शिवसेना ने मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में कांग्रेस के 22 विधायकों ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है। सिंधिया ने भाजपा ज्वाइन कर ली है, जिससे कमलनाथ की सरकार बहुमत से अल्पमत में आ गई। अगर मध्य प्रदेश में कमलनाथ की सरकार गिरती है, तो इसका श्रेय भाजपा को नहीं बल्कि कमलनाथ को जाता है। उनकी लापरवाही, अहंकार और नई पीढ़ी को कम आंकना है यही उनकी सबसे बड़ी भूल है।
एनएनआई की खबर के मुताबिक शिवसेना ने दिग्विजय सिंह और कमलनाथ पर तंज कसते हुए कहा कि अगर वह मध्य प्रदेश के पुराने नेता हैं और उनकी आर्थिक शक्ति अधिक है, इसलिए उन्हें बहुमत के कगार पर होने के बावजूद यहां से विधायकों को इकट्ठा करके समर्थन मिला। अगर यह सच है, तो भी ज्योतिरादित्य सिंधिया की नजरअंदाज करना भले ही इसका असर मध्य प्रदेश की राजनीति ना हो या पूरे राज्य में इसका प्रभाव न पड़े लेकिन ग्वालियर और गुना जैसे बड़े क्षेत्रों में उनका प्रभाव बहुत ही ज्यादा है।
विधानसभा चुनाव के पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया ही कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा थे। लेकिन बाद में उन्हें दरकिनार कर दिया गया। इस असंतोष का कारण समय-समय पर अपना असर दिखा रहा था। शिव सेना के मुखपत्र में कहा गया है कि केवल छह महीने पहले, वही ज्योतिरादित्य ने भाजपा को 'लोकतंत्र का गला घोंटने वाली पार्टी' कहा था। उन्होंने कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस सरकार को उखाड़ फेंकने के बाद यह प्रतिक्रिया दी थी।
मालूम हो मंगलवार को ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए, बुधवार को भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सिंधिया का स्वागत किया।