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UP Ki Taja Khabar: भाजपा सांसद संघमित्रा मौर्य के निर्वाचन को चुनौती देते हुए सपा नेता द्वारा दायर याचिका को हाईकोर्ट ने किया खारिज

By भाषा | Updated: April 10, 2020 21:40 IST

पूर्व सांसद और बदायूं लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार रहे धर्मेंद्र यादव ने इस सीट पर संघमित्रा के निर्वाचन को चुनौती देते हुए यह चुनाव याचिका दायर की थी।

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ठळक मुद्देहाईकोर्ट ने कहा, “याचिका में धर्मेंद्र यादव ने जो बयान दिया है उससे कार्रवाई का कोई आधार नहीं बनता।"उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के भतीजे हैं धर्मेंद्र यादव।

प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने समाजवादी पार्टी के नेता धर्मेंद्र यादव द्वारा दायर चुनाव याचिका के खिलाफ भाजपा सांसद संघमित्रा मौर्य की प्रारंभिक आपत्तियों को शुक्रवार को खारिज कर दिया। यादव ने 2019 के लोकसभा चुनाव में बदायूं संसदीय सीट से मौर्य के निर्वाचन को चुनौती दी है।

भाजपा सांसद की प्रारंभिक आपत्तियों को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा ने इस चुनाव याचिका में मुद्दे तय करने के लिए सुनवाई की अगली तारीख छह मई, 2020 निर्धारित की। उल्लेखनीय है कि पूर्व सांसद और बदायूं लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार रहे धर्मेंद्र यादव ने इस सीट पर संघमित्रा के निर्वाचन को चुनौती देते हुए यह चुनाव याचिका दायर की थी।

संघमित्रा ने 2019 के चुनाव में इस सीट पर यादव को हराया था। उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य की पुत्री संघमित्रा मौर्य की आपत्तियों को खारिज करते हुए अदालत ने कहा, “मेरे विचार से संघमित्रा मौर्य के वकील ने दलील दी है कि इस चुनाव याचिका में धर्मेंद्र यादव ने जो बयान दिया है उससे कार्रवाई का कोई आधार नहीं बनता।

वकील की यह दलील पूरी तरह से निराधार है।” अदालत ने कहा, “यह पूरी तरह से विधि द्वारा स्थापित है कि यदि चुनाव याचिका में तथ्यात्मक और सटीक बयान का उल्लेख है जिस पर वह चुनाव याचिका निर्भर है तो उन चीजों को दरकिनार नहीं किया जा सकते।”

सपा नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के भतीजे धर्मेंद्र यादव ने मौजूदा चुनाव याचिका में अदालत से संघमित्रा मौर्य का चुनाव अवैध घोषित करने का अनुरोध किया है। याचिकाकर्ता ने इस आधार पर संघमित्रा के निर्वाचन को चुनौती दी है कि यह उसके नामांकन को अनुचित रूप से स्वीकार किए जाने का मामला है।

इस याचिका में यह दलील भी दी गई है कि नामांकन पत्र में संघमित्रा की वैवाहिक स्थिति एवं अन्य तथ्यों को स्पष्ट नहीं किया गया है। साथ ही उनके पति की संपत्तियों को भी सार्वजनिक नहीं किया गया है।

टॅग्स :हाई कोर्टइलाहाबादभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)समाजवादी पार्टी
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