मध्य प्रदेश उपचुनाव: शराब-नोट की दम पर वोट खरीदने वालों के खिलाफ आदिवासियों ने लिया ये बड़ा फैसला

By IANS | Published: February 11, 2018 01:32 PM2018-02-11T13:32:07+5:302018-02-11T13:34:14+5:30

कोलारस विधानसभा क्षेत्र के मानपुर गांव में लगी पंचायत में सहरिया आदिवासियों ने नोट की दम पर वोट खरीदने वालों के खिलाफ आम सहमति से फैसला लिया है।

MP bypoll: Tribal people will not give vote to those who distributing liquor and notes | मध्य प्रदेश उपचुनाव: शराब-नोट की दम पर वोट खरीदने वालों के खिलाफ आदिवासियों ने लिया ये बड़ा फैसला

मध्य प्रदेश उपचुनाव: शराब-नोट की दम पर वोट खरीदने वालों के खिलाफ आदिवासियों ने लिया ये बड़ा फैसला

आम मान्यता है कि शराब और नोट के बल पर गरीबों और आदिवासियों का वोट खरीदा जा सकता है, लेकिन मध्यप्रदेश के शिवपुरी के कोलारस विधानसभा क्षेत्र के आदिवासियों ने फैसला कर लिया है कि जिस दल का उम्मीदवार या उसके समर्थक शराब व नोट बांटेंगे, वे (आदिवासी) उसके समर्थन में मतदान नहीं करेंगे, वहीं शराब या रकम लेने वाले पर जुर्माना लगाएंगे। 

कोलारस विधानसभा क्षेत्र के मानपुर गांव में शनिवार को 20 से ज्यादा गांव के प्रमुखों की पंचायत लगी थी। इस पंचायत में पहुंचे सहरिया आदिवासियों ने सर्व सम्मति से फैसला लिया है कि वे ऐसे व्यक्ति या दल को वोट देंगे जो उनकी जरूरतों को पूरा करेगा। 

सेमरी गांव के लक्ष्मण सहरिया ने बताया, "मेरे गांव सहित आसपास के कई गांवों में पूरी तरह शराबबंदी है। यहां ताश भी कोई नहीं खेल पाता है। जो ऐसा करता है, उस पर समाज कार्रवाई करता है। यही कारण है कि बीते पांच माह में गांव में पूरी तरह शराबबंदी हो चुकी है।"

सोनपुरा के मांगीलाल बताते हैं कि उनके यहां शराबबंदी से गांव में शांति आई है, परिवारों की बचत बढ़ी है, झगड़े झंझट कम होने लगे हैं, अगर चुनाव में यहां के माहौल को बिगाड़ने की कोशिश की गई तो उनका समाज उस दल के उम्मीदवार को किसी भी सूरत में वोट नहीं देगा।

गणेशखेड़ा के बबलेश ने बताया कि गांव में हुई शराबबंदी ने हालात ही बदल दिए हैं। अगर प्रतिशत में कहा जाए तो 70 फीसदी बदलाव आ गया है, मजदूरी से आने वाले पैसे की बचत होने लगी है, यही कारण है कि गांव में आठ परिवारों में मोटरसाइकिल खरीद ली गई है।

सामाजिक कार्यकर्ता राम प्रकाश का कहना है कि इस इलाके में आदिवासियों के 170 गांव हैं, जिनमें से 140 में पूरी तरह शराबबंदी हो चुकी है। यह काम आसान नहीं था, शुरू में तो लोग लड़ने और मारने पीटने तक को तैयार हो जाते थे। एक बार तो मुंडन तक करा दिया। बाद में लोगों की समझ में आया कि शराब बुरी लत है और साथ मिलता गया। आज स्थिति यह है कि बड़ी संख्या में लोग जुड़ते गए। आज स्थिति यही है कि हजारों लोग इस अभियान का हिस्सा बन गए हैं।

मानपुर की संतो बाई ने बताया कि अब उनका जीवन शांतिपूर्ण हो गया है, पहले हाल यह था कि परिवारों में कभी खाना खाते थे, तो कभी खाना फेंक देते थे, गाली-गलौज करते थे, पैसे की बर्बादी होती थी, अब ऐसा नहीं है।

सहरिया आदिवासियों में आया बदलाव नजर आने लगा है। लोगों के रहन-सहन से लेकर उनके तौर तरीके में बदलाव आया है। यह सब शराबबंदी के चलते हुआ है। इस चुनाव में आदिवासियों ने शराब और नोट न लेने का फैसला कर उन उम्मीदवारों के सामने सवाल खड़े कर दिए हैं, जो आदिवासियों को 'खरीदने' का मन बनाए बैठे थे।

Web Title: MP bypoll: Tribal people will not give vote to those who distributing liquor and notes

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