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MP Political Crisis: शशि थरूर का बड़ा सवाल- भगवा होने के लिए अगवा होना जरूरी है क्या?

By रामदीप मिश्रा | Updated: March 13, 2020 15:30 IST

मध्य प्रदेशः कमलनाथ ने शुक्रवार की सुबह 11 बजे राज्यपाल से राजभवन में मुलाकात की और राज्यपाल टंडन को तीन पृष्ठों का एक पत्र सौंपा। कांग्रेस प्रवक्ता द्वारा मीडिया को जारी इस पत्र में कमलनाथ ने 16 मार्च से शुरु होने वाले बजट सत्र के दौरान शक्ति परीक्षण कराने की अपनी इच्छा व्यक्त की है।

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ठळक मुद्देकांग्रेस दिग्गज नेता शशि थरूर ने बीजेपी पर हमला बोला है। शशि थरूर ने पूछा है कि भगवा होने के लिए अगवा होना जरूरी है क्या?

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शुक्रवार को भोपाल में राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने एक पत्र सौंपा, जिसमें बीजेपी पर कांग्रेस के विधायकों को बंधक बनाए रखने और विधायकों की खरीद-फरोख्त करने का आरोप लगाया है। इसको लेकर कांग्रेस दिग्गज नेता शशि थरूर ने बीजेपी पर हमला बोला है। 

शशि थरूर ने एक समाचार वेबसाइट की खबर को रिट्वीट करते हुए कहा, 'भगवा होने के लिए अगवा होना जरूरी है क्या?' दरअसल,  कमलनाथ ने शुक्रवार की सुबह 11 बजे राज्यपाल से राजभवन में मुलाकात की और राज्यपाल टंडन को तीन पृष्ठों का एक पत्र सौंपा। कांग्रेस प्रवक्ता द्वारा मीडिया को जारी इस पत्र में कमलनाथ ने 16 मार्च से शुरु होने वाले बजट सत्र के दौरान शक्ति परीक्षण कराने की अपनी इच्छा व्यक्त की है।

कमलनाथ ने पत्र में तीन मार्च की रात और चार मार्च से 10 मार्च तक हो रहे राजनीतिक घटनाक्रम का उल्लेख करते हुए इस दौरान खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया। उन्होंने पत्र में इन परिस्थितियों को मद्देनजर लोकतंत्र को खतरे में बताया। विधायकों के इस्तीफे पर कमलनाथ ने पत्र में कहा है कि बीजेपी नेताओं द्वारा सौंपे गए कांग्रेस के इन विधायकों के त्यागपत्र की हम जांच कराए जाने की आपसे उम्मीद करते हैं। मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में राज्यपाल से बेंगलुरु में बंधक बनाकर रखे गए इन विधायकों को मुक्त कराया जाना सुनिश्चित करने के लिए अपने कार्यालय का उपयोग करने के लिए भी कहा है। 

गौरतलब है कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने से मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार संकट में आ गई है। सिंधिया समर्थक कांग्रेस के 22 बागी विधायकों ने भी त्यागपत्र दे दिया है। इनमें से अधिकतर विधायक बेंगलुरु में ठहरे हुए हैं और कांग्रेस ने इन विधायकों के भाजपा के 'कब्जे; में होने और दबाव में आकर त्यागपत्र देने का आरोप लगाया है। वहीं, विधानसभा अध्यक्ष एन.पी प्रजापति ने कहा कि विधायक सामने आकर त्यागपत्र देंगें तब नियमानुसार इन पर कार्रवाई की जाएगी। अध्यक्ष ने इस मामले में विधायकों को नोटिस जारी किया है।

मालूम हो कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस के बागी हुए 22 विधायकों में से 19 सिंधिया समर्थक विधायकों ने बेंगलुरु से अपने त्यागपत्र ई मेल के जरिए दो दिन पहले राजभवन भेजे थे। इनमें सिंधिया समर्थक प्रदेश सरकार के छह मंत्री भी शामिल हैं। राज्यपाल को त्यागपत्र भेजने वाले मंत्रियों तुलसी सिलावट, गोविंद सिंह राजपूत, डॉ प्रभुराम चौधरी, इमरती देवी, प्रद्युन्न सिंह तोमर और महेन्द्र सिंह सिसोदिया ने मंगलवार को ई मेल किया था। जबकि इस्तीफा देने वाले विधायकों में हरदीप सिंह डंग, राज्यवर्धन सिंह, ब्रजेन्द्र सिंह यादव, जसपाल जज्जी, सुरेश धाकड़, रक्षा संतराम सिरोनिया, मुन्नालाल गोयल, रणवीर सिंह जाटव, ओपीएस भदोरिया, कमलेश जाटव, गिरीराज दंडोदिया, रघुराज कंषाना, एंदल सिंह कंषाना और बिसाहूलाल सिंह शामिल हैं। 

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