घोषित आपातकाल से कहीं ज़्यादा भयानक है अघोषित आपातकाल: घनश्याम तिवाड़ी
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: June 26, 2018 02:02 PM2018-06-26T14:02:28+5:302018-06-26T14:06:50+5:30
विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक उथल-पुथल के बीच राजस्थान के दिग्गज नेता घनश्याम तिवाड़ी ने वसुंधरा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि, आपातकाल से कहीं ज़्यादा ख़तरनाक है अघोषित आपातकाल, मैंने दोनों का नज़ारा देखा है।
जयपुर, 26 जून। राजस्थान चुनाव में महज़ कुछ महीने ही रह गए हैं और ऐसे में वसुंधरा सरकार के एक और बड़े नेता ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। भारतीय जनता पार्टी का राजस्थान में बड़ा चेहरा माने जाने वाले नेता घनश्याम तिवाड़ी ने बीजेपी से बीते सोमवार 25 जून को इस्तीफ़ा दे दिया। घनश्याम साल 2003 से सांगानेर विधानसभा सीट से विधायक हैं। लम्बे समय से वसुंधरा सरकार से मतभेद के चलते तिवारी ने इस्तीफे के पीछे तमाम कारण बताए हैं।
सबसे पहली वजह रही सरकार से सामान्य जातियों के आरक्षण की माँग की। वैसे तो राजस्थान का एक बड़ा हिस्सा अक्सर सामान्य वर्ग के आरक्षण की वकालत करता रहा है। शायद इसलिए उस बड़े हिस्से का विधायक घनश्याम तिवाड़ी को भरपूर समर्थन मिलता दिख रहा है। राजस्थान की जनसंख्या का लगभग 68 प्रतिशत हिस्सा सामान्य वर्ग से है और यह बात बेहद स्पष्ट है कि इनके हित की बात करने वाले नेता को इस वर्ग का समर्थन मिलना लगभग तय माना जा रहा है।
यह भी पढ़ें: राजस्थान: वसुंधरा सरकार से नाराज वरिष्ठ नेता घनश्याम तिवाड़ी का बीजेपी से इस्तीफा, नई पार्टी का ऐलान
वहीं प्रदेश भर में किसानों की हो रही दुर्दशा इस इस्तीफे की दूसरी बड़ी वजह है। प्रदेश सरकार ने ऐसी तमाम योजनाएं बनाई जिनका लाभ सीधे तौर पर किसानों को मिलना चाहिए था लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। उनके मुताबिक लाभ ना मिल पाने का एक और कारण यह है कि योजनाएं बनी तो सही है लेकिन ठीक तरह से लागू अब तक नहीं हो पाई है। देश के सबसे बड़े राज्य में अन्नदाता की दुर्गति सत्ता के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं।
जबकि घनश्याम तिवारी ने अपने इस्तीफे का तीसरा कारण 'भ्रष्टाचार' को बताया। हालांकि पिछले कई सालों से जनता भ्रष्टाचार से जुड़े इतने समाचार सुन चुकी है कि अब ऐसे ज़रूरी मुद्दे पर किसी नेता की राय को गैररज़रूरी समझती है। विधायक घनश्याम तिवाड़ी ने अपने इस्तीफे की जो वजह बताई हैं वो पहली नज़र में ठीक ही लगती हैं, लेकिन अगर थोड़ा सोचे तो इस इस्तीफे के लिए एक साफ़ प्रश्न उभर कर आता है।
यह भी पढ़ें: राजस्थान सरकार के विधेयक पर ‘जब तक काला, तब तक ताला’
घनश्याम तिवाड़ी का बीजेपी से यूं अचानक इस्तीफा अपने आप में कई सवाल खड़े करता है। चुनाव के कुछ महीने पहले ही सामान्य वर्ग और किसानों का हित क्यों याद आया? अगर सरकार की नीतियाँ गलत थीं तो क्या इसका विरोध और पहले नहीं होना चाहिए था? वहीं उनके बेटे अखिलेश ने भारत वाहिनी पार्टी बना कर राजस्थान विधानसभा की 200 सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान किया है ।
इस्तीफ़े के दौरान उनकी कही बातों के कई मायने निकाले जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि, आपातकाल से कहीं ज़्यादा ख़तरनाक है अघोषित आपातकाल, मैंने दोनों का नज़ारा देखा है। बहरहाल, आगामी विधानसभा चुनाव में इस अघोषित आपातकाल और राजनैतिक उतार चढ़ाव का असर देखने लायक होगा।
रिपोर्ट- विभव देव शुक्ला
लोकमत न्यूज के लेटेस्ट यूट्यूब वीडियो और स्पेशल पैकेज के लिए यहाँ क्लिक कर सब्सक्राइब करें