लोकसभा चुनावः पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की कर्मभूमि बलिया, 2014 में भाजपा ने खाता खोला
By सतीश कुमार सिंह | Updated: April 20, 2019 15:11 IST2019-04-20T14:23:05+5:302019-04-20T15:11:18+5:30
लोकसभा सीट बलिया की धरती ने एक प्रधानमंत्री दिया। यह क्षेत्र पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की कर्मभूमि के नाम से जानी जाती है। बलिया लोकसभा सीट से पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर 8 बार सांसद रहे। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के पुत्र नीरज शेखर भी बलिया से सांसद रहे

पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर
लोकसभा में बलिया का योगदान अहम है। बलिया की धरती ने एक प्रधानमंत्री दिया। यह क्षेत्र पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की कर्मभूमि के नाम से जानी जाती है।
बलिया लोकसभा सीट से पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर 8 बार सांसद रहे। बलिया के निवासियों के विद्रोही तेवर के कारण इसे बागी बलिया के नाम से जाना जाता है।
बलिया 1 नवम्बर सन् 1879 में गाजीपुर से अलग हुआ। लगातार अशान्त रहने के कारण अग्रेजों ने इसे गाजीपुर से अलग कर दिया। उत्तर प्रदेश के संसदीय क्षेत्र में बलिया लोकसभा का अपना अहम योगदान है। ब्रिटिश राज में भी बलिया शहर अपने त्याग, बलिदान और साहस के लिए जाना गया।
इस शहर का आजादी की लड़ाई में अहम योगदान रहा। मंगल पांडे, चित्तू पांडे, जय प्रकाश नारायण और हजारी प्रसाद द्विवेदी समेत कई विभूतियों के अलावा चंद्रशेखर भी देश को दिया।
राजनीतिक इतिहास बेहद गौरवशाली रहा है
यहां का राजनीतिक इतिहास बेहद गौरवशाली रहा है। यह शहर गंगा और सरयू नदी के किनारे बसा है। बलिया के संसदीय इतिहास की बात की जाए तो यह सीट पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की सीट के लिए जानी जाती है।
चंद्रशेखर ने 1977 में बलिया से जीतकर पहली बार लोकसभा पहुंचे थे। 1980 के चुनाव में भी जीत हासिल की, लेकिन 1984 में हार गए। हालांकि इसके बाद वह यहां से लगातार 6 बार चुनाव जीते और उन्होंने 4 बार जगन्नाथ चौधरी (1980,1989, 1991,1996) को हराया।
चंद्रशेखर 10 नवंबर, 1990 में देश के नौंवे प्रधानमंत्री बने, लेकिन गठबंधन की यह सरकार महज 7 महीने ही चली और 21 जून 1991 को यह सरकार गिर गई।
8 बार यहां से सांसद रहे चंद्रशेखर का निधन जुलाई, 2007 में हो जाने से उपचुनाव कराया गया, जिसमें उनके बेटे नीरज शेखर ने जीत हासिल की। 2009 के लोकसभा चुनाव में भी नीरज को जीत मिली, लेकिन 2014 के चुनाव में नीरज को भरत सिंह ने हरा दिया।
बलिया संसदीय सीट से बीजेपी को पहली जीत 2014 में मिली। बलिया 1952 में गाजीपुर के साथ संयुक्त संसदीय क्षेत्र के रूप में शामिल था और राम नगीना सिंह यहां से पहले सांसद बने।
बलिया लोकसभा के अंतर्गत 5 विधानसभा सीट
बलिया संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत 5 विधानसभा (फेफना, बलिया नगर, बैरिया, जहूराबाद और मोहम्मदाबाद) क्षेत्र आते हैं और यह सभी पांचों सीट सामान्य वर्ग के लिए है। 2017 के विधानसभा चुनाव में बलिया के पांचों विधानसभा सीट पर भाजपा (4) और उसके साझीदार सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) (1) का कब्जा है।
बलिया की कुल आबादी 32.4 लाख
बलिया की कुल आबादी 32.4 लाख है, जो उत्तर प्रदेश का 29वां सबसे ज्यादा आबादी वाला जिला है। क्षेत्रफल में उत्तर प्रदेश का 31वां जिला है। 32.4 लाख की आबादी में पुरुषों की संख्या 52 फीसदी (16.7 लाख) और महिलाओं की संख्या 15.7 लाख (48 फीसदी) है। कुल आबादी में 81 फीसदी सामान्य वर्ग की है, जबकि 15 फीसदी आबादी अनुसूचित जाति और 3 फीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति की है।
92.79 फीसदी आबादी हिन्दू
धर्म पर आधारित आबादी के आधार पर देखा जाए तो 92.79 फीसदी लोग हिंदू हैं, जबकि यहां पर 6.61 फीसदी मुस्लिम समाज के लोग रहते हैं। इसके अलावा ईसाइयों की करीब 4 हजार आबादी भी बलिया में निवास करती है।