कृषि कानून पर हल्ला बोल, 500 ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के साथ टिकरी बॉर्डर पहुंचेंगे इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला
By बलवंत तक्षक | Published: January 6, 2021 12:24 PM2021-01-06T12:24:52+5:302021-01-06T12:32:22+5:30
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को फिर दोहराई और आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की उदासीनता एवं अहंकार के कारण किसान आंदोलन के दौरान 60 से अधिक किसानों की जान चली गई.
चंडीगढ़ः इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के वरिष्ठ नेता अभय सिंह चौटालाकिसान आंदोलन को समर्थन देने के लिए गुरुवार को 500 ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के साथ टिकरी बॉर्डर पर पहुंचेंगे.
चौटाला ने कहा कि अगर खट्टर सरकार शहादत देने वाले किसानों के परिवारों को नौकरी नहीं देगी तो उन्हें इनेलो की तरफ से पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल ट्रस्ट में नौकरी दी जाएगी. इनेलो के प्रधान महासचिव और ऐलनाबाद के विधायक चौटाला ने पार्टी की किसान सैल की बैठक में कहा कि गांव स्तर पर समितियां बनाकर अधिक से अधिक संख्या में टिकरी बॉर्डर पहुंचकर आंदोलनकारी किसानों का समर्थन किया जाएगा.
किसानों से बातचीत में लंबा समय लेकर केंद्र सरकार भ्रम की स्थिति पैदा करना चाहती है, ताकि आंदोलन को कमजोर किया जा सके. चौटाला ने पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से कहा कि वे तीनों काले कृषि कानूनों के प्रति किसानों को जागृत करें, क्योंकि इन्हीं कानूनों से किसानों के परिवारों का भविष्य जुड़ा हुआ है. तय कार्यक्र म के मुताबिक चौटाला सात जनवरी को सुबह 10 बजे भावदीन टोल प्लाजा से 500 ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में सवार होकर टिकरी बॉर्डर के लिए रवाना होंगे.
टिकरी बॉर्डर पर सिरसा से जाने वाले किसानों के रहने की व्यवस्था खुद चौटाला करवाएंगे, ताकि किसानों को किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं हो. जान गंवाने वाले किसानों को शहीद का दर्जा दे इनेलो नेता ने केंद्र सरकार से आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को शहीद का दर्जा देने और उनके आश्रितों को एक-एक करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता के साथ परिवार के एक-एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की.
उन्होंने कहा कि यदि सरकार ऐसा नहीं कर सकी तो वे अपने स्तर पर शहादत देने वाले किसानों के परिवारों के सदस्यों को नौकरी की व्यवस्था करेंगे. पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सभी कांग्रेस विधायकों ने मिलकर यह फैसला किया है कि वे अपने निजी कोष से केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ बॉर्डर पर आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों को दो-दो लाख रुपए देंगे.