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NDA में भाजपा के सबसे पुराने सहयोगी ने कहा, '2019 में 100-110 सीटों पर सिमट जाएगी BJP'

By खबरीलाल जनार्दन | Updated: March 22, 2018 07:55 IST

हम अविश्वास प्रस्ताव तक एनडीए के सदस्य होने के नाते बीजेपी के साथ हैं। लेकिन बीजेपी का दंभ 2019 में टूट जाएगा। यह बयान बीजेपी सबसे पुराने सहयोगी दल के प्रमुख नेता का है।

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अगले साल होने जा रहे लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) 100-110 सीटों पर सिमट जाएगी। ये कहना राष्ट्रीय जनतांत्रिक संगठन (एनडीए) में बीजेपी के सहयोगी दल शिव सेना के प्रमुख नेता व सांसद संजय राउत का। मिंट को दिए एक साक्षात्कार में संजय राउत ने बीजेपी संग रिश्तों, अविश्वास प्रस्ताव के दौरान अपनी पार्टी के रुख, साल 2019 में चुनाव लड़ने आदि के बारे में खुलकर बात की है।

अविश्वास प्रस्ताव पर बीजेपी का साथ देगी शिव सेना

शिव सेना नेता संजय राउत का कहना है कि वे सदन में अगर अविश्वास प्रस्ताव आया तो गठबंधन का हिस्सा होने के नाते शिवसेना, बीजेपी का साथ देगी। उनके मुताबिक अविश्वास प्रस्ताव विपक्ष का एक 'अपरिपक्व कदम' होगा। क्योंकि एनडीए और बस बीजेपी के पास भी पांच साल पूरी सरकार चलाने के लिए सदन में आवश्यक नंबर मौजूद है। ऐसे में शिव सेना का इस अविश्वास प्रस्ताव के साथ जाने का कोई औचित्य नहीं है।

BJP दंभ चकनाचूर हो जाएगा अगर अकेले आम चुनावों में उतर गई

संजय राउत का कहना है कि बीजेपी फिलहाल बड़े दंभ में है। इसलिए वह अपने गठबंधन के दूसरे दलों की अनदेखी कर रही है। लेकिन अगर कहीं बीजेपी आगामी लोकसभा चुनावों में अकेले मैदान में उतर गई तो निश्‍चित तौर पर 100 से 110 सीटों पर सिमट जाएगी।

उत्तर प्रदेश के उपचुनावों ने नया अंकगणित बना दिया है

मिंट को दिए गए साक्षात्कार में संजय राउत ने उत्तर प्रदेश के हालिया उपचुनावों में बीजेपी की हार से ज्यादा दो दुश्मनों के मेल के तौर पर देखा। उनका कहना है कि इन परिणामों ने नये अंकगणित तैयार कर दिया है। दो बेहद उलट धाराओं के राजनीतिक दुश्मन पार्टियां एक साथ आईं। इससे बीजेपी को समझना चाहिए कि देश की दूसरी पार्टियां भी उसके खिलाफ साथ आ सकती हैं। और इसके नतीजे वैसे होंगे जैसे गोरखपुर और फूलपुर में हुए। ना कि जैसे 2014 में थे।

क्या कांग्रेस के साथ जाएगी शिव सेना

संजय राउत के अनुसार शिव सेना कभी कांग्रेस के नेतृत्व में राजनीति नहीं की है। हालांकि इस वक्त देश में लोकतंत्र को बचाए रखने के लिए एक बेहतर विपक्ष की जरूरत है। ना कि इस बात पर अधिक जोर देने कि कौन किसके साथ काम रहा है।

कांग्रेस देश में एंटी-बीजेपी माहौल बनाने के लिए लगा रही है दम

शिव सेना, बीजेपी के सबसे पुराने साथ‌ियों में है। लेकिन हालिया दिनों में हुए बदलावों में यही पार्टी बीजेपी विरोधी माहौल का सबसे अहम हिस्सा बनने जा रही है। उधर, उत्तर-प्रदेश के गोरखपुर-फूलपुर नतीजों के ऐन पहले सोनिया गांधी ने अपने निवास पर सभी विपक्षी दलों को डिनर पार्टी पर बुलाकर एक एंटी-बीजेपी सम्मेलन का आयोजन किया। इसके पहले इंडिया टुडे के कॉन्‍क्लेव में सोनिया गांधी ने मुखर होकर बोली थीं कि 2019 में किसी हाल में बीजेपी को सत्ता में नहीं आने देंगी।

इसी बीच टीडीपी ने एनडीए का साथ छोड़ा और बीजेपी सरकार के खिलाफ लाए जा रहे अविश्वास प्रस्ताव को समर्थन देने की घोषणा कर दी। अनुप्र‌िया पटेल के नेतृत्व वाली अपना दल के भी बीजेपी के नाराज होने की खबरें उड़ रही हैं। इसी बीच एक अहम राजनैतिक घटनाओं में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) का साथ आकर गैर-बीजेपी, गैर-कांग्रेसी, थर्ड फ्रंट की संरचना पर विचार किया। जबकि यूपी में बीएसपी और एसपी, बीजेपी खिलाफ साथ आईं और आगे भी उनके साथ रहने की उम्मीद है।

कांग्रेस का नये संकल्प में है दूसरे दलों को खींचने की ताकत

पिछले सप्ताह नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार को दिल्ली आने का न्योता ‌चे चुके हैं। बीजेपी विरोधी गठबंधन में वे प्रमुख भूमिका अदा कर सकते हैं। इसलिए कांग्रेस अध्यक्ष ने शरद पवार से मुलाकात के लिए आगे बढ़ रहे हैं। फिलहाल बीजेपी विरोध के बन रहे गठबंधन का नेतृत्व कांग्रेस कर रही है। इसलिए कांग्रेस के 84वें महाधिवेशन में कांग्रेस ने दो नये संकल्पों का आह्वान किया।

1- सभी समान विचारधारा वाले दलों का एक आपसी सहयोग के लिए  व्यावहारिक दृष्टिकोण तैयार करना2- एंटी-बीजेपी मोमेंट के लिए 'एक आम व्यावहारिक कार्यक्रम' 

2019 के आम चुनाव में अकेले उतरेगी शिव सेना

शिव सेना के एक प्रमुख नेता ने मिंट से नाम ना जाहिर की शर्त पर साफ कहा कि आगामी लोकसभा चुनावों को लेकर शिव सेना पूरा मन बना चुकी है। इस बार शिव सेना एनडीए के साथ चुनाव लड़ने के बजाए अकेले मैदान में उतरेगी। हालांकि इस पर आखिरी मुहर साल 2019 के करीब आते-आते देश की राजनीति में हो रहे उतार-चढ़ावों को देखते हुए लगेगी। लेकिन पार्टी की मौजूदा हालात इसी ओर इशारा कर रहे हैं।

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