऐसा करने का विचार बना रहा है तो जाहिर है आपके दिमाग में कई बातें चल रही होंगी। जिस स्कूल या कॉलेज में वो पढ़ रहा है या पढ़ने के लिए जाने वाला है, वहां की पढ़ाई कैसी है, वातावरण कैसा है, इस सबके बारे में आप सोच रहे होंगे। घर से दूर जाकर पढ़ाई करने के क्या फायदे और नुकसान होते हैं, यह बच्चे और पेरेंट्स दोनों पर लागू होते हैं। आइए जानते हैं कैसे।
बच्चों के लिए फायदे और नुकसान:
फायदे-
1. स्वतंत्रता: अगर माता-पिता और बच्चों के बीच खास बनती ना हो, पेरेंट्स की तरफ से हर बात पर रोक-टोक होती हो तो जब बच्चे घर से दूर जाकर पढ़ाई करते हैं तो उन्हें स्वतन्त्र मिलती है। वे अपने हिसाब से पढ़ाई का समय, खाने-पीने और खेलने का समय चुनते हैं। अपने खाली समय में वे अपने मन मुताबिक काम करते हैं।
2. नए अनुभव: अपने शहर या देश से दूर जाकर कहीं और पढ़ाई करने से नए अनुभव सीखने को मिलते हैं। अपने लाइफस्टाइल को खुद ही संभालने, स्वास्थ्य से लेकर दुनिया को समझने और जांचने के नए अनुभव मिलते हैं। आप खुद अपने फैसले लेना सीखते हैं। जिम्मेदारी की एहसास भी आता है।
3. सोच में बदलाव: अगर संगत सही रहे तो बच्चा काफी कुछ नया और अच्छा सीखता है। जिन्दगी को किस राह पर ले जाएं ताकि सफलता हाथ लगे, उसे इन बातों की समझ होने लगती है। पैसे से लेकर आने वाले भविष्य को संवारने के प्लान भी बनाता है।
नुकसान-
1. घर की याद: अगर घर से बहुत दूर आ जाएं या फिर देश ही बदल लें तो पेरेंट्स, भाई-बहन की याद सताती है। अगर बीमार पड़ जाएं तो उस समय ज्यादा परेशानी होती है। कभी भी अचानक घर जाने का मन करना, ये ऐसे बच्चों के लिए साधारण बात होती है।
2. एडजस्ट करने में मुश्किल: नई जगह, नया स्कूल या कॉलेज, नया शहर, नया देश, इस सबको पहली बार में अपना लेना इतना आसान नहीं होता। कुछ समय के बाद ही आदत पड़ती है। और कुछ बच्चों को तो इसमें सालों तक लग जाते हैं।
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पेरेंट्स के लिए फायदे और नुकसान:
फायदे-
1. बच्चे जिम्मेदार बनते हैं: बच्चों का उम्र से पहले ही जिम्मेदार बन जाना, कितने पैसे कहा खर्च करने है और कितने बचाने है, इस सब का हिसाब आ जाना पेरेंट्स के लिए फायदेमंद ही होता है। इसमें ना केवल बच्चे का बल्कि पेरेंट्स का भी लाभ होता है। पेरेंट्स को इस बात की टेंशन नहीं होती कि बच्चा पैसा बर्बाद करेगा।
2. परिपक्वता: कुछ बच्चे जब घर से दूर रहते हैं तो वे समय से पहले परिपक्व भी हो जाते हैं। घर के पार्टी अपनी जिम्मेदारी को समझने लगते हैं। अपने फ्यूचर प्लान को साथ लेते हुए अपने पेरेंट्स के बारे में भी सोचते हैं।
नुकसान-
1. गलत संगत: अगर गलती से बच्चा बुरी संगत में पड़ जाए, गलत लोगों के साथ घूमने लगे तो उसे उस संगत से बाहर निकाल पाना मुश्किल हो जाता है। कई बार पेरेंट्स को अंदाजा भी नहीं होता कि उनका बच्चा क्या कर रहा है। ऐसे में सलाह दी जाती है कि पेरेंट्स को अपने बच्चे से बातचीत करते रहना चाहिए और उसकी दिनभर की रूटीन का पता लगाते रहना चाहिए।
2. कम्युनिकेशन गैप: फोन पर कितनी ही बातें क्यों ना कर लें, लेकिन कुछ समय के बाद पेरेंट्स और बच्चे के बीच बातों का फासला आ जाता है। कई बार यह देखा गया है कि बच्चे जब लंबे समय के बाद घर आते हैं तब भी पेरेंट्स से ज्यादा बात नहीं करते। अकेले रहते-रहते उन्हें खुद में खोये रहने की आदत हो जाती है। बस अपने टाइमपास की चीजों जैसे कि फोन, लैपटॉप, अन्य गैजेट्स में बिजी रहते हैं।