Delhi Violence Update: दिल्ली हिंसा पर कांग्रेस ने रिपोर्ट सोनिया गांधी को सौंपी, पुलिस की भूमिका पर सवाल
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 9, 2020 01:53 PM2020-03-09T13:53:20+5:302020-03-09T13:53:20+5:30
सूत्रों का कहना है कि इस रिपोर्ट में पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़ा किए गए हैं। सूत्रों के मुताबिक मुकुल वासनिक और इस टीम में शामिल अन्य नेताओं ने सोनिया गांधी से मिलकर उन्हें रिपोर्ट सौंपी। इस टीम ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली के इलाकों का दौरा करने के बाद यह रिपोर्ट तैयार की।
दिल्ली हिंसा की जांच के लिए कांग्रेस की ओर से गठित पांच सदस्यीय टीम ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट पार्टी अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंप दी।
सूत्रों का कहना है कि इस रिपोर्ट में पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़ा किए गए हैं। सूत्रों के मुताबिक मुकुल वासनिक और इस टीम में शामिल अन्य नेताओं ने सोनिया गांधी से मिलकर उन्हें रिपोर्ट सौंपी। इस टीम ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली के इलाकों का दौरा करने के बाद यह रिपोर्ट तैयार की।
कांग्रेस की इस टीम में मुकुल वासनिक, शक्ति सिंह गोहिल, कुमारी शैलजा, तारिक अनवर और सुष्मिता देव शामिल थे। गौरतलब है कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों में भड़की हिंसा में 53 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए।
सोनिया और राहुल ने भारद्वाज के निधन पर दुख जताया
कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पूर्व कानून मंत्री हंसराज भारद्वाज के निधन पर सोमवार को दुख जताया और उनके लंबे राजनीतिक जीवन को याद किया। सोनिया ने शोक संदेश में भारद्वाज के निधन पर दुख प्रकट किया। उन्होंने सांसद एवं कानून मंत्री के तौर पर भारद्वाज की सेवाओं को याद किया और उनके परिवार के प्रति संवेदना प्रकट की।
राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘पूर्व कानून मंत्री और पूर्व राज्यपाल हसंराज भारद्वाज के निधन के बारे में सुनकर दुख हुआ। कांग्रेस पार्टी के प्रति उनकी समर्पित सेवा को हमेशा याद रखा जाएगा। दुख की इस घड़ी में उनके परिवार और मित्रों के प्रति मेरी संवेदना है। ओम शांति।’’
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल और कई अन्य नेताओं ने भी भारद्वाज के निधन पर दुख प्रकट किया है। गौरतलब है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व कानून मंत्री हंसराज भारद्वाज का रविवार को निधन हो गया। वह 82 साल के थे। भारद्वाज 2004 से 2009 तक केंद्रीय कानून मंत्री रहे। इसके बाद वह पांच साल तक कर्नाटक के राज्यपाल भी रहे। इसके अलावा वह कई बार राज्यसभा के सदस्य भी रहे।