क्या राज्यसभा में तीन तलाक विधेयक पारित करा पाएगी बीजेपी? ये है समीकरण
By रंगनाथ | Published: December 29, 2017 02:47 PM2017-12-29T14:47:22+5:302017-12-29T16:23:22+5:30
मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2017 गुरुवार (28 दिसंबर) को लोक सभा में पारित हुआ।
संसद के शीतकालीन सत्र में गुरुवार (28 दिसंबर) को लोकसभा में तलाक-ए-बिद्दत को आपराधिक कृत्य बनाने वाला विधेयक पारित हो गया। देश के कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इसे "भारत के लिए ऐतिहासिक दिन" बताया। लोक सभा में विधेयक पेश करने वाले प्रसाद ने कहा कि मोदी सरकार वोटबैंक की राजनीति के लिए ये विधेयक नहीं लायी है बल्कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीन तलाक को गैर-कानूनी घोषित किए जाने के बाद ये फैसला लिया। लोक सभा में सत्ताधारी बीजेपी गठबंधन के प्रचंड बहुमत के मद्देनजर निम्न सदन में किसी भी विधेयक को पारित कराना इस सरकार के लिए बाएं हाथ का खेल रहा है। पिछले तीन सालों में नरेंद्र मोदी सरकार की अग्निपरीक्षा राज्यसभा में ही हुई है। राज्यसभा में बीजेपी गठबंधन (एनडीए) के अल्पमत में होने के कारण सरकार कई बार अध्यादेश के सहारे कानून लागू करती रही है।
तो क्या मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2017 भी राज्य सभा में आसानी से पारित हो पाएगा? आइए देखते हैं प्रमुख राजनीतिक दलों की इस विधेयक पर राय और उच्च सदन में बहुमत का मौजूदा गणित क्या है।
राज्य सभा में कुल 245 सीटें हैं। राज्य सभा की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार 29 दिसंबर 2017 तक उच्च सदन की सात सीटें रिक्त हैं। यानी इस वक्त सदन में 238 सांसद हैं। अगर सभी सांसद मतदान के दौरान मौजूद रहते हैं तो सरकार को तीन तलाक विधेयक पारित कराने के लिए कम से कम 120 सांसदों के समर्थन की जरूरत होगी। एनडीए (जदयू समेत) के पास राज्य सभा में इस समय 86 सांसद हैं। तीन तलाक विधेयक पारित कराने के लिए उसे 34 और सांसदों का समर्थन चाहिए होगा। (सबसे आखिर में दी गयी तालिका में देखें राज्य सभा में विभिन्न दलों की स्थिति)
नरेंद्र मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ी राहत की बात ये है कि तीन प्रमुख विपक्षी दलों कांग्रेस (57), सीपीएम (7) और एनसीपी(5) ने तीन तलाक विधेयक पर सरकार का समर्थन किया है। हालांकि ये तीनों ही दल लोक सभा में पारित विधेयक के मसौदे से कई प्रावधान पर असहमत हैं। कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने मौजूदा विधेयक में 19 संशोधन सुझाए जिसे लोक सभा में ध्वनिमत से खारिज कर दिया गया। लेकिन राज्य सभा में बीजेपी को कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों के सुझाए संशोधन पर बीच का रास्ता निकालना होगा। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस विधेयक को संसदीय सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग की जिसे सरकार ने अस्वीकार कर दिया। लेकिन राज्य सभा में कांग्रेस सरकार पर ज्यादा दबाव बनाने की स्थिति में होगी। अगर बीजेपी विपक्ष द्वारा सुझाए 19 संशोधनों पर सहमति बनाने पर कामयाब हो गयी तो राज्य सभा में उसकी राह थोड़ी और आसान हो जाएगी।
बीजू जनता दल (8), तृणमूल कांग्रेस (12), एआईएडीएमके(13) ने लोक सभा में विधेयक का विरोध किया लेकिन ये पार्टियां मतदान में शामिल नहीं हुईं। अगर राज्य सभा मेंं भी ये दल यही रुख अपनाते हैं तो मोदी सरकार की मुश्किल थोड़ी आसान हो जाएगी। सदन में उपस्थित सांसदों की संख्या कम हो जाने का लाभ सत्ताधारी दल को मिलेगा और साधारण बहुमत पाने के लिए उसे 100 से भी कम सांसदों के वोटों की जरूरत होगी। इन सभी दलों को भी विधेयक के कुछ प्रावधानों को लेकर आपत्ति है। अगर बीजेपी इन दलों को मनाने या परस्पर सहमति वाले बिंदू तलाशने में कामयाब हो गयी तो ये दल उसेक पक्ष में भी वोट दे सकते हैं। खासकर बीजद और एआईएडीएमके। ये दोनों ही दल पहले भी राज्य सभा में मोदी सरकार के कई विधेयकों की नैया पार कराने में मदद कर चुके हैं।
जिन दलों ने लोक सभा में मतदान में हिस्सा लेकर तीन तलाक विधेयक के खिलाफ मतदान किया उनमें सबसे प्रमुख हैं राष्ट्रीय जनता दल (3), एआईएमएल(1) और एआईएमआईएम (0) ने मतदान में हिस्सा लिया और विधेयक के खिलाफ वोट किया। ओवैसी ने लोक सभा में विधयेक में तीन संशोधन पेश किये थे जो खारिज हो गये। इन तीनों दलों की राज्य सभा में ऐसी हैसियत नहीं कि वो बीजेपी का खेल तभी खराब कर सकेंगे जब इन्हें कांग्रेस, एआईएडीएमके, एआईटीसी इत्यादि का समर्थन मिलेगा।
क्या है तीन तलाक विधेयक का विवादित प्रावधान?
