महाराष्ट्र में नूराकुश्तीः कौन बनेगा सीएम, भाजपा-शिवसेना में उठापटक तेज, एक-दूसरे पर छींटाकशी जारी
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 28, 2019 07:42 PM2019-10-28T19:42:59+5:302019-10-28T19:46:57+5:30
रवि राणा ने कहा, ‘‘हां, मैंने भाजपा को समर्थन दिया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस विदर्भ से हैं, और मैं भी इसी क्षेत्र से हूं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘फड़नवीस ने कई विकास कार्य किए हैं और मेरे निर्वाचन क्षेत्र के लिए एक मेडिकल कॉलेज की मंजूरी भी दी है।’’
महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर राजग के घटक दलों-भाजपा और शिवसेना के मध्य तकरार के बीच दो निर्दलीय विधायकों ने भाजपा को समर्थन देने की घोषणा की है।
इनमें से एक निर्दलीय विधायक को हाल में संपन्न राज्य विधानसभा चुनाव में कांग्रेस-राकांपा गठबंधन का समर्थन प्राप्त था। अमरावती जिले के बडनेरा से विधायक रवि राणा ने रविवार को भाजपा को ‘‘बिना शर्त’’ समर्थन देने की घोषणा की जो गत 21 अक्टूबर को हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।
रोचक बात यह है कि राणा विदर्भ क्षेत्र की सीट से कांग्रेस-राकांपा गठबंधन के समर्थन से जीते हैं। यह उनकी लगातार तीसरी जीत है। उनकी पत्नी नवनीत राणा अमरावती से निर्दलीय लोकसभा सदस्य हैं। वह भी राकांपा समर्थित उम्मीदवार थीं और उन्होंने मई में हुए लोकसभा चुनाव में शिवसेना के आनंदराव अडसुल को हराया था।
रवि राणा ने कहा, ‘‘हां, मैंने भाजपा को समर्थन दिया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस विदर्भ से हैं, और मैं भी इसी क्षेत्र से हूं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘फड़नवीस ने कई विकास कार्य किए हैं और मेरे निर्वाचन क्षेत्र के लिए एक मेडिकल कॉलेज की मंजूरी भी दी है।’’
राणा ने उन्हें समर्थन देने वाली राकांपा की ओर से प्रतिकूल टिप्पणी आने की संभावना को भी खारिज किया। उन्होंने कहा, ‘‘राकांपा के साथ कोई विवाद नहीं होगा। यदि राज्य में वह सरकार बनाने की स्थिति में होती तो मैं उसका साथ देता।’’
इस बीच, अमरावती शहर कांग्रेस अध्यक्ष किशोर बोरकर ने राणा के कदम का विरोध किया और कहा कि उन्हें अपने क्षेत्र के जनमत का सम्मान करना चाहिए जो कांग्रेस-राकांपा के पक्ष में था। उधर, एक अन्य घटनाक्रम में, विदर्भ क्षेत्र के चंद्रपुर से निर्दलीय विधायक किशोर जोरगेवार ने भी सोमवार को भाजपा को समर्थन देने की घोषणा की।
जोरगेवार ने कांग्रेस द्वारा टिकट न दिए जाने पर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था। उन्होंने मुंबई में फड़णवीस से उनके आवास पर मुलाकात करने के बाद भाजपा को समर्थन देने की घोषणा की। जोरगेवार ने भाजपा उम्मीदवार नाना श्यामकुले को 72,000 मतों के अंतर से हराया था।
महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा के लिए 21 अक्टूबर को हुए चुनाव में किसी भी दल या गठबंधन को बहुमत नहीं मिला है। भाजपा ने 105 और शिवसेना ने 56 सीटों पर जीत दर्ज की है। दोनों ही दल सरकार गठन के लिए चर्चा में खुद को ऊपर रखने के लिए 13 निर्दलीय विधायकों पर डोरे डालने में लगे हैं। शिवसेना ने सत्ता साझा करने के लिए ‘50-50’ के फॉर्मूले के क्रियान्वयन के लिए भाजपा से लिखित आश्वासन मांगा है जिसका मतलब दोनों दलों को बारी-बारी से मुख्यमंत्री पद मिलने का समझौता माना जा रहा है।