फेसबुक विवाद: शशि थरूर और निशिकांत दुबे ने एक दूसरे के खिलाफ दिया विशेषाधिकार हनन का नोटिस 

By भाषा | Published: August 20, 2020 05:48 AM2020-08-20T05:48:34+5:302020-08-20T05:48:34+5:30

थरूर ने कहा, ‘‘निशिकांत दुबे की अपमानजनक टिप्पणी से न सिर्फ सांसद एवं समिति के प्रमुख के तौर पर मेरे पद का अनादर हुआ है, बल्कि उस संस्था का भी अपमान हुआ है जो हमारे देश की जनता की आकांक्षा का प्रतिबिंब है।’’

Facebook controversy: Shashi Tharoor, Nishikant Dubey move Privilege Notice against each other | फेसबुक विवाद: शशि थरूर और निशिकांत दुबे ने एक दूसरे के खिलाफ दिया विशेषाधिकार हनन का नोटिस 

फाइल फोटो

Highlightsदुबे कांग्रेस नेता की अध्यक्षता वाली इस स्थायी समिति के सदस्य हैं। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को लिखे पत्र में थरूर ने दुबे की ओर से ट्विटर पर की गई उस टिप्पणी पर आपत्ति जताई।

नई दिल्लीः कांग्रेस सांसद एवं सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी संसदीय समिति के प्रमुख शशि थरूर और भाजपा के लोकसभा सदस्य निशिकांत दुबे ने फेसबुक प्रकरण के संदर्भ में समिति की बैठक बुलाने को लेकर सोशल मीडिया में चले वाकयुद्ध के बाद बुधवार को एक दूसरे के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया। 

दुबे कांग्रेस नेता की अध्यक्षता वाली इस स्थायी समिति के सदस्य हैं। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को लिखे पत्र में थरूर ने दुबे की ओर से ट्विटर पर की गई उस टिप्पणी पर आपत्ति जताई जिसमें भाजपा सांसद ने कहा था कि ‘स्थायी समिति के प्रमुख के पास इसके सदस्यों के साथ एजेंडे के बारे में विचार-विमर्श किए बिना कुछ करने का अधिकार नहीं है।’ 

थरूर ने कहा, ‘‘निशिकांत दुबे की अपमानजनक टिप्पणी से न सिर्फ सांसद एवं समिति के प्रमुख के तौर पर मेरे पद का अनादर हुआ है, बल्कि उस संस्था का भी अपमान हुआ है जो हमारे देश की जनता की आकांक्षा का प्रतिबिंब है।’’ उन्होंने बिरला से आग्रह किया कि दुबे के खिलाफ कार्यवाही आरंभ करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए जाएं। 

कांग्रेस सांसद ने कहा कि वह इस मामले में सख्त कार्रवाई की उम्मीद करते हैं ताकि आगे से ऐसी घटना नहीं हो। दूसरी तरफ, भाजपा सांसद दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष को सौंपे गए नोटिस में अपने इस रुख को दोहराया कि समिति के सदस्यों के साथ विचार-विमर्श किए बिना किसी इकाई या संगठन को तलब करने का थरूर को कोई अधिकार नहीं है। 

उन्होंने दावा किया कि थरूर ने समिति की किसी बैठक में इस विषय से जुड़े एजेंडे के बारे में सदस्यों को सूचित नहीं किया तथा ऐसे में यह स्पष्ट रूप से विशेषाधिकार हनन का मामला बनता है। दरअसल, थरूर ने फेसबुक से जुड़े विवाद को लेकर रविवार को कहा था कि सूचना प्रौद्योगिकी मामले की स्थायी समित इस सोशल मीडिया कंपनी से इस विषय पर जवाब मांगेगी। इसके बाद दुबे ने उन पर निशाना साधा था। 

गौरतलब है कि फेसबुक से जुड़ा पूरा विवाद अमेरिकी अखबार ‘वाल स्ट्रीट जर्नल’ की ओर से शुक्रवार को प्रकाशित रिपोर्ट के बाद आरंभ हुआ। इस रिपोर्ट में फेसबुक के अनाम सूत्रों के हवाले से दावा किया गया है कि फेसबुक के वरिष्ठ भारतीय नीति अधिकारी ने कथित तौर पर सांप्रदायिक आरोपों वाली पोस्ट डालने के मामले में तेलंगाना के एक भाजपा विधायक पर स्थायी पाबंदी को रोकने संबंधी आंतरिक पत्र में हस्तक्षेप किया था। 

उधर, फेसबुक ने सफाई देते हुए कहा कि उसके मंच पर ऐसे भाषणों और सामग्री पर अंकुश लगाया जाता है, जिनसे हिंसा फैलने की आशंका रहती है। इसके साथ ही कंपनी ने कहा कि उसकी ये नीतियां वैश्विक स्तर पर लागू की जाती हैं और इसमें यह नहीं देखा जाता कि यह किस राजनीतिक दल से संबंधित मामला है। फेसबुक ने इसके साथ ही यह स्वीकार किया है कि वह घृणा फैलाने वाली सभी सामग्रियों पर अंकुश लगाती है, लेकिन इस दिशा में और बहुत कुछ करने की जरूरत है। 

Web Title: Facebook controversy: Shashi Tharoor, Nishikant Dubey move Privilege Notice against each other

राजनीति से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे