यूपी चुनाव के लिए सोशल इंजीनियरिंग में जुटीं मायावती कहा, 'बीजेपी ने ब्राह्मणों को दिया धोखा'
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 18, 2021 04:52 PM2021-07-18T16:52:32+5:302021-07-18T17:00:46+5:30
2007 चुनाव में बीएसपी ने ओबीसी, दलितों, ब्राह्मणों और मुसलमान वोटों का तालमेल बना 30 प्रतिशत वोट प्राप्त कर सरकार बनाई थी। ब्राह्मणों को अपने साथ लाने के लिए मायावती ने उस वक्त 'हाथी नहीं गणेश हैं' का नारा दिया था, बसपा इसी फॉर्मूले के आधार पर फिर एक बार चुनावी जमीन पर उतरने की कवायद में है।
यूपी में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपनी राजनीतिक बिसात बिछानी शुरू कर दी हैं। मायावती ने एक बार फिर दलित-ब्राह्मण कार्ड का दांव चला हैं। रविवार को इसका ऐलान करते हुए मायावती ने कहा कि ब्राह्मणों ने पिछले चुनावों में बीजेपी के साथ दिया था लेकिन बीजेपी ने यूपी के ब्राह्मणों को केवल धोखा दिया हैं। मायावती ने बताया कि अयोध्या में 23 जुलाई से उनकी पार्टी प्रदेश भर में ब्राह्मण सम्मेलन आयोजित करने की शुरुआत करने जा रही हैं। प्रदेश के 18 मंडलों में आयोजित होने जा रहे इन सम्मेलनों की जिम्मेदारी पार्टी महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा को सौंपी गई है। मायावती ने 2007 का जिक्र करते हुए कहा कि बीएसपी सरकार में ब्राह्मण समाज का उचित मान सम्मान रखा गया था लेकिन 2017 में बहकावे में आकर ब्राह्मणों ने बीजेपी को वोट दे दिया, जिसका कोई फायदा ब्राह्मण समाज को नहीं मिला। दलितों का उदाहरण देते हुए मायावती ने कहा कि "बीजेपी के कई षड्यत्रों के बावजूद भी दलित समाज ने हमेशा बीएसपी का साथ दिया, ब्राह्मण समाज को भी दलितों से प्रेरणा लेनी चाहिए" मायावती ने उम्मीद जताई कि ब्राह्मण समाज के लोग बीएसपी से जुड़कर एक बार फिर से सर्व समाज की सरकार बनवाएंगे।
बसपा का ब्राह्मण सम्मेलन 2007 के चुनावी अभियान की तर्ज पर होगा। शुक्रवार को लखनऊ में पूरे प्रदेश से 200 से ज्यादा ब्राह्मण नेता और कार्यकर्ता बसपा दफ्तर पहुंचे थे, जहां आगे की रणनीति पर चर्चा हुई थी।
2007 में इसी सोशल इंजीनियरिंग की तर्ज पर यूपी में पूर्ण बहुमत की सरकार बना, मायावती ने सभी को चौंका दिया था। इन चुनावों में बीएसपी ने ओबीसी, दलितों, ब्राह्मणों और मुसलमानों का तालमेल बना 30 प्रतिशत वोट प्राप्त कर सरकार बनाई थी। ब्राह्मणों को अपने साथ लाने के लिए मायावती ने उस वक्त 'हाथी नहीं गणेश हैं' का नारा दिया था, बसपा इसी फॉर्मूले के आधार पर फिर एक बार चुनावी जमीन पर उतरने की कवायद में है।