राहुल गांधी चुनाव से पहले क्या अपने करीबियों की उपेक्षा से नाराज होकर गये विदेश?
By विनीत कुमार | Published: October 7, 2019 04:40 PM2019-10-07T16:40:02+5:302019-10-07T16:40:02+5:30
हरियाणा के दिग्गज कांग्रेसी नेता अशोक तंवर ने पिछले हफ्ते पार्टी छोड़ दी। अशोक तंवर को हमेशा से राहुल के करीब देखा गया है। दूसरी ओर महाराष्ट्र में भी संजय निरुपम अपनी नाराजगी दिखा चुके हैं।
महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव-2019 का बिगुल बज चुका है लेकिन इसके बीच राहुल गांधी के विदेश दौरे ने कई तरह की अटकलों को जन्म दे दिया है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के बाद काफी मान-मनौव्वल के बावजूद पार्टी का अध्यक्ष पद छोड़ चुके राहुल गांधी के बारे में कहा जा रहा है कि वे नाराज चल रहे हैं। हालांकि, कई इससे इत्तेफाक नहीं भी रखते हैं। वैसे, जिन हालात में राहुल विदेश गये है, वह जरूर कई सवाल खड़े करता है।
पिछले ही हफ्ते हरियाणा के दिग्गज कांग्रेसी नेता अशोक तंवर ने पार्टी छोड़ दी। अशोक तंवर को हमेशा से राहुल के करीब देखा गया है। तंवर ऐसे आरोप लगा चुके हैं कि पार्टी में उन युवा नेताओं को साइडलाइन करने की कोशिश हो रही है जिन्हें राहुल गांधी का साथ मिला।
राहुल गांधी के एक ऐसे ही करीबी युवा नेता प्रद्युत देब बर्मन से भी त्रिपुरा में कांग्रेस की कमान छिनी जा चुकी है। प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने पर देब बर्मन ने कहा था कि पार्टी में भ्रष्ट लोगों की एंट्री हो गई है। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार कांग्रेस के कई सूत्र हालांकि, इन अटकलों से इनकार कर रहे हैं।
इनका कहना है कि राहुल बुधवार तक लौटेंगे और दोनों राज्यों में प्रचार अभियान में जुट जाएंगे। इनका मानना है कि राहुल का यह विदेश दौरा केवल तीन से चार दिन का है और इसलिए इस बारे में गौरजरूरी अटकलें नहीं लगाई जानी चाहिए। रिपोर्टस के अनुसार राहुल बैंकॉक में नहीं हैं लेकिन यह भी कोई खुलासा करने को तैयार नहीं है कि इस समय असल में राहुल कहा हैं। कुछ पार्टी नेताओं का मानना है कि राहुल ध्यान के लिए अभी कंबोडिया में हैं।
संजय निरुपम ने भी दिये थे संकेत, पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं!
मुंबई कांग्रेस के नेता संजय निरुपम पिछले हफ्ते प्रेस के सामने अपनी नाराजगी जता चुके हैं। उन्होंने यहां तक कहा कि सबकुछ ऐसे ही चलता रहा तो उन्हें नहीं लगता कि पार्टी के साथ रह सकेंगे। निरुपम ने यह भी घोषणा कर दी कि वह 21 अक्टूबर को प्रस्तावित विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए प्रचार नहीं करेंगे।
उन्होंने कहा था कि उन्हें 'दरकिनार' कर दिया गया है जबकि उन्होंने चार वर्षों तक पार्टी की मुंबई इकाई का अध्यक्ष पद संभाला था। संजय निरुपम ने इशारों-इशारों में ये भी कह दिया कि सोनिया गांधी को अपने दरबारियों से अलग होना चाहिए। इन्हीं बयानों ने कांग्रेस में राहुल टीम और सोनिया टीम के बीच गतिरोध की अटकलों को जन्म दे दिया।