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वो घोटाला साबित ही नहीं हुआ, जिसके दम पर बीजेपी सत्ता में आई

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: December 21, 2017 14:50 IST

"ए फॉर आदर्श घोटाला, बी बोफोर्स घोटाला, सी फॉर कोयला घोयला, पूरी एबीसीडी उठाकर देख लीजिए, कांग्रेस ने कोई अक्षर नहीं छोड़ा है, जिससे उनके घोटालों के नाम ना हों।"

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"ए फॉर आदर्श घोटाला, बी बोफोर्स घोटाला, सी फॉर कोयला घोयला, पूरी एबीसीडी उठाकर देख लीजिए, कांग्रेस ने कोई अक्षर नहीं छोड़ा है, जिससे उनके घोटालों के नाम ना हों।" पंजाब की जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कांग्रेस के भ्रष्टाचार पर एक नई डिक्‍शनरी इजाद की थी। इस पर किसी स्वायत्त संस्‍था ने तो नहीं पर कांग्रेस के कुछ अंदरूनी सर्वे में यह बात प्रमुखता से आई थी कि 2014 लोकसभा चुनाव बुरी तरह हारने की प्रमुख वजह नरेंद्र मोदी का घोटालों को लेकर प्रचार रहा।

इसमें 2जी सबसे बड़े घोटाला था। कैग के मुताबिक इसमें 1.76 लाख करोड़ रुपये का घोटाला हुआ। इसको आधार बनाकर तत्कालीन गुजरात मुख्यमंत्री और भाजपा प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस मुक्त भारत का सपना देखा।  इसकी शुरुआत उन्होंने एक ऐसे शख्स की छवि इतिहास का सबसे कमजोर प्रधानमंत्री के रूप में स्‍थापित की, जिसने भारत की बंद अर्थव्यस्‍था को खोला। 1991 के आर्थिक सुधारों लिए विख्यात मनमोहन सिंह 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के लिए कुख्यात हो गए। यह अलग बात है कि आजतक मनमोहन सिंह पर भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नहीं है।

लोकसभा चुनाव में पहले बीजेपी की ओर से आयोजित की गई 437 बड़ी रैलियों, 5827 इवेंट और करीब 3 लाख किलोमीटर की यात्राओं में यह सवाल पूछा गया कि क्या यूपीए 2 के घोटालों को आप बर्दाश्त करेंगे? क्या आप उस शख्स को फिर से प्रधानमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं जो बैठकर चुपचाप सारे घोटाले होते देखता रहा।

लेकिन अब सीबीआई विशेष अदालत इस मामले में नया मोड़ लेकर आई है। अदालत ने कहा है कि ऐसे कोई सबूत ही मौजूद नहीं है कि जिसके बिनाह पर यह कहा जाए कि 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला हुआ था। उल्लेखनीय है कि यह बात सीबीआई अदालत ने जल्दबाजी या किसी फास्टट्रैक मामले की सुनवाई करते हुए नहीं कही। सीबीआई अदालत ने सात साल तक मामले की सुनवाई की। मामले में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तक से पूछ-ताछ की। सारे पहलुओं को देख-सुनकर अदालत इस नतीजे पर पहुंची है।

फैसला आने के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि मामले में गड़बड़ी तो हुई थी। लेकिन अगर खुद ही अपने पुराने वीडियो क्लिक उठाकर देख लें तो उनकी मौजूदगी में उनके नेता ने चीख-चीख इसे सदी का सबसे बड़ा घोटला बताया था। लेकिन नरेंद्र मोदी खुद पीएम बनने के बाद कांग्रेस के भ्रष्टाचार की नई डिक्‍शनरी  'A से लेकर Z' तक की मी‌‌‌निंग भूल गए। बल्कि उन्होंने चेन्नई जाकर मामले की मुख्य आरोपी कन्नीमोझी के पिता एम करुणानिधि से मुलाकात की। इस मुलाकात के क्या मायने थे? कांग्रेस शासन के भ्रष्टाचार के दूसरे मामलों पर सरकार का क्या रवैया है? क्या पीएम मोदी ने वो रैलियां तब जनता को बरगलाने के लिए थीं? मोदी सरकार की उनकी प्रचार की नीतियों थोड़ी जवाबदेही तो होनी ही चाहिए।

टॅग्स :2 जी घोटालामनमोहन सिंहए राजा
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