मोदी सरकार पर यशवंत सिन्हा ने साधा निशाना, "दोस्तों" समेत आडवाणी और जोशी से की "राष्ट्रहित" में खुलकर बोलने की अपील
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: April 17, 2018 11:49 AM2018-04-17T11:49:20+5:302018-04-17T14:53:47+5:30
बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा ने बीजेपी सांसदों के साथ ही लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी से भी राष्ट्रहित में खुलकर बोलने की अपील की है।
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता और देश के पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने अपने "दोस्तों" को ओपेन लेटर लिखकर देश की मौजूदा स्थिति पर आवाज उठाने की माँग की है। इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित पत्र में सिन्हा ने लिखा है, "हम सब ने साल 2014 के लोक सभा चुनाव में पार्टी को जीत दिलाने के लिए कड़ी मेहनत की थी। हम में से कइयों ने साल 2004 से ही संसद के अंदर और बाहर यूपीए सरकार के खिलाफ संघर्ष किया,जबकि कुछ लोग अपने-अपने राज्यों में सत्ता सुख का मजा ले रहे थे।"
यशवंत सिन्हा ने लिखा है, "हम लोग 2014 के चुनावों के नतीजों से बहुत खुश थे। हमें उम्मीद थी कि इस अभूतपूर्व जीत से हमारे देश के इतिहास का नया और गौरवशाली अध्याय शुरू होगा। हमने अपने प्रधानमंत्री और उनकी टीम को पूरे भरोसे और ताकत से सहयोग दिया। अब सरकार चार साल पूरे कर चुकी है, पाँच बज़ट पेश कर चुकी है और परिणाम देने के सभी अवसरों का उपयोग कर चुकी है। लेकिन अंतिम परिणाम ये हुआ कि हम रास्ता भटक गये और वोटरों का भरोसा खो चुके हैं।"
यशवंत सिन्हा ने अपने पत्र में देश की आर्थिक स्थिति को खस्ताहाल बताया है। नॉन-पर्मफॉर्मिंग एसेट का मुद्दा उठाते हुए सिन्हा ने लिखा है, "तेजी से विकसित होती अर्थव्यस्था में बैंकों के नॉन-पर्मफॉर्मिंग एसेट इतनी तेजी से नहीं बढ़ते जितने पिछले चार साल में बढ़े हैं।" तेजी से विकसित होती अर्थव्यवस्ता में किसान बदहाल नहीं होते, नौजवान बेरोगजार नहीं होते, छोटे व्यापारी बर्बाद नहीं हो जाते और बचत और निवेश उस निचले स्तर पर नहीं आ जाते जिस स्तर पर पिछले चार सालों में आ गये हैं।
यशवंत सिन्हा ने भ्रष्टाचार का भी मुद्दा उठाया है। सिन्हा ने लिखा है, "...सबसे बुरा ये हुआ है कि भ्रष्टाचार और बैंक घोटालों ने फिर से सिर उठा लिया है और एक के बाद एक मामले सामने आते जा रहे हैं। घोटालेबाज किसी न किसी तरह देश से भगाने में कामयाब हो जा रहे हैं और सरकार बेबस हालत में देखती रह जा रही है।"
यशवंत सिन्हा ने महिलाओं की सुरक्षा का मुद्दा भी उठाया है। सिन्हा ने लिखा है, "बलात्कार अब रोजमर्रा की बात होती जा रही है। बलात्कारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के बजाय हम उनका बचाव करते नजर आ रहे हैं। कई मामलों में हमारे अपने ही लोग इन जघन्य अपराधों में शामिल हैं।"
यशवंत सिन्हा ने अल्पसंख्यक, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का मुद्दा भी उठाया है। सिन्हा ने लिखा है कि अल्पसंख्यक समाज के हाशिये पर धकेले जा रहे हैं और दलितों और आदिवासियों की हालत और भी खराब है। सिन्हा ने कहा है कि आज समाज का गरीब और वंचित तबका असमानता और उत्पीड़न झेल रहा है।
