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PM मोदी के ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम को देखने के लिए विद्यालय आना अनिवार्य नहीं है: तमिलनाडु के CM पलानीस्वामी

By भाषा | Updated: December 28, 2019 18:15 IST

पलानीस्वामी ने सलेम में संवाददाताओं से कहा, ‘‘जिन विद्यार्थियों के पास टेलीविजन नहीं है, वे प्रधानमंत्री का संबोधन देखने के लिए विद्यालय आ सकते हैं।’’ उन्होंने कहा कि ऐसे परिवार भी हैं जिनके पास अपने घरों में टेलीविजन नहीं है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘ जिन विद्यार्थियों के घरों में टेलीविजन नहीं है और यदि वे प्रधानमंत्री का भाषण सुनना चाहते हैं, तो बस वे विद्यालय आ सकते हैं।

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ठळक मुद्देस्कूली शिक्षा मंत्री के ए शेंगोट्टैयन ने कहा कि विद्यार्थियों से बोर्ड परीक्षाओं से पहले बस उनमें उत्साह भरने के लिए भाषण सुनने को कहा गया है।स्कूली शिक्षा विभाग के परिपत्र की द्रमुक प्रमुख एम के स्टालिन ने आलोचना की थी। 

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी ने शनिवार को स्पष्ट किया कि जिन विद्यार्थियों के पास टेलीविजन नहीं है, वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम को देखने के लिए 16 जनवरी को विद्यालय आ सकते हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि उस दिन उनके लिए विद्यालय आना अनिवार्य नहीं है। उनका स्पष्टीकरण स्कूली शिक्षा विभाग के उस कथित परिपत्र पर उत्पन्न विवाद के बीच आया है जिसमें विद्यार्थियों को ‘परीक्षा का सामना कैसे करें’ विषय पर मोदी का भाषण सुनने के लिए विद्यालय आने का निर्देश दिया गया है।

पलानीस्वामी ने सलेम में संवाददाताओं से कहा, ‘‘जिन विद्यार्थियों के पास टेलीविजन नहीं है, वे प्रधानमंत्री का संबोधन देखने के लिए विद्यालय आ सकते हैं।’’ उन्होंने कहा कि ऐसे परिवार भी हैं जिनके पास अपने घरों में टेलीविजन नहीं है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘ जिन विद्यार्थियों के घरों में टेलीविजन नहीं है और यदि वे प्रधानमंत्री का भाषण सुनना चाहते हैं, तो बस वे विद्यालय आ सकते हैं।

यह अनिवार्य नहीं है।’’ स्कूली शिक्षा मंत्री के ए शेंगोट्टैयन ने कहा कि विद्यार्थियों से बोर्ड परीक्षाओं से पहले बस उनमें उत्साह भरने के लिए भाषण सुनने को कहा गया है। उन्होंने इरोड में परिपत्र के संदर्भ में पूछे गये सवाल के जवाब में कहा, ‘‘ हमारा उद्देश्य विद्यार्थियों को व्हाट्सअप, फेसबुक जैसे सोशल मीडिया मंचों में से किसी भी एक के माध्यम से उनका (प्रधानमंत्री का) भाषण सुनाना है। सरकार ने उन्हें उस दिन स्कूल आने का कोई निर्देश नहीं दिया है।’’ स्कूली शिक्षा विभाग के परिपत्र की द्रमुक प्रमुख एम के स्टालिन ने आलोचना की थी। 

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