भोपाल, 20 अक्टूबरः अगर किसी से सवाल किया जाए कि मध्य प्रदेश चुनाव में बीजेपी के लिए सबसे मजबूत सीटें कौन सी हैं तो उनमें शुरुआती नाम भोपाल की गोविंदपुरा विधानसभा सीट का आएगा। इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने 10 बार चुनाव चुनाव जीतकर विधानसभा में प्रवेश किया है। लेकिन 2018 चुनाव से पहले कुछ कार्यकर्ताओं ने बगावती सुर अपना लिए हैं। बैनर-पोस्टर के जरिए पार्टी पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि परिवारवाद को बढ़ावा मिल रहा है और कार्यकर्ताओं की अनदेखी की जा रही है।
सद्बुद्धि के लिए सुंदरकांड
दरअसल, चुनाव पूर्व सुगबुगाहट है कि पार्टी बाबूलाल गौर की उम्र का हवाला देते हुए उनकी बहू कृष्णा गौर को टिकट दे सकती है। इससे पार्टी के कई कार्यकर्ता निराश हैं। शक्तिनगर इलाके में मंगलवार को बीजेपी नेताओं को सद्बुद्धि देने के लिए सुंदरकांड का आयोजन किया गया। इस सुंदरकांड कांड के जरिए पार्टी में वंशवाद और परिवारवाद मिटाने का संकल्प लिया गया।
कांग्रेस को मिला मुद्दा
अक्सल वंशवाद के उलाहने झेलने वाली कांग्रेस पार्टी को विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुद्दा मिल गया है। कांग्रेस ने बीजेपी पर परिवारवाद को बढ़ाने का आरोप लगाया है और इस क्रम में अनुराग ठाकुर, पंकज सिंह और प्रवेश साहिब सिंह वर्मा जैसे कई उदाहरण दे डाले।
गोविंदपुरा की अहमितयत
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की एक अहम सीट मानी जाती है गोविंदपुरा। यहां के 50 फीसदी मतदाता पिछड़ी जातियों से आते हैं। यहां पिछले 44 सालों से बीजेपी के कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर जीत दर्ज करते रहें हैं। इस वजह से गोविंदपुरा को बीजेपी की सबसे सुरक्षित सीट माना जाता है।
2013 के चुनाव में बाबूलाल गौर ने कांग्रेस के गोविंद गोयल को 70 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। इससे पहले 2008 के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस की उम्मीदवार विभा पटेल को 33 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। हालांकि, उम्र को देखते हुए अगर बीजेपी बाबूलाल को टिकट नहीं देती है तो उनकी बहू कृष्णा गौर फिलहाल टिकट की दौड़ में सबसे ऊपर हैं। इसी आशंका से जमीनी कार्यकर्ता नाराज हैं।