राज्यपाल धनखड़ और ममता बनर्जी में ठनी, सीएम बोलीं- संविधान का पालन नहीं कर रहे हैं, पीएम और गृह मंत्रालय का अनुसरण नहीं करते
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 16, 2020 07:19 PM2020-07-16T19:19:27+5:302020-07-16T19:34:57+5:30
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बैठक में नहीं आने पर राज्यपाल द्वारा स्पष्टीकरण मांगे जाने पर कहा कि हम कुलपतियों का सम्मान करते हैं, उन्हें हमारा 100 प्रतिशत समर्थन है। राज्यपाल को आरोप साबित करना होगा या वह पद पर बने रहने की विश्वसनीयता गंवा देंगे।
कोलकाताः पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जगदीप धनखड़ द्वारा राज्य की शिक्षा व्यवस्था की आलोचना करने पर कहा कि एक राज्यपाल राजनीतिक दल की तरह बात नहीं कर सकता।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बैठक में नहीं आने पर राज्यपाल द्वारा स्पष्टीकरण मांगे जाने पर कहा कि हम कुलपतियों का सम्मान करते हैं, उन्हें हमारा 100 प्रतिशत समर्थन है। राज्यपाल को आरोप साबित करना होगा या वह पद पर बने रहने की विश्वसनीयता गंवा देंगे।
भाजपा विधायक डी एन राय की हत्या ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ के तहत हुई, इस दावे पर ममता ने यह टिप्पणी की। वह संविधान का पालन नहीं कर रहे हैं, प्रधानमंत्री और गृह मंत्रालय का अनुसरण नहीं कर रहे हैं। जगदीप धनखड़ के आरोपों पर ममता बनर्जी ने कहा ने कहा कि हम राज्यपाल के साथ नियमित संपर्क में हैं , मैंने कल उनसे चार बार बात की।
राज्य की शिक्षा प्रणाली ‘राजनीतिक रूप से बंदी’ : पश्चिम बंगाल के राज्यपाल
कोलकाता, 16 जुलाई (भाषा) राज्यपाल जगदीप धनखड़ द्वारा बुधवार को बुलाई गई डिजिटल बैठक में राज्य के अधिकतर विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के नहीं पहुंचने के एक दिन बाद नाराजगी जताते हुए उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में शिक्षा व्यवस्था ‘राजनीतिक पिंजरे में बंद’ है। धनखड़ ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वह बैठक के संबंध में उनके पत्र की अनदेखी कर अनुपस्थित रहने वाले कुलपतियों से स्पष्टीकरण मांगेंगे। उनका यह चेतावनी भरा कदम राज्य सरकार के साथ उनके एक और टकराव का सबब बन सकता है।
कोविड-19 महामारी के बीच शैक्षणिक स्थिति पर चर्चा के लिये राज्यपाल द्वारा बुलाए गए डिजिटल सम्मेलन में सिर्फ एक कुलपति ने हिस्सा लिया। राज्यपाल प्रदेश के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति भी होते हैं। धनखड़ ने कहा कि वह अनुपस्थित रहने वाले कुलपतियों से महामारी के कारण छात्रों के सामने पेश आ रही शैक्षणिक समस्याओं पर भी जानकारी मांगेंगे। संभवत: अधिकतर कुलपतियों के अनुपस्थित रहने के संदर्भ में उन्होंने कहा, “मैं पश्चिम बंगाल के शिक्षा परिदृश्य में इस राजनीतिक रूपी पिजड़े की जकड़न को बढ़ता हुआ देख रहा हूं।”
उन्होंने कहा, “कुलपतियों की डिजिटल बैठक बुलाकर मैं विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के सामने आ रही समस्याओं का हल करना चाहता था, जिसका उन्होंने पुरजोर विरोध किया और कारण सभी जानते हैं।” राज्यपाल के साथ अक्सर गतिरोध के बीच पश्चिम बंगाल सरकार ने हाल में विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के तौर पर राज्यपाल की शक्तियों से संबंधित प्रासंगिक नियमों में संशोधन किया है। नये नियमों से विश्वविद्यालयों के कामकाज में राज्यपाल की भूमिका व्यापक रूप से कम हुई है। नए नियमों के तहत राज्यपाल और विश्वविद्यालयों के बीच होने वाले सभी संवाद उच्च शिक्षा विभाग के जरिये होंगे।
बैठक में कुलपतियों की गैरमौजूदगी पर नाराजगी जाहिर करते हुए धनखड़ ने कहा, “क्या शिक्षा विभाग और कुलपति खुद यह घोषणा कर सकते हैं कि वे कुलाधिपति की बात नहीं मानेंगे? क्या वे जवाबदेह नहीं हैं? वे कब जवाबदेह बनेंगे?” उन्होंने हालांकि कुलपतियों की अनुपस्थिति के लिये राज्य सरकार पर आरोप लगाया। कुलपतियों के मामले में “अत्याधिक संयम” दिखाने पर जोर देते हुए धनखड़ ने कहा कि उन्हें वे “अपना परिवार” मानते हैं और आरोप लगाया, “यह अपरिहार्य स्थिति राज्य सरकार द्वारा बनाई गई थी।”