सिन्हा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश दौरों पर भी कटाक्ष किया है। पीएम मोदी इस समय स्वीडन और ब्रिटेन के तीन दिवसीय दौरे पर हैं। सिन्हा ने लिखा है, "हमारी विदेश नीति का कुल निचोड़ है, हमारे पीएम का अक्सर विदेश जाना और विदेशी मेहमानों को गले लगाना, चाहे उन्हें पसंद हो या न हो। ये पूरी तरह विफल साबित हो रही है, यहां तक कि हमारे पड़ोस तक में, जहाँ चीन ने अपने हितों का जाल बिछा दिया है।"
यशवंत सिन्हा ने आरोप लगाया है कि बीजेपी के अंदर लोकतंत्र पूरी तरह खत्म हो चुका है। सिन्हा ने लिखा है, "दोस्तों ने मुझे बताया कि संसदीय पार्टी की बैठक में भी सांसदों को अपने विचार रकने का मौका नहीं मिलता। दूसरी पार्टी मीटिंग में भी एकतरफा संवाद होता है। वो बोलते हैं और आप सुनते हैं। प्रधानमंत्री के पास आपके लिए समय नहीं है। पार्टी हेडक्वार्टर कॉर्पोरेट ऑफिस में तब्दील हो चुका है जिसमें सीईओ से मिलना असंभव है। "
यशवंत सिन्हा ने लिखा है कि पिछले चार सालों में लोकतंत्र की संस्थाओं को कमजोर किया गया है और उन्हें नीचा दिखाया गया है। सिन्हा ने लिखा है, "संसद मजाक में बदल चुकी है। जब बज़ट सत्रम में व्यवधान हुआ तो समाधान खोजने के लिए प्रधानमंत्री एक बार भी विपक्षी सासंदों के साथ नहीं बैठे। उसके बाद दूसरों पर दोष मढ़ने के लिए उन्होंने उपवास रखा।" यशवंत सिन्हा ने लिखा है कि अटल बिहारी सरकार में उन सभी को विपक्ष के साथ मिलकर सदन चलाने का कड़ा निर्देश था। सिन्हा ने सुप्रीम कोर्ट के चार न्यायधीशों द्वारा उठाए गये सवाल को भारत के न्यायतंत्र में उत्पन्न हो रही सड़ांध का परिचायक बताया है।
सिन्हा ने आरोप लगाया है बीजेपी को संचार माध्यमों, खासकर मीडिया और सोशल मीडिया पर नियंत्रण करके चुनाव जीतना चाहती है। सिन्हा ने "दोस्तों" को आगामी लोक सभा चुनाव के टिकट वितरण के लिए भी आगाह किया है। सिन्हा ने लिखा है, "मुझे नहीं पता कि आप में कितनों को अगले लोक सभा चुनाव में टिकट मिलेगा। अगर पिछले अनुभव को देखें तो आप में से आधों को टिकट नहीं मिलेगा। टिकट मिल भी जाए तो आपका चुनाव जीतना मुश्किल है। पिछले लोक सभा चुनाव में बीजेपी को कुल मतदान का केवल 31 प्रतिशत वोट मिला था, 69 प्रतिशत वोट उसके खिलाफ गया था। इसलिए, अगर विपक्ष एकजुट हो गया तो आप कहीं नजर नहीं आएगा।"
यशवंत सिन्हा ने लिखा है, "परिस्थिति की माँग है कि आप राष्ट्रहित में बोलें। मुझे ये जानकर खुशी हुई कि पार्टी के कम से कम पांच अनसूचित जाति के सांसदों ने सरकार के प्रति अपनी नाराजगी जाहिर की है...मैं आप सबसे अनुरोध करता हूँ कि आप अपने बॉस से इन मुद्दों पर खुलकर बात करें। अगर आप चुप रहे तो देश का अहित करेंगे....मैं आडवाणीजी और जोशीजी से भी राष्ट्रहित में खड़े होने की अपील करूँगा।" यशवंत सिन्हा ने लिखा है कि सरकार को कुछ छोटी सफलताएँ मिली हैं लेकिन ज्यादातर मामलों में वो विफल साबित हुई है। यशवंत सिन्हा इससे पहले भी खुला पत्र लिखकर नरेंद्र मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर सवाल उठा चुके हैं। तब सिन्हा ने वित्त मंत्री अरुण जेटली पर निशाना साधते हुए देश की मौजूदा अर्थव्यवस्था की हालत खराब बतायी थी।