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राजद ने दिया नीतीश कुमार को खुला ऑफर, तेजस्वी यादव को सीएम बनाएं, आप 2024 में पीएम बन जाएं, महागठबंधन में आइये

By एस पी सिन्हा | Updated: December 29, 2020 19:17 IST

बिहार में राजनीति गर्मायी हुई है. अरुणाचल प्रदेश में छह जदयू विधायक भाजपा में शामिल हो गए हैं. इसको लेकर जदयू और भाजपा में रार जारी है.

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ठळक मुद्देजदयू और खासकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए सहानुभूति की बाढ़ आ गई.राजद ने नीतीश कुमार को ऑफर दिया है कि वो एनडीए को छोड़कर महागठबंधन में शामिल हो जाएं.मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भाजपा लगातार दरकिनार कर रही है.

पटनाः अरुणाचल प्रदेश के छह विधायकों के भाजपा में शामिल होने की घटना के बाद बिहार की राजनीति भी गर्मायी हुई है.

कांग्रेस और राजद मुख्यमंत्री नीतीश और भाजपा नेताओं के रिश्ते पर तंज कसने से नहीं चुक रहे हैं. इस घटना के बाद मुख्य विपक्षी दल राजद के कई नेताओं के दिल में जदयू और खासकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए सहानुभूति की बाढ़ आ गई.

राजद ने नीतीश कुमार को ऑफर दिया है कि वो एनडीए को छोड़कर महागठबंधन में शामिल हो जाएं और तेजस्वी यादव को बिहार का मुख्यमंत्री बनाएं. राजद की तरफ से नीतीश कुमार को दिया गया यह अबतक का सबसे बड़ा ऑफर माना जा रहा है. वहीं, बिहार में राजद के जदयू को ऑफर दिए जाने पर उप मुख्यमंत्री रेणु देवी ने आपत्ती जताई है.

उन्होंने कहा कि नीतीश एनडीए के गार्जियन हैं और गार्जियन कहीं नहीं जाता है. रेणु देवी उक्त बिहार कैबिनेट की बैठक से लौटने के दौरान कही. उन्होंने बताया कि बैठक में 11 प्रस्तावों को मंजूरी मिली है. इसबीच जदयू में टूट के बाद राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने नीतीश को साहस के साथ निर्णय लेने की सलाह दी थी. मतलब वे भाजपा से अलग होने का साहस दिखाएं.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भाजपा लगातार दरकिनार कर रही है

उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भाजपा लगातार दरकिनार कर रही है. उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के सामने विरोध दर्ज कराना चाहिए. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार आगे क्या रास्ता अपनाते हैं, यह तो उन्हीं को तय करना है.

उन्होंने आगे कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान चिराग पासवान ने जिस तरीके से नीतीश कुमार के खिलाफ बयानबाजी की, उसे भाजपा के किसी वरिष्ठ नेता ने रोकने का प्रयास नहीं किया. तिवारी ने कहा कि चुनाव बाद दिल्ली भाजपा कार्यालय में जो जश्न हुआ तो लगा कि अकेले भाजपा की जीत है.

उन्होंने कहा कि हाल में दोनों उप मुख्यमंत्रियों ने पीएम से मिलने के बाद बयान दिया कि बिहार की जनता ने भाजपा पर भरोसा किया. उन्होंने कहा कि इसका मतलब जनता ने एनडीए या नीतीश कुमार पर भरोसा नहीं किया. उन्होंने कहा कि अरुणाचल की घटना में तो समर्थन देने वाले जदयू के विधायकों को ही भाजपा ने शामिल कर लिया. 

उदय नारायण चौधरी ने नीतीश कुमार को खुला ऑफर दे दिया

इसबीच, राजद के एक अन्य बडे़ नेता उदय नारायण चौधरी ने नीतीश कुमार को खुला ऑफर दे दिया है कि भाजपा से अलग होकर राजद से हाथ मिलाएं. विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बना दें. खुद 2024 में देश का प्रधानमंत्री बनने की तैयारी करें.

कभी नीतीश कुमार के सहयोगी रहे बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और राजद नेता उदय नारायण चौधरी का यह बयान सामने आने के बाद बिहार की सियासत में हलचल मचा दी है. उदय नारायण चौधरी ने प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह पर आरोप लगाया है कि ये लोग बिहार में जदयू और नीतीश कुमार को साइड लाइन करने में जुट गए हैं.

इसका सबसे बडा उदाहरण अरुणाचल प्रदेश में देखा जा सकता है, जहां जदयू के सात में छह विधायकों को भाजपा ने अपनी पार्टी में शामिल कर लिया. उन्होंने कहा कि हमें तो यह भी सूचना मिल रही है कि अगले केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान लोजपा सुप्रीमो चिराग पासवान को भी शामिल किया जा सकता है. 

विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने इन दिनों राजद में हैं

बता दें कि एक दौर में नीतीश कुमार के करीबी रहे विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने इन दिनों राजद में हैं. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार का एनडीए में सम्मान नहीं हो रहा है. उन्हें जल्द से जल्द यूपीए से जुड़ जाना चाहिए. ऐसा होता है तो नीतीश 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री पद के स्वाभाविक दावेदार होंगे.

उनमें क्षमता भी है. चौधरी ने कहा कि अगर तेजस्वी यादव बिहार के मुख्यमंत्री बनते हैं तो वह विकास की गति को तेज करेंगे. तेजस्वी युवा हैं. उनमें समाज के सभी वर्ग को साथ लेकर चलने की क्षमता है. उल्लेखनीय है कि 2014 में उदय नारायण चौधरी जब जदयू के साथ थे.

नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री पद के लिए सबसे उपयुक्त उम्मीदवार बताया था

उन्होंने नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री पद के लिए सबसे उपयुक्त उम्मीदवार बताया था. हालांकि, 2015 के विधानसभा चुनाव में जदयू टिकट पर हार के बाद चौधरी का रास्ता बदल गया. वह राजद में चले गए. हालांकि राजद उम्मीदवार की हैसियत से भी उनकी हार ही हुई.

दिलचस्प यह है कि विधानसभा चुनाव में चौधरी को पराजित करने वाले हिन्दुस्तानी अवामी मोर्चा के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी इन दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी हैं. मोर्चा के चार विधायक नीतीश कुमार की सरकार का समर्थन कर रहे हैं. मांझी के पुत्र संतोष मांझी नीतीश कैबिनेट में मंत्री हैं. 

वहीं, उप मुख्यमंत्री रेणु देवी ने एनडीए में टूट के सवालों को दरकिनार करते हुए कहा कि हमारा घर मजबूत है, उसे कोई भी तोड़ नहीं सकता है. वह चाहे कितना भी प्रयास करें, कोई नुकसान नहीं होगा. घर के सभी लोग मजबूत हैं, उन्हें कौन तोड़ सकता है. इसे बेवजह का मुद्दा बनाया जा रहा है.

राजद द्वारा नीतीश को महागठबंधन में शामिल होने के दिए गए ऑफर पर रेणु देवी ने कहा कि पता नहीं क्या परेशानी है? उन्हें अपनी चिंता करनी चाहिए. वो सोचते हैं कि हमारे मुखिया उनके साथ चले जाएंगे, ऐसा कहीं होता है. उन्होंने साफ कहा कि हमारे मंत्री ने स्पष्ट कहा है कि अब सब लोग अपने काम पर लगें. इस विवाद को यहीं पर खत्म किया जाए.

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