फूलपुर सीट से चुनाव लड़ सकती हैं मायावती, गुरु की राह चलेंगी BSP सुप्रीमो!

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: February 14, 2018 08:08 PM2018-02-14T20:08:39+5:302018-03-05T14:24:32+5:30

अटकलें तेज हो रही हैं गई है कि मायावती अपने राजनैतिक गुरु और बीएसपी के संस्‍थापक कांशीराम के रास्ते पर चलने वाली हैं।

Mayawati may fight on Phoolpur Loksabha Seat | फूलपुर सीट से चुनाव लड़ सकती हैं मायावती, गुरु की राह चलेंगी BSP सुप्रीमो!

फूलपुर सीट से चुनाव लड़ सकती हैं मायावती, गुरु की राह चलेंगी BSP सुप्रीमो!

पिछले साल जुलाई में बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष (बीएसपी) मायावती ने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया। दरअसल मायावती का कहना था कि सहारनपुर हिंसा में दलितों पर अत्याचार किया गया हैं, और जब वह अपनी बात को सदन में रखी तो उन्हें बोलने नहीं दिया गया। इस बात से नाराज मायावती ने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया। और उनके इस्तीफा देने के कुछ ही देर बार बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव ने उन्हें बिहार से राज्यसभा दोबारा भेजने का आश्वासन दे दिया।

मायावती ने सिर्फ 9 महीने पहले ही क्यों दिया राज्यसभा से इस्तीफा

मायावती का इस्तीफा देना मास्टर प्लान माना जा रहा हैं क्यों हमेशा दलितों और मुसलमानों की राजनीत‌ि करने वाली मायावती 2019 चुनाव से पहले अपने दलित वोट को बटोरना चाहती हैं। वह राज्यसभा में दलितों के मुद्दे को उठाकर उनके नजरों में आना चाहती हैं।

मायावती का राजनीतिक करियर

अगर हम मायावती के राजनैतिक कॅरियर की बात करें तो कुछ लोगों का मानना हैं कि मायावती कॅरियर की ढलान पर खड़ी हैं। क्योंकि पिछले कुछ सालों से आंकड़े ऐसे ही आ रहे हैं। 2012 में विधानसभा चुनाव हारने के बाद मायावती ने विधान परिषद जाने का फैसला किया। उसके बाद 2014 में हुए आम चुनाव में तो पार्टी को लोकसभा की एक सीट पर जीत नहीं मिली। और पिछले साल हुए विधानसभा की चुनाव में तो पार्टी 19 सीटों पर सिमट कर रह गई। मायावती के पास इतने विधायक भी नहीं हैं जो उन्हें दोबारा राज्यसभा में भेज सकें। 

काशीराम के रास्ते चलने वाली हैं मायावती

अटकलें तेज हो रही हैं गई है कि मायावती अपने राजनैतिक गुरु और बीएसपी के संस्‍थापक कांशीराम के रास्ते पर चलने वाली हैं। वह काशीराम की तरह उत्तर प्रदेश में अपनी जमीन दोबारा ढूंढ़ने के लिए फूलपुर सीट से मैदान में उतरेंगी। उत्तर प्रदेश की फूलपुर और गोरखपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव के ऐलान हो चुके हैं। इन दोनों सीटों पर 11 मार्च को मतदान होंगे और 14 मार्च को परिणाम घोषित किए जाएंगे। पिछले साल यूपी विधानसभा चुनाव के बाद योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री और केशव प्रसाद मौर्या के उप मुख्यमंत्री बनने के बाद ये दोनों लोकसभा सीटें खाली हो गई हैं। फूलपुर सीट अर्से तक कांग्रेस की रही है। आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने पहला चुनाव यही से लड़ा। यहीं से कांग्रेस के विश्वप्रताप सिंह ने चुनाव जीते थे, जो आगे चलकर प्रधानमंत्री बने। यह वही लोकसभा की सीट है जहां 1962 में सामाजवादी नेता राममनोहर लोहिया, नेहरू के विजयी रथ को रोकने उतरे थे। इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के संस्थापक कांशीराम 1996 में अपना किस्मत अजमा चुके हैं। माना जा रहा हैं किअपने गुरु के बाद अब मायावती भी इसी सीट पर अपनी खोई हुई विरासत को पाने के लिए लौटेंगी।

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मायावती के लिए आसान नहीं है इस सीट पर चुनाव जीतना

दलितों के बीच बीजेपी का लगाव लगातार बढ़ रहा है। रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति के राष्ट्रपति उम्मीदवार चुनने के बाद बीजेपी में भी दलितों का एक वर्ग सक्रिय हुआ है। इसलिए दलितों के बीच पकड़ बनाए रखना बीएसपी के लिए आसान नहीं होगा। पुराने फॉर्मूले बीजेपी को दलित विरोधी बताकर वोट बटोरने में भी बीएसपी को मुश्किलें आएंगी। बीएसपी के लिए एक और बड़ी चिंता दलितों के बीच भीम आर्मी सरीखे संगठनों की लोकप्रियता बढ़ना भी है।
 
मायावती के करियर पर एक नजर

यह दिलचस्प बात है कि मायावती बीजेपी की सरकार आने के बाद से ही अपने सबसे मुश्किल दौर से गुजर रही है तो वर्ष 1995 में उन्होंने पहली बार सूबे की बागडोर बीजेपी के समर्थन से संभाली थी। पहली दलित मुख्यमंत्री बनी मायावती 1984 में कांशीराम के संपर्क में आने के बाद उत्तर प्रदेश की पहली दलित मुख्यमंत्री बनी। वर्ष 1989 में वह बिजनौर लोकसभा सीट से पहली बार सांसद चुनी गईं। वर्ष 1994 में वह पहली बार राज्यसभा के लिए चुनी गईं। मायावती चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। 

रिपोर्टः प्रिंस रॉय

Web Title: Mayawati may fight on Phoolpur Loksabha Seat

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