कोलकाताः कोरोना वायरस को लेकर पूरा देश 3 मई तक के लिए लॉकडाउन है और हर राज्य अपने-अपने स्तर से इस घातक वायरस से लड़ाई लड़ रहा है। हालांकि लॉकडाउन के कार्यान्वयन और कुछ क्षेत्रों में उल्लंघन की खबरों का आकलन करने के लिए केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल में एक दल भेजा है, जिसको लेकर तृणमूल कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति जताई है।
समाचार एजेंसई एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, टीएमस नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा, 'हम पीएम और गृह मंत्री से पूछना चाहते हैं कि वे कौन से पैरामीटर थे जिनके द्वारा राज्यों का चयन किया गया है (केंद्रीय टीम भेजने के लिए राज्यों का चयन)। इनको चुनने के लिए क्या मापदंड है? जिन 6 राज्यों में से 5 को चुना गया है, उनमें से विपक्षी राज्य हैं।'
केंद्र सरकार की ओर से भेजे गए दल को लेकर उन्होंने कहा, 'कोई भी व्यक्ति जो पश्चिम बंगाल में लोगों की मदद और हमारे द्वारा की गई पहलों को बेहतर बनाने के लिए आना चाहता है तो उसका स्वागत है। लेकिन यह एक प्रक्रिया के माध्यम से होना है। यदि आप इसका पालन नहीं करते हैं, तो चीजें और कठिन हो जाएंगी।'
केंद्र सरकार ने कहा है कि मुंबई, पुणे, इंदौर, जयपुर, कोलकाता और पश्चिम बंगाल के कुछ अन्य स्थानों पर कोविड-19 को लेकर हालात 'खासतौर पर गंभीर' हैं और लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन करने से नोवेल कोरोना वायरस और फैल सकता है।
महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और राजस्थान को रविवार को जारी एक समान आदेशों में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि अग्रिम मोर्चे पर काम कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों पर हिंसा, सामाजिक दूरी बनाने के नियमों की अवहेलना तथा शहरी क्षेत्रों में वाहनों की आवाजाही के कई मामले देखे गए हैं। एक केंद्रीय दल सोमवार को कोलकाता पहुंचा, वहीं दूसरा जलपाईगुड़ी पहुंचा।
बनर्जी ने कहा कि केंद्र सरकार ने किस आधार पर इन दलों को भेजा है, यह अस्पष्ट है। मुझे विश्वास है कि आप इस बात से सहमत होंगे कि केंद्र सरकार की ओर से इस तरह की एकपक्षीय कार्रवाई कदापि अपेक्षित नहीं है, खासतौर पर उस समय बिल्कुल नहीं जब केंद्र और राज्य सरकारें दोनों कोविड-19 के संकट से निपटने के लिए 24 घंटे मिलकर अथक काम कर रही हैं।