हाई कोर्ट से भी AAP को मायूसीः 20 विधायकों की सदस्यता मामले में फौरी राहत नहीं, सोमवार को सुनवाई

By आदित्य द्विवेदी | Published: January 19, 2018 07:16 PM2018-01-19T19:16:00+5:302018-01-19T19:26:58+5:30

चुनाव आयोग ने लाभ के पद मामले में आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया है। सदस्यता रद्द करने के लिए राष्ट्रपति से सिफारिश की है।

High Court no relief on AAP plea in 20 MLA's office of profit case: Key points to know | हाई कोर्ट से भी AAP को मायूसीः 20 विधायकों की सदस्यता मामले में फौरी राहत नहीं, सोमवार को सुनवाई

हाई कोर्ट से भी AAP को मायूसीः 20 विधायकों की सदस्यता मामले में फौरी राहत नहीं, सोमवार को सुनवाई

नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी को एक के बाद एक मुंह की खानी पड़ रही है। पहले चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को 'लाभ का पद' मामले में अयोग्य करार दिया था। आप ने हाई कोर्ट से गुहार लगाई तो वहां भी मायूसी हाथ लगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हाई कोर्ट ने इस मामले में किसी भी तरीके की फौरी राहत देने से इनकार कर दिया है। इस मामले में अगली सुनवाई सोमवार को की जाएगी। बता दें कि शुक्रवार सुबह से ही ऐसी खबरें आ रही हैं चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द करने के लिए राष्ट्रपति से सिफारिश की है।


कैसे शुरू हुआ लाभ के पद का पूरा मामला

इस वक्त दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी के पास 66 विधायक हैं। 20 विधायकों की सदस्यता समाप्त होने के बाद यह संख्या 46 रह जाएगी। यह पूरा विवाद 29 वर्षीय वकील प्रशांत पटेल की  की एक अर्जी के बाद शुरू हुआ था जिसे उन्होंने राष्ट्रपति कार्यालय में भेजा था। इसमें आम आदमी पार्टी के विधायकों के संसदीय सचिव बनाए जाने पर सवाल उठाए गए थे। इसी अर्जी के आधार पर कांग्रेस पार्टी ने चुनाव आयोग में एक याचिका दाखिल की थी। जिस पर आयोग ने आज फैसला लिया है।

विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया

20 विधायकों की सदस्यता खत्म किए जाने की खबर पर राजनीति तेज हो गई है। कांग्रेस के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन ने कहा कि अरविंद केजरीवाल को अपने पद पर बने रहने का कोई हक नहीं है। उन्होंने नैतिकता के आधार पर केजरीवाल का इस्तीफा मांगा है। बीजेपी नेता नुपुर शर्मा ने कहा कि केजरीवाल ने जिस वादे के साथ वोट हासिल किया उसमें पूरी तरह असफल रहे हैं। बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि ये सिर्फ 20 विधायकों का मामला नहीं बल्कि दिल्ली की जनता का भरोसा तोड़ना है।

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आम आदमी पार्टी ने क्या दावा किया

20 विधायकों की सदस्यता पर आम आदमी पार्टी ने कहा कि संसदीय सचिव बनाए जाने के बावजूद उन्हें कोई वेतन-भत्ता नहीं दिया गया। अभी तक जो सारी सुनवाई हुई है वो इस बात हुई थी कि हाईकोर्ट ने निर्णय दिया था कि ये विधायक संसदीय सचिव थे ही नहीं। मोदी जी का कर्ज चुकाने के लिए चुनाव आयुक्त ऐसी कार्रवाई कर रहे हैं।

संविधान में 'लाभ के पद' का उल्लेख

इस बारे में संविधान के अनुच्छेद 102 (1)(क) में उल्लेख है। इस अनुच्छेद के अनुसार, 'कोई व्यक्ति संसद के किसी सदन का सदस्य चुने जाने के लिए और सदस्य होने के लिए निरर्हित होगा यदि वह भारत सरकार के या किसी राज्य की सरकार के अधीन, ऐसे पद को छोड़कर, जिसको धारण करने वाले का निरर्हित न होना संसद ने विधि द्वारा घोषित किया है, कोई लाभ का पद धारण करता है।'

क्या होता है संसदीय सचिव

यह पूरा मामला आप विधायकों को संसदीय सचिव बनाए जाने का है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि संसदीय सचिव होता क्या है।यह एक वेस्टमिनिस्टर प्रणाली में वो संसदीय सदस्य होता है। इन्हें अपने कर्तव्यों के साथ अपने वरिष्ठ मंत्री की सहायता करना होता है। कुछ-कुछ देशों में इन्हें सहायक मंत्री के तौर पर काम कराया जाता है। भारत समेत राष्ट्रमंडल देश ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में प्रधानमंत्री को खुद के लिए या अपनी राजनीतिक पार्टी के कैबिनेट मंत्रियों की सहायता के लिए संसदीय सचिवों की नियुक्ति करनी होती है।

Web Title: High Court no relief on AAP plea in 20 MLA's office of profit case: Key points to know

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