पीठासीन अधिकारी और सरकार की मिलीभगत से कांग्रेस के सात सांसद सदन से हुए निलंबित

By शीलेष शर्मा | Published: March 6, 2020 07:34 AM2020-03-06T07:34:13+5:302020-03-06T07:34:13+5:30

जिन सात सांसदों को निलंबित किया गया है उनमें कांग्रेस के गौरव गोगोई, टी.एन. प्रताप, डिंग कोरियाकोस, राज मोहन उन्नीथन, वैनी वहनान, माणिक ठेगौर और गुरजीत सिंह के नाम शामिल है.

Seven MPs of Congress suspended from the House in connivance with Presiding Officer & government | पीठासीन अधिकारी और सरकार की मिलीभगत से कांग्रेस के सात सांसद सदन से हुए निलंबित

कांग्रेस पार्टी का झंडा। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Highlightsलोकसभा में गुरुवार को दिल्ली की हिंसा को लेकर हो रहे हंगामे के बीच पीठासीन अधिकारी मीनाक्षी लेखी और सरकार की मिलीभगत ने कांग्रेस के सात सांसदों को वर्तमान सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया. हालांकि हंगामे के कारण संसद की कार्यवाही को बार-बार स्थगित करना पड़ा, बावजूद इसके हंगामे के बीच ही पीठासीन अधिकारी विधेयकों को प्रस्तावित करने और दस्तावेजों को सदन के पटल पर रखने का काम करते रहे.

लोकसभा में गुरुवार को दिल्ली की हिंसा को लेकर हो रहे हंगामे के बीच पीठासीन अधिकारी मीनाक्षी लेखी और सरकार की मिलीभगत ने कांग्रेस के सात सांसदों को वर्तमान सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया. हालांकि हंगामे के कारण संसद की कार्यवाही को बार-बार स्थगित करना पड़ा, बावजूद इसके हंगामे के बीच ही पीठासीन अधिकारी विधेयकों को प्रस्तावित करने और दस्तावेजों को सदन के पटल पर रखने का काम करते रहे.

हिंसा पर चर्चा की मांग को लेकर विपक्ष के जो सांसद  सदन में हंगामा कर रहे थे वे उस समय शांत बैठे रहे जब सरकार के आग्रह पर स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कोरोना वायरस को लेकर अपना विस्तृत बयान पढ़ा.

तीन दिनों से लगभग समूचा विपक्ष दिल्ली की हिंसा पर तत्काल चर्चा की मांग करता आ रहा है, कार्यस्थगन प्रस्ताव भी दिये गये लेकिन आसान ने सब को नजरंदाज करते हुए जहां एक ओर कामकाज को जारी रखा तो दूसरी ओर चर्चा के लिए होली के बाद की तारीख दे दी.

जिन सात सांसदों को निलंबित किया गया है उनमें कांग्रेस के गौरव गोगोई, टी.एन. प्रताप, डिंग कोरियाकोस, राज मोहन उन्नीथन, वैनी वहनान, माणिक ठेगौर और गुरजीत सिंह के नाम शामिल है.

निलंबित सांसदों को लेकर अब संसद में तकनीकी सवाल खड़ा हो गया है. क्योंकि जिन सात सदस्यों को निलंबित किया गया उनको पीठासीन अधिकारी ने केवल नामित किया. उसके तुरंत बाद संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने प्रस्ताव पढ़कर इन सदस्यों को निलंबित करने की मांग की. जिसे पीठासीन अधिकारी ने शोर-शराबे के बीच सत्तारुढ़ दल के बहुमत को देखते हुए ध्वनिमत से पारित करा दिया. पीठासीन अधिकारी ने प्रस्ताव पारित होते ही आदेश दिए कि अब यह सातों सदस्य संसद परिसर से बाहर चले जाए.

जिस पर संसद परिसर में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने चुनौती देते हुए कहा कि यह फैसला लोकसभा अध्यक्ष का नहीं बल्कि सरकार का है. उन्होंने इसे तानाशाही वाला निर्णय बताया और चेतावनी दी कि कांग्रेस के सांसद दिल्ली की हिंसा पर चर्चा की मांग उठाते रहेगें वे झुकेगें नहीं, और ना ही डरेगें. चौधरी ने फैसले को संसदीय लोकतंत्र की शर्मिदंगी की दस्तान बताते हुए कहा कि हमें पहले दिन से ही हिंसा पर चर्चा की मांग कर रहे है लेकिन उसके अनदेखी की जा रही है.

संसद में उस समय ज्यादा हंगामा हो गया जब राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के सांसद हनुमान बेनीवाल ने इटली का नाम लेकर  राहुल गांधी और सोनिया गांधी पर विवादित टिप्पणी की. दरअसल इस सदस्य ने इन दोनों नेताओं पर कोरोना वायरस भारत में लाने जैसे आरोप लगा दिया जिससे कांग्रेस के सांसद उत्तेजित हो गये और पीठासीन अधिकारी को स्थगित करनी पड़ी.

Web Title: Seven MPs of Congress suspended from the House in connivance with Presiding Officer & government

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