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पी. चिदंबरम बोले- "मोदी सरकार में वित्त मंत्री होता, तो इस्तीफा दे देता"

By भाषा | Updated: January 18, 2019 16:54 IST

चिदंबरम ने दावा किया कि नोटबंदी के रूप में ‘भयावह’ निर्णय तथा जीएसटी को गलत ढंग से लागू करने के अलावा पिछले पांच साल में इस सरकार ने अर्थव्यस्था के मोर्चे पर ऐसा कुछ नहीं किया जिसका उल्लेख किया जा सकता है।

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति को ‘चिंताजनक’ करार देते हुए शुक्रवार (18 जनवरी) को कहा कि अगर नरेंद्र मोदी सरकार में वह वित्त मंत्री होते तो अब तक इस्तीफा दे चुके होते। उन्होंने यह भी कहा कि लेखानुदान/अंतरिम बजट में सरकार आगामी आम चुनाव के मद्देनजर लोकलुभावन घोषणाएं कर सकती है, लेकिन इसका असर नहीं होगा क्योंकि लोग समझते हैं कि इस सरकार ने पिछले साढ़े चार साल में कुछ नहीं किया। 

पूर्व वित्त मंत्री ने एक सवाल के जवाब में संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम इस सरकार से कुछ उम्मीद नहीं करते हैं। चुनाव नजदीक है। 60 दिनों में यह सरकार कुछ ऐसा नहीं कर सकती जिससे अर्थव्यवस्था की स्थिति में सुधार हो। अर्थव्यवस्था की स्थिति बहुत खराब है। हर सूचकांक चिंता में डालने वाला है। हमें अब अगली सरकार में विश्वास करना होगा।’’ उन्होंने कहा कि उनका अनुमान यह है कि पिछले कुछ वर्षों की तरह इस बार भी सरकार वित्तीय घाटे को कम करने के लक्ष्य तक पहुंचने में विफल रहेगी।

चिदंबरम ने दावा किया कि नोटबंदी के रूप में ‘भयावह’ निर्णय तथा जीएसटी को गलत ढंग से लागू करने के अलावा पिछले पांच साल में इस सरकार ने अर्थव्यस्था के मोर्चे पर ऐसा कुछ नहीं किया जिसका उल्लेख किया जा सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर वो चुनाव जीतने के लिए कुछ घोषणाएं करते हैं तो मुझे नहीं लगता कि इसका कोई असर होगा। लोग बेवकूफ नहीं है। लोग समझते हैं कि जब साढ़े चार साल में कुछ नहीं किया तो अब क्या हो सकता है।’’ यह पूछे जाने पर कि अगर वह इस सरकार में वित्त मंत्री होते तो क्या कदम उठाते तो चिदंबरम ने कहा, ‘‘अगर राजग सरकार में मैं वित्त मंत्री होता तो इस्तीफा दे देता।’’ 

इस सवाल पर कि क्या सरकार चुनाव को देखते हुए बड़ी घोषणाएं कर सकती तो चिदंबरम ने तंज कसते हुए कहा, ‘‘चुनाव से ठीक पहले अतीत में एक या दो छोटे बदलाव अथवा घोषणाएं होती रही हैं। लेकिन कोई बड़ी घोषणाएं नहीं होती हैं। देखिए ये लोग क्या करते हैं। मुझे नहीं लगता कि यह सरकार किसी परिपाटी में विश्वास करती है। यह खुद की परिपाटी बनाती है। संप्रग की पहली सरकार के समय जीडीपी की विकास दर आजाद भारत या इससे पहले किसी भी पांच साल के मुकाबले सबसे ज्यादा थी।’’ 

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