लोक सभा में पारित तीन तलाक विधेयक में एक बार में तीन बार तलाक बोलने को अपराध बनाया गया है जिसके लिए तीन साल तक जेल और जुर्माना या दोनों का प्रावधान है। कई विपक्षी दलों को सजा के प्रावधान पर ऐतराज है। इस विधेयक से पहले तलाक सिविल मामला रहा है। अगर ये विधेयक पारित हो गया तो तलाक-ए-बिद्दत क्रिमिनल मामला हो जाएगा। प्रस्तावित विधेयक में फोन, एमएमएस, चिट्ठी, ईमेल इत्यादि तरीकों से तलाक पर भी रोक लगायी है।
तीन तलाक पर विपक्ष की आपत्ति
कांग्रेस ने सरकार से पूछा कि अगर एक बार में तीन तलाक देने के जुर्म में शौहर को सजा हो जाएगी तो बीवी को मिलने वाले गुजारे भत्ते का क्या होगा। कांग्रेस ने कहा कि वो तीन तलाक खत्म करने की दिशा में हर कदम के समर्थन में है लेकिन दोषी को जेल की सजा का प्रावधान होने पर उसके बच्चों और महिला को गुजारा भत्ता कौन देगा। कांग्रेस ने कहा कि वो संसदीय पैनल द्वारा इस विधेयक की समीक्षा चाहती है। कांग्रेस सांसद सुष्मिता देव ने कहा कि उनकी पार्टी सिविल मामले को आपराधिक बनाने के खिलाफ है। देव ने कहा कि तलाक-ए-बिद्दत को आपराधिक बनाने से पति-पत्नी के बीच समझौते की गुंजाइश खत्म हो जाएगी।
एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि ऐसे समय में तीन तलाक विधेयक में आपराधिक सजा का प्रावधान दुर्भाग्यपूर्ण है जब सुप्रीम कोर्ट पहले ही दहेज उत्पीड़न के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498-ए के तहत होने वाली "स्वतः गिरफ्तारी" पर रोक लगाने की कोशिश कर रही है। सुले ने कहा कि सरकार को इस मामले में किसी एक समुदाय को अलग-थलग नहीं करना चाहिए बल्कि परिवार न्यायालय में विवाद के निपटारे की व्यवस्था करनी चाहिए। एमआईएमआईएम सांसद ओवैसी ने कहा कि ये विधेयक मुस्लिम महिलाओं के संग नाइंसाफी करता है, ये आजादी के अधिकार के खिलाफ है और इस विधेयक से पहले मुसलमानों से राय नहीं ली गयी थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उम्मीद जतायी है कि ये विधेयक संसद के दोनों सदनों में सभी दलों की रजामंदी से पारित होगा। सभी दलों की रजामंदी मिले न मिले कांग्रेस के नरम रुख को देखते हुए लगता नहीं कि बीजेपी को राज्य सभा में इस विधेयक को पारित कराने में ज्याद मुश्किल होगी। एक संभावना ये भी है कि विपक्षी दल अपनी ताकत दिखाने के लिए इस विधेयक को शीतकालीन सत्र में न पारित होने दें या फिर आम सहमित से पहले राज्य सभा की विशेष समिति में विधेयक भेजने के लिए सरकार को राजी कर लें।
1 | बीजेपी | 57 |
2 | कांग्रेस | 57 |
3 | समाजवादी पार्टी | 18 |
4 | एआईएडीएमके | 13 |
5 | एआईटीसी | 12 |
6 | बीजद | 8 |
7 | नामांकित (nominated) | 8 |
8 | सीपीएम | 7 |
9 | जदयू | 7 |
10 | निर्दलीय एवं अन्य | 6 |
11 | टीडीपी | 6 |
12 | एनसीपी | 5 |
13 | बसपा | 5 |
14 | डीएमके | 4 |
15 | टीआरएस | 3 |
15 | राजद | 3 |
16 | अकाली दल | 3 |
18 | शिव सेना | 3 |
19 | पीडीपी | 2 |
20 | जद (एस) | 1 |
21 | जेएमएम | 1 |
22 | केसी (एम) | 1 |
23 | आईएनएलडी | 1 |
24 | आईयूएमएल | 1 |
25 | सीपीआई | 1 |
26 | बीपीएफ | 1 |
27 | एसडीएफ | 1 |
28 | आरपीआई (ए) | 1 |
29 | एनपीएफ | |
30 | वाईएसआरसीपी | 1 |
खाली सीटें | 7 | |
कुल सीटें | 245 |