बिहार: मजदूरों और छात्रों की घर वापसी पर गरमायी सियासत, RJD नेताओं ने रखा उपवास, नीतीश सरकार ने कही ये बात

By एस पी सिन्हा | Published: May 1, 2020 04:22 PM2020-05-01T16:22:08+5:302020-05-01T16:22:08+5:30

यह सब नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के आह्वान पर किया गया है. इस दौरान नेताओं ने गरीब, मजदूर ‌छात्र, नौजवान और किसान विरोधी नीतीश सरकार ‌शर्म करो के नारे लगाए हैं.

Nitish Kumar government It is not possible to bring bus by bus, the central government should give special train | बिहार: मजदूरों और छात्रों की घर वापसी पर गरमायी सियासत, RJD नेताओं ने रखा उपवास, नीतीश सरकार ने कही ये बात

बिहार: मजदूरों और छात्रों की घर वापसी पर गरमायी सियासत, RJD नेताओं ने रखा उपवास, नीतीश सरकार ने कही ये बात

Highlightsनीतीश कुमार ने यह कहते हुए पल्ला झाड़ लिया है कि बिहार सरकार के पास उतनी बसे नही हैं, जो भारत के कोने-कोने से बिहारवासियों को वापस बिहार ला सके.तेजस्वी प्रसाद यादव के आह्वान पर राजद कार्यकर्ताओं ने आज मई दिवस पर अपने अपने आवास पर उपवास रखा.

पटना: अप्रवासी मजदूरों और छात्रों की घर वापसी को लेकर बिहार में सियासत शुरु हो गई है. राजद नेता तेजस्वी यादव ने कल दो हजार बस देने का ऐलान किया था तो आज उनकी घर वापसी और राशन वितरण में धांधली के खिलाफ राजद नेता मोर्चा खोल अनशन पर बैठे हैं. 

यह सब नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के आह्वान पर किया गया है. इस दौरान नेताओं ने गरीब, मजदूर ‌छात्र, नौजवान और किसान विरोधी नीतीश सरकार ‌शर्म करो के नारे लगाए हैं. जबकि बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने लॉकडाउन में देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे बिहार के कामगारों और छात्रों को वापस लाने के लिए स्पेशल ट्रेनें चलाने की मांग की है 

यहां उल्लेखनीय है कि नीतीश कुमार ने यह कहते हुए पल्ला झाड लिया है कि बिहार सरकार के पास उतनी बसे नही हैं, जो भारत के कोने-कोने से बिहारवासियों को वापस बिहार ला सके. ऐसे में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सरकार के खिलाफ और सरकार से बिहार के मजदूरों को लाने के लिए अपने घर अनशन पर बैठे हुए है. हालांकि वह खुद बिहार से बाहर दिल्ली से ही कमान संभाल रहे हैं. वैसे राजद के द्वारा आयोजित यह अनशन का कार्यक्रम प्रतीकात्मक तौर पर सुबह 10 से 12 बजे तक ही रहा है. 

तेजस्वी प्रसाद यादव के आह्वान पर राजद कार्यकर्ताओं ने आज मई दिवस पर अपने अपने आवास पर उपवास रखा. पूर्व मुख्यमंत्री राबडी देवी, प्रदेश अध्यक्ष जगदान्द सिंह, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ रामचन्द्र पूर्वे ने भी अपने आवास पर उपवास रखा. इस कार्यक्रम में सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखा गया. राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने बताया कि उपवास के दौरान प्रदेश अध्यक्ष जगदान्द सिंह डा. राम मनोहर लोहिया की किताब समता और सम्पन्नता पढ रहे थे. 

इधर, आप्रवासियों को वापस लाने की अनुमति संबंधी गाइडलाइन जारी होने के बाद बिहार सरकार ने साफ कह दिया है कि बसें चलाकर लोगों को सुरक्षित और व्यवस्थित ढंग से वापस ला पाना संभव नहीं है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज उन्‍हें लाने की तैयारियों और स्थिति को ले अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा बैठक भी किया. वहीं, इस मुद्दे पर तेजस्‍वी यादव ने कहा कि अगर बिहार सरकार के पास संसाधनों की कमी है तो वे बिहारियों की वापसी के लिए दो हजार बसें देने को तैयार हैं. 

उन्‍होंने तंज कसा कि 15 साल के सुशासन का भांडा फूट गया है. जबकि राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने नीतीश कुमार का नाम लिए बिना इशारे में कहा है कि आज उनका वक्त है, कल जनता जरूर जवाब देगी. वहीं, बुधवार को आप्रवासियों को वापस लाने के संबंध में केंद्र सरकार की अनुमति मिलने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा था कि उनके प्रस्ताव को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने स्वीकार कर लिया है. इसके बाद वापसी के तरीके और व्यवस्था को लेकर दिक्कतों का अनुमान लगाने के बाद आज बिहार सरकार ने स्पेशल ट्रेन चलाने का उपाय सुझाया. 

जानकारों के अनुसार एक मोटे आकलन के अनुसार 35 से 40 लाख लोगों को बाहर से बिहार लाया जाना है. केंद्रीय गृह मंत्रालय की गाइडलाइन है कि लोगों को विभिन्न प्रदेशों से बसों से लाना होगा. बिहार सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस संबंध में मंथन किया और पाया कि इतनी बडी संख्या को देखते हुए यह संभव नहीं कि इन्हें बस से लाया जा सके. इसीलिए स्पेशल ट्रेन चलाने की मांग की गई. 

उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भी इस आशय का एक ट्वीट भी किया है. पूर्व में भी मुंबई और अन्य जगहों से कोरोना काल में रेलवे ने दो विशेष ट्रेनें चलाई थीं. मुख्यमंत्री के कहने पर उनके ठहराव स्थल तय किए गए थे. अप्रवासियों की संख्या के आकलन का आधार लॉकडाउन की वजह से बाहर फंसे अप्रवासी बिहारियों के खाते में एक एक हजार रुपए भेजे जाने की व्यवस्था है. अब तक 28 लाख लोगों ने इसके लिए आवेदन किया है. यह संख्या बढ भी सकती है. इसके अलावा चार-पांच लाख विद्यार्थी व अन्य लोग हो सकते हैं. ऐसे में आप्रवासी अगर बस से आए तो यह सिलसिला महीनों चल सकता है.
 

Web Title: Nitish Kumar government It is not possible to bring bus by bus, the central government should give special train

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