प्रभु श्री राम और माता सीता के वैवाहिक जीवन से लें प्रेरणा, बढ़ता है पति-पत्नी में प्यार
By मेघना वर्मा | Published: July 31, 2020 08:39 AM2020-07-31T08:39:00+5:302020-07-31T08:39:00+5:30
जीवन को सफल बनाने और विवाह को सफल बनाने के लिए आप रामायण से प्रेरणा ले सकते हैं।
भगवान श्रीराम और माता सीता के वैवाहिक जीवन से बहुत सारी ऐसी बातें हैं जिन्हें अपनाकर दंपत्ती खुश रह सकते हैं। सुखी गृहस्थ जीवन पाने की कामना हर किसी को होती है। हिन्दू धर्म के पवित्र धार्मिक ग्रन्थ रामायण में सफल गृहस्थ जीवन के कई रहस्य छिपे हैं।
जीवन को सफल बनाने और विवाह को सफल बनाने के लिए आप रामायण से प्रेरणा ले सकते हैं। हां, माता सीता और श्री राम के 14 साल वनवास वाले जीवन में भी कुछ ऐसी बातें थीं जो आपको सफल विवाह के लिए सीख लेनी चाहिए।
माता जानकी और श्री राम के जीवन से प्रभावित होकर, उनके कुछ पद चिन्हों पर चलकर आप भी अपने परिवार और गृहस्थ जीवन को खुशहाल बना सकते हैं। आइए आपको बताते हैं कैसे भगवान और राम और माता सीता ने अपने वैवाहिक जीवन को सफल बनाया था-
1. भगवान श्रीराम ने की मिसाल पेश
वैवाहिक जीवन की शुरुआत में ही भगवान राम ने एक मिसाल पेश की थी। उन्होंने अपनी पत्नी सीता को शादी के बाद ये वचन दिया था कि अन्य राजाओं की तरह वे एक से अधिक विवाह नहीं करेंगे। उन्होंने माता सीता से कहा था कि वो जीवन भर केवल उन्हीं के प्रति निष्ठावान रहेंगे।
2. दिया बराबर का हक
विवाह के ठीक बाद प्रभु श्रीराम ने माता सीता को बराबर का हक दिया। जो वादा उन्होंने अपनी पत्नी से किया उसे हमेशा निभाया। कभी अपनी पत्नी को जीवन में कमतर नहीं आंका। कोई भी बड़े-छोटे निर्णय में माता सीता की सलाह जरूर ली।
3. ठहर गया श्री राम का जीवन
पति-पत्नी को हमेशा एक माना जाता है। भले ही दो अलग शरीर हों मगर इनकी आत्मा एक ही मानी जाती है। अगर किसी भी तरह दोनों का अलगाव हुआ तो उनका जीवन रुक-सा जाता है। कुछ ऐसा ही हुआ श्रीराम और माता सीता के बीच। सीता हरण के बाद दोनों का जीवन मानो ठहर गया था।
4. अपनाए साथी के गुण
वैवाहिक जीवन में पती-पत्नी को एक-दूसरों के गुणों को समझना और अपनाना भी जरूरी है। प्रेम, सेवा, उदारता, समर्पण, स्त्रियों के इन गुणों को समय के साथ पतियों को अपनाना चाहिए। यह दोनों को सफल वैवाहिक जीवन की ओर ले जाता है।
5. आपसी मतभेद हो कम
वैवाहिक जीवन में जो नियम और क़ानून पत्नी पर लागू होते है, उन्हें पति पर भी यदि लागू किया जाए तो दोनों एक ही धारा पर चलते हैं। इससे आपसी मतभेद कम होते हैं और प्यार भी बना रहता है।