बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद एक समय तो अमित शाह, जोड़तोड़ से ही सही, एक के बाद एक राज्य में कामयाबी का परचम लहरा रहे थे और बीजेपी के इस चाणक्य को मात देने वाला दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहा था, लेकिन गुजरात विस चुनाव के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का साफ्ट हिन्दूत्व स्वरूप सामने आया तो सियासी जादूगर राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत की एंट्री हुई, नतीजा यह रहा कि देश की राजनीतिक तस्वीर ही बदल गई।
पहले गुजरात में जैसेतैसे बीजेपी की सरकार बची, फिर उपचुनावों में बीजेपी ने मात खाई, कर्नाटक के सियासी नाटक में हार मिली तो तीन राज्यों के विस चुनाव में बीजेपी सत्ता से ही बाहर हो गई, और इसीलिए बड़ा प्रश्न है कि लोकसभा चुनाव 2019 में उम्मीदों पर कैसे खरे उतर पाएंगे बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह?
कभी अमित शाह का बीजेपी पर एकाधिकार कायम हो गया था और एकतरफा अनुशासन को क्रास करना किसी के लिए आसान नहीं था, परन्तु अब ऐसा नहीं है. एक निजी चैनल के सर्वे पर भरोसा करें तो बीजेपी के अध्यक्ष बनने के बाद अमित शाह उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे और उनका प्रदर्शन खास नहीं रहा.
इस सर्वे में 12,166 लोगों से सवाल पूछे गए थे, जिनमें 69 प्रतिशत ग्रामीण और 31 प्रतिशत शहरी लोग शामिल थे. सर्वे के दायरे में 19 राज्यों के 97 लोकसभा क्षेत्र और 194 विधानसभा क्षेत्र थे.
इस सर्वे में यह जानने की कोशिश की गई थी कि- अमित शाह का बतौर बीजेपी अध्यक्ष प्रदर्शन कैसा रहा? तो जो नतीजा आया वह चौकाने वाला है! इसमें यह बात सामने आई कि केवल 9 प्रतिशत लोग ही उनके प्रदर्शन को बहुत अच्छा मानते हैं, तो अच्छा कहने वालों की संख्या 25 प्रतिशत है, मतलब... कुल 34 प्रतिशत लोगों की नजरों में शाह कामयाब हैं, जबकि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के प्रदर्शन को औसत, खराब और बहुत खराब कहने वालों की कुल संख्या 61 प्रतिशत तक है.
जाहिर है, अमित शाह के कामकाज को लेकर यह कोई अच्छी धारणा नहीं मानी जा सकती है, जबकि 2018 तक वे लोगों की नजरों में सफलतम अध्यक्ष थे?
सर्वे के दौरान 34 फीसदी लोगों का कहना था कि अमित शाह का प्रदर्शन अच्छा या बहुत अच्छा रहा है, लेकिन इससे पहले अगस्त 2018 में कराए गए सर्वे की तुलना में इस बार 16 प्रतिशत की गिरावट आई है, ऐसा माना जा रहा है कि इसका प्रमुख कारण, तीन राज्यों- राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के ताजा विस चुनाव में बीजेपी की हार, हो सकता है.
जहां जनवरी 2019 में अमित शाह के प्रदर्शन को अच्छा और बहुत अच्छा बताने वालों की संख्या 34 प्रतिशत रही वहीं अगस्त 2018 में 12,100 लोगों के बीच कराए गए सर्वे में 50 प्रतिशत लोगों ने उनके प्रदर्शन को अच्छा, बहुत अच्छा बताया था जबकि जनवरी, 2018 में तो 12,148 लोगों के बीच कराए गए सर्वे में यह आंकड़ा 55 प्रतिशत तक था? इसका मतलब यह है कि गुजरात विस चुनाव के बाद अमित शाह कमजोर पड़ते गए.
सियासी जोड़तोड़ के सिकन्दर कहे जाने वाले अमित शाह के लिए 2019 के लोकसभा चुनाव बहुत बड़ी चुनौती इसलिए हैं कि बतौर भाजपा अध्यक्ष उनके पास यह आखिरी बड़ा मौका है, यहां से फिसले तो फिर से बीजेपी की पहली पंक्ति में आने में बड़ा वक्त लग जाएगा.