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Madhya Pradesh में 24 विधानसभा सीट पर उपचुनावः इंदिरा गृह ज्योति योजना और बिजली कटौती को मुद्दा बनाएगी कांग्रेस 

By भाषा | Updated: May 18, 2020 16:37 IST

मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार चली जाने के बाद से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और कांग्रेस के कई नेता यह दावा करते रहे हैं कि उपचुनाव के पहले भाजपा में भूचाल आएगा, भाजपा के कई नेता कांग्रेस के संपर्क में है।

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ठळक मुद्दे बिजली के भारी भरकम बिलों एवं बिजली के ट्रांसफार्मरों के खराब रखरखाव को अपने प्रमुख मुद्दों में शामिल करेगी।कांग्रेस नेता एवं मध्य प्रदेश के पूर्व ऊर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह ने सोमवार को वीडियो कांफ्रेंस के जरिए एक सवाल के जवाब में यह बात कही।

भोपालः मध्य प्रदेश की मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस प्रदेश में 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले आगामी उपचुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा द्वारा घरेलू उपभोक्ताओं के लाभ के लिए पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार की 'इंदिरा गृह ज्योति योजना' को बंद करने एवं कथित रूप से बिजली कटौती को प्रमुख मुद्दा बनाएगी।

इसके अलावा, कांग्रेस घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली के भारी भरकम बिलों एवं बिजली के ट्रांसफार्मरों के खराब रखरखाव को अपने प्रमुख मुद्दों में शामिल करेगी। कांग्रेस नेता एवं मध्य प्रदेश के पूर्व ऊर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह ने सोमवार को वीडियो कांफ्रेंस के जरिए एक सवाल के जवाब में यह बात कही।

हालांकि, अभी इन उपचुनावों की तिथि घोषित नहीं हुई है। सिंह ने कहा, ''हमारी पूर्ववर्ती सरकार द्वारा घरेलू उपभोक्ताओं के लाभ के लिए शुरू की गई इंदिरा गृह ज्योति योजना से प्रदेश की 98 प्रतिशत लोग खुश थे लेकिन हमारी सरकार गिरने के बाद शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में आई भाजपा सरकार ने यह योजना बंद कर दी, जिससे बिजली के भारी भरकम बिल आ रहे हैं और लोग परेशान हैं।'' उन्होंने कहा कि हम इस योजना को फिर से लागू करवाने के लिए सड़क पर भी उतरेंगे।

सिंह ने प्रदेश की भाजपा नीत सरकार पर आरोप लगाया कि कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए लागू लॉकडाउन के चलते प्रदेश में बिजली की मांग कम होने के बावजूद पूरे राज्य में बड़े पैमाने पर बिजली कटौती की जा रही है। इससे पूरे प्रदेश में बिजली संकट पैदा हो गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘ जिन 24 सीटों पर उपचुनाव होना है, उनमें से अधिकांश ग्वालियर एवं मालवा इलाके की सीटें हैं। इन इलाकों में भी बिजली कटौती हो रही है। इन इलाकों में चार-चार घंटे बिजली कटौती हो रही है और मरम्मत के नाम पर बिजली के ट्रांसफार्मरों को उतार दिया जाता है और दोबारा लगाया ही नहीं जा रहा है। इससे जनता परेशान है।’’ सिंह ने कहा कि अपने आपको प्रदेश के बेटे-बेटियों के 'मामा' कहने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को इसकी कोई चिंता नहीं है।

उन्होंने बताया, ''इसलिए प्रदेश की 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में हम भाजपा सरकार द्वारा 'इंदिरा गृह ज्योति योजना' को बंद करने, बेहताशा बिजली कटौती करने, घरेलू उपभोक्ताओं के बिजली के भारी भरकम बिल आने एचं बिजली के ट्रांसफार्मरों का उचित रखरखाव न कराये जाने जैसे मुद्दों को प्रमुख मुद्दा बनाएंगे।'' सिंह ने मतदाताओं से अनुरोध किया कि वे इस उपचुनाव में सोच समझकर निर्णय करें। उन्होंने कहा कि यदि इन उपचुनावों के बाद कांग्रेस पुन: सत्ता में आती है, तो हम फिर जनता को 'इंदिरा गृह ज्योति योजना' का लाभ दिलाएंगे।

मालूम हो कि इंदिरा गृह ज्योति योजना में 150 यूनिट तक प्रति माह खपत करने वाले प्रत्येक घरेलू उपभोक्ता को 100 यूनिट बिजली मात्र 100 रुपये में दी जाती थी। वहीं, भाजपा ने इसके स्थान पर गरीबों के लिए 'संबल योजना' लागू की है जिसमें उपभोक्ता से 200 रुपये प्रतिमाह लिया जाता है, चाहे वह जितनी भी बिजली के यूनिट खपत करे। इसके आलवा, सिंह ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि दुकानदारों, व्यवसायियों एवं सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के छह महीने तक बिजली के बिल माफ किए जाएं, क्योंकि लॉकडाउन के कारण वे अपने संस्थान नहीं खोल सके हैं।

मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कुछ दिनों पहले दावा किया था कि जब इन 24 सीटों पर उपचुनाव होंगे तो कांग्रेस 20-22 सीटें जीतेगी और तब प्रदेश की भाजपा सरकार टिक नहीं पाएगी। मालूम हो कि कांग्रेस के 22 विधायकों के त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल होने के कारण कमलनाथ नीत कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई थी और उन्होंने 20 मार्च को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद इस साल 23 मार्च को शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा सरकार बनी।

प्रदेश विधानसभा की कुल 230 सीटों में से भाजपा के 107 विधायक हैं जबकि कांग्रेस के 22 विधायकों के त्यागपत्र देने के बाद 92 विधायक बचे हैं। इनके अलावा, चार निर्दलीय हैं, जबकि बहुजन समाज पार्टी के दो और समाजवादी का एक विधायक है। वर्तमान में विधानसभा की 24 सीटें रिक्त हैं, जिनमें से 22 कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे से खाली हुए हैं, जबकि दो सीटें भाजपा एवं कांग्रेस विधायक के निधन के बाद खाली हुई हैं। इस समय की प्रभावी संख्या 206 है तथा वर्तमान में सदन में बहुमत का आंकड़ा 104 है। 

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