'मुंबई को करो कर्नाटक में शामिल'! किसने दिया ये बयान, जानिए महाराष्ट्र-कर्नाटक के बीच सीमा विवाद की पूरी कहानी
By विनीत कुमार | Published: January 28, 2021 11:42 AM2021-01-28T11:42:30+5:302021-01-28T13:20:24+5:30
महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद पुराना है। एक बार फिर ये विवाद तूल पकड़ने लगा है। उद्धव ठाकरे के एक बयान के बाद कर्नाटक के डिप्टी सीएम ने मांग की है कि मुंबई को कर्नाटक में शामिल किया जाना चाहिए।
महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद (Maharashtra-Karnataka border issue) एक बार फिर जोर पकड़ने लगा है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्दव ठाकरे के विवादित क्षेत्रों को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग के बीच अब कर्नाटक के डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी ने पलटवार करते हुए कहा है कि मुंबई को कर्नाटक में शामिल किया जाना चाहिए।
न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार सावदी ने आगे कहा कि जब तक मुंबई को कर्नाटक में शामिल नहीं किया जाता तब तक कम से कम उसे केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर देना चाहिए। जाहिर है मुंबई पर बात आने के बाद ये विवाद और तूल पकड़ सकता है।
महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद: उद्धव ठाकरे ने क्या कहा था
उद्धव ठाकरे का बयान बुधवार को आया था। दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद पर लिखी किताब का विमोचन करने के मौके पर उद्धव ठाकरे ने कहा कि सीमा से लगते कर्नाटक के मराठी भाषी बहुल इलाकों को सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला आने तक केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया जाना चाहिए।
उन्होंने साथ ही कहा कि इन इलाकों को महाराष्ट्र में शामिल करने के मामले में जीतने के लिए लड़ने की जरूरत है।
उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘जब मामले की सुनवाई कोर्ट में चल रही है, कर्नाटक ने बेलगाम का नाम बदलकर उसे अपनी दूसरी राजधानी घोषित कर दी और वहां विधानमंडल की इमारत का निर्माण किया और वहां विधानमंडल का सत्र आयोजित किया। यह अदालत की अवमानना है।’
महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद क्या है?
दरअसल, आजादी से पहले महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्य नहीं थे। उस समय बॉम्बे प्रेसीडेंसी और मैसूर स्टेट हुआ करते थे। ये दोनों जब राज्य बने तो कई सीमावर्ती इलाकों को लेकर दोनों राज्यों के बीच अभी विवाद है।
दरअसल अभी के कर्नाटक के कई इलाके तब बॉम्बे प्रेसीडेंसी का हिस्सा थे। 1956 में राज्य पुनर्गठन कानून लागू हुआ तो बेलगाम को महाराष्ट्र की जगह मैसूर स्टेट का हिस्सा बनाया गया।
मैसूर स्टेट का नाम बदलकर 1973 में कर्नाटक हो गया। बेलगाम में कई लोग मराठी बोलने वाले भी हैं। ऐसे में इसे कई बार महाराष्ट्र का हिस्सा बनाने की मांग होती रही है।
महाराष्ट्र साथ ही करवार और निप्पनी सहित कर्नाटक के कई और हिस्सों पर दावा करता है, उसका तर्क है कि इन में बहुमत आबादी मराठी भाषी है।
महाजन आयोग की रिपोर्ट को दोनों राज्य कर चुके हैं इनकार
1957 में महाराष्ट्र सरकार ने बेलगाम को कर्नाटक का हिस्सा बनाने का विरोध किया। इसके बाद मामले की निपटारे के लिए रिटायर्ड जज मेहर चंद महाजन की अध्यक्षता में आयोग (Mahajan Commission) बना।
आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि उत्तर कन्नड़ जिले में आने वाले कारवाड सहित 264 गांव के साथ ही हलियल और सूपा इलाके के 300 गांव भी महाराष्ट्र को दिए जाएं।
इस रिपोर्ट में भी बेलगाम शहर को महाराष्ट्र में शामिल किए जाने की सिफारिश नहीं की गई। रिपोर्ट में महाराष्ट्र के सोलापुर समेत 247 गांवों के साथ केरल का कासरगोड जिला कर्नाटक को भी देने की बात कही गई।
महाराष्ट्र और कर्नाटक, दोनों ने इन सिफारिशों को मानने से इनकार कर दिया था। साल 2004 में महाराष्ट्र सरकार मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट गई और ये अभी भी लंबित पड़ा है।
(भाषा इनपुट)