Shramik Specials: बंगाल भाजपा अध्यक्ष घोष बोले- रेलगाड़ियों में प्रवासियों की मौत ‘छोटी और छिटपुट’ घटनाएं, येचुरी ने कहा-अच्छे दिन का ‘जादू’
By भाषा | Published: May 28, 2020 09:32 PM2020-05-28T21:32:31+5:302020-05-28T21:32:31+5:30
प्रवासी कामगार पर राजनीति जारी है। पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि मौत छोटी-मोटी घटनाएं हैं। इस बