International Family Day 2020: तो इस वजह से पहली बार मनाया गया था इंटरनेशनल फैमिली डे, इस साल की थीम है खास-जानें यहां
By मेघना वर्मा | Published: May 15, 2020 12:05 PM2020-05-15T12:05:09+5:302020-05-15T12:05:09+5:30
परिवार, समाज की मूल ईकाई मानी जाती है। किसी भी समाज की कल्पना बिना परिवार के नहीं की जा सकती।
कहते हैं मुसीबत जैसी भी हो अगर आपका परिवार आपके साथ है तो हर तरह की मुसीबत से आपको छुटकारा मिल सकता है। इसी संयुक्त परिवार के प्रति लोगों को जागरुक करने और इसका महत्व बताने के लिए हर साल 15 मई यानी आज के दिन अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया जाता है। मदर्स डे के बाद ये खास मौका होता है परिवार के साथ समय बिताने का।
परिवार, समाज की मूल ईकाई मानी जाती है। किसी भी समाज की कल्पना बिना परिवार के नहीं की जा सकती। इंटनेशनल फैमिली डे मनाने की शुरुआत कहां से हुई क्यों हुई और क्या है इसमें खास आइए हम बताते हैं आपको-
1993 में हुई थी घोषणा
संयुक्त परिवार का महत्व बताने के लिए साल 1993 में संयुक्त राष्ट्र जनरल एसेंबली ने परिवार दिवस मनाने की घोषणा की थी। परिवार दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य परिवार संबधित मुद्दों के बारे में जागरुकता फैलाने, वैश्विक समुदाय परिवारों को जोड़ने और जनसंख्यिकीय और सामाजिक प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी देने के लिए था।
परिवार दिवस को हर साल किसी ना किसी थीम पर मनाया जाता है। 1996 में परिवार दिवस की थीम परिवार-गरीबी और बेघरता के पहले पीड़ित थीम थी। वहीं साल 2020 में परिवार दिवस की थीम है परिवार और जलवायु संबंध है। बता दें साल 1996 में संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ने हर साल थीम पर इंटरनेशनल फैमिली डे सेलिब्रेट करने की अनुशंसा की।
परिवार दिवस मनाने की ये है वजह
वर्तमान समय में संयुक्त परिवार तेजी से कम हो रहे हैं। इसी विघटन को कम करने और लोगों को परिवार के प्रति जागरूक करने के लिए हर साल इंटरनेशनल फैमिली डे मनाया जाता है। एक संयुक्त परिवार से उन्नति के रास्ते खुलते हैं। अकेलेपन से आपकी गति धीमी रह जाती है। फैमिली दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य युवाओं को परिवार के प्रति जागरुक करना है।
ऐसा है सिम्बल
अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस के सिम्बल की बात करें तो यह एक हरे रंग का गोल घेरा है जिसके अंदर एक घर बना हुआ है। इसमें एक दिल बना हुआ है। ये समाज का केंद्र यानि परिवार को दर्शाता है। यह दर्शाता है कि परिवार के बिना समाज अधूरा है।