Rajya Sabha Election 2020: कांग्रेस और राजद में तनातनी तेज, RJD ने कहा-ऐसी कोई डील नही थी, गेंद लालू यादव के पाले में
By एस पी सिन्हा | Published: March 9, 2020 04:45 PM2020-03-09T16:45:54+5:302020-03-09T16:45:54+5:30
Bihar news: कांग्रेस को गठबंधन में राज्यसभा की एक सीट नहीं मिलती देख कांग्रेस के बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने पत्र लिखकर राजद को याद दिलाया है कि वह अपने वादे को पूरा करे. कारण कि राजद के समर्थन के बिना कांग्रेस उम्मीदवार का राज्यसभा पहुंचाना संभव नहीं है.
पटनाः बिहार में होने वाले राज्यसभा चुनाव को लेकर सूबे की सियासत गर्माने लगी है. स्थिति यह है कि राज्यसभा की सीट को लेकर कांग्रेस और राजद में तनातनी तेज हो गई है.
कांग्रेस को गठबंधन में राज्यसभा की एक सीट नहीं मिलती देख कांग्रेस के बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने पत्र लिखकर राजद को याद दिलाया है कि वह अपने वादे को पूरा करे. कारण कि राजद के समर्थन के बिना कांग्रेस उम्मीदवार का राज्यसभा पहुंचाना संभव नहीं है.
बता दें कि बिहार से नौ अप्रैल को खाली हो रही राज्यसभा की पांच सीटों के लिए विपक्ष को दो प्रत्याशी तय करने हैं. चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है.लेकिन स्थिति यह है कि महागठबंधन में अभी भी उहापोह के हालात हैं. राष्ट्रीय जनता दल अपने दो प्रत्याशी देना चाहता है.
इसका संकेत पार्टी के राज्यसभा सांसद और मुख्य प्रवक्ता मनोज झा ने दिया है. इसके साथ ही मनोज झा ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि राजद फिलहाल कांग्रेस के लिए कोई भी सीट छोड़ने के मूड में नहीं है. उधर बिहार कांग्रेस के प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल और अभिनेता व नेता शत्रुघ्न सिन्हा के लिए एक सीट पर दवा कर रही है.
कांग्रेस नेता शक्ति सिंह गोहिल ने राजद नेता तेजस्वी को वचन की याद दिलाई है. उन्होंने तेजस्वी को पत्र लिख कर कहा है कि लोकसभा चुनाव के समय महागठबंधन के नेताओं ने साझा प्रेसवार्ता में राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा था कि राज्यसभा की एक सीट कांग्रेस नेताओं के लिए छोड़ी जायेगी.
अच्छे लोगों के लिए कहा जाता है कि वो ''प्राण जाये पर वचन ना जाये'' का पालन करते हैं. ऐसे में राजद नेता से उम्मीद है कि वो अपने वचन का पालन करेंगे. गोहिल ने कहा कि कांग्रेस के प्रत्याशी सिर्फ बिहार के ही नेता होंगे. मेरे जैसा कोई जो बिहार का मतदाता नहीं हो. वो कांग्रेस का प्रत्याशी नहीं होगा.
बंद जेहन से खुले खत नहीं लिखे जातेः मनोज झा
वहीं, मनोज झा ने कांग्रेस के बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल द्वारा लिखे गए पत्र पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बंद जेहन से खुले खत नहीं लिखे जाते हैं. उन्होंने कहा कि हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव और कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के पुराने संबंध रहे हैं, ऐसे में उसका भी ख्याल रखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि जिस वक्त की बात गोहिल जी कर रहे हैं, उस वक्त का संदर्भ दूसरा रहा है.
बिहार में उस समय 24-25 सीटों पर राजद को चुनाव लडना था लेकिन ऐसा नहीं हुआ. अब संदर्भ बदल गया है. मनोज झा ने कहा कि अभी हमारे पास राज्यसभा की 3 सीटें रह गई हैं. इस चुनाव में 2 सीटें राजद को मिलेंगी और सदन में हमारी संख्या 5 हो जाएगी.
इससे राज्यसभा में हमारी पार्टी राजद की मान्यता रहेगी, वरना हम भी अन्य की कैटेगरी में आ जाएंगे. मनोज झा ने इसके साथ ही साफ किया कि महागठबंधन को लेकर कालांतर में सभी चीजें ठीक हो जाएंगी. वैसे जानकारों की अगर मानें तो इस बार राज्यसभा सीट पर फैसला लालू प्रसाद को करना है.
सूत्रों के मुताबिक, नाम की घोषणा भर बाकी है. लेकिन कांग्रेस पुराने वादे याद दिला रही है. कांग्रेस के मुताबिक, लोकसभा चुनाव के वक्त राजद ने कांग्रेस को नौ सीटों के अतिरिक्त राज्यसभा की भी एक सीट का आश्वासन दिया था. वक्त आया है तो मांगा जा रहा है. कांग्रेस के पास दो प्रमुख दावेदार हैं.
शक्ति सिंह गोहिल और शत्रुघ्न सिन्हा. इन्हीं दोनों को आगे कर कांग्रेस की कोशिश राजद से एक सीट लेने की है. सूत्रों का दावा है कि राजद फिलहाल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल को मनाने में लगा है जो शक्ति सिंह के लिए अडे हुए हैं. गोहिल को पटेल का अत्यंत करीबी माना जाता है.
राजद के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि अगर अहमद पटेल अड़ गए तो राजद को इंकार करना आसान नहीं होगा. फिर भी बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की जा रही है. जिसके लिए तेजस्वी यादव होली के मौके पर भी पिछले चार दिनों से दिल्ली में जमे हुए हैं. राजद की ओर से भी दबाव की राजनीति जारी है. इंकार की पृष्ठभूमि बनाई जा रही है.
राजद ने ऐलान कर दिया है कि 12 मार्च को उसके दोनों प्रत्याशी एक साथ नामांकन करेंगे
राजद ने ऐलान कर दिया है कि 12 मार्च को उसके दोनों प्रत्याशी एक साथ नामांकन करेंगे. इधर राजद के दूसरे नेता पटना में कहते सुने जा रहे हैं कि बयान और समझौते में फर्क होता है.सूत्रों के अनुसार गोहिल को पटेल का अत्यंत करीबी माना जाता है.
गुजरात में दो साल पहले राज्यसभा चुनाव के दौरान उन्होंने अहमद पटेल के लिए आगे बढकर काम किया था. पटेल को कांग्रेस में शक्ति केंद्र माना जाता है. हालांकि राजद की ओर से भी दबाव की राजनीति जारी है. इन्कार की पृष्ठभूमि बनाई जा रही है. राजद ने ऐलान कर दिया है कि 12 मार्च को उसके दोनों प्रत्याशी एक साथ नामांकन करेंगे. प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने तो साफ भी कर दिया है कि राजनीतिक बयान और समझौते में फर्क होता है.
लोकसभा चुनाव के दौरान राज्यसभा की एक सीट के लिए कांग्रेस के साथ ऐसे किसी समझौते से जगदानंद इन्कार करते हैं. बकौल जगदानंद, वह बयान हो सकता है, समझौता नहीं. राजद के स्टैंड से कांग्रेस सहमत नहीं है. जबकि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डा. मदन मोहन झा कहते हैं कि बात तो तेजस्वी और उनके बीच हुई थी. उस वक्त तो जगदानंद सिंह थे भी नहीं. दरअसल, राज्यसभा चुनाव में एक सीट पर जीत के लिए 41 विधायकों की जरूरत है.
इस लिहाज से देखें तो राजद के पास 80 विधायक हैं और कांग्रेस के पास 26 विधायक. यानी दोनों दलों के विधायकों की संख्या को अगर मिला भी दें फिर भी इनके कोटे में दो सीटें ही आने वाली है. यही वजह है कि 26 विधायकों वाली पार्टी कांग्रेस की पूरी आस राजद से है, लेकिन राजद को कांग्रेस से किया गया वो वादा याद नहीं है.
वैसे, अब तक कांग्रेस यह मान कर चल रही थी कि राजद उन्हें अपने कोटे की एक सीट देगा. जिस पर कांग्रेस के कई नेताओं की दावेदारी भी शुरू हो गई थी. अब जब शक्ति सिंह गोहिल का पत्र सार्वजनिक हो गया है तो यह साफ है कि दोनों दलों के बीच सीट पर बात नहीं बन पा रही है.
ऐसे में अब दोनों दलों के बीच बयानबाजी शुरू हो गई है. कांग्रेस नेता प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहा है कि लोकसभा चुनाव के दौरान महागठबंधन की पीसी में राजद ने कांग्रेस से ये वादा किया था कि वह अपने कोटे की एक राज्यसभा की सीट हमें देंगे. कांग्रेस पार्टी राजद को उसी वादे की याद दिला रही है, क्योकि दोस्ती में वादे तोडे नहीं जाते हैं.
वहीं, शक्ति सिंह गोहिल के पत्र जारी करने के तुरंत बाद राजद ने भी पलटवार किया है. राजद विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा कि जो सीट देना था वह कांग्रेस को पहले ही दे दी गई है. इस बार राज्यसभा की सीट देने का कोई सवाल ही नहीं है.
यहां उल्लेखनीय है कि राज्यसभा के लिए बिहार में पांच सीटों के लिए होनेवाले चुनाव में एनडीए के खाते में तीन सीटें आ रही हैं, जबकि दो सीटें महागठबंधन को मिलने की संभावना है. इन्हीं दोनों सीटों को लेकर राजद और कांग्रेस के बीच तनातनी शुरू तेज हो गई है.
ऐसे में यह जाहिर है कि राजद की चाल कांग्रेस को साधकर रखना है और सीट भी नहीं देना है. लालू प्रसाद यादव अपने इस मकसद में कितने कामयाब होते हैं, यह तो नामांकन के वक्त ही पता चलेगा. फिलहाल तो राजनीतिक कयासों का दौर चल रहा है.