उत्तरप्रदेश के अयोध्या में भव्य राम मंदिर के शिलान्यास की तैयारियों के बीच एनसीपी प्रमुख शरद पावर ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. पवार ने कहा कि कुछ लोगों को लगता है कि राम मंदिर बनाने से कोविड-19 महामारी खत्म हो जाएगी. यह तय करना होगा कि किस बात को तवज्जो दी जाए. हमें लगता है कि पहले महामारी खत्म होनी चाहिए. लॉकडाउन के कारण आर्थिक नुकसान हो रहा है, केंद्र सरकार को उस पर ध्यान देना चाहिए.
एक कार्यक्रम में एनसीपी प्रमुख ने कहा, ''हमें लगता है कि कोविड-19 में जो लोग फंसे हैं, उन्हें कैसे बाहर निकाले, हम उसे जरूरी समझते हैं. कुछ लोगों को लगता है कि राम मंदिर बनने से शायद महामारी चली जाएगी. शायद उसी लिए उन्होंने ऐसा कार्यक्रम किया होगा, मैं नहीं जानता. हमें कोविड-19 का संकट बड़ा लगता है और उसकी वजह से लॉकडाउन हुए हैं, जिसमें छोटे-बड़े उद्योगों की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है. हमें चिंता है और राज्य और केंद्र सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए, ऐसा मुझे लगता है.'' पवार ने कहा कि इस सप्ताह हमारे साथी सांसद दिल्ली जाकर सरकार के सामने अपनी बात रखेंगे.
दरअसल, उनसे राम मंदिर की आधारशिला रखे जाने की प्रस्तावित तिथि के बारे में सवाल किया गया, जिसके जवाब में शरद पवार ने यह कहा. इस बीच, दक्षिण मुंबई से शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने कहा कि भगवान राम उनकी पार्टी के लिए आस्था का विषय हैं और इस मुद्दे पर उनकी पार्टी कोई राजनीति नहीं करेगी. उन्होंने कहा कि राम मंदिर आंदोलन में शिवसेना की एक अहम भूमिका रही है.
पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री बनने से पहले और कार्यभार संभालने के बाद भी अयोध्या का दौरा किया था. शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस की महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार है. सावंत ने कहा कि लोगों का स्वास्थ्य सुनिश्चित करना और उन्हें सुरक्षा प्रदान करना शिवसेना नीत राज्य सरकार की प्राथमिकताएं हैं, जो रामराज्य की अवधारणा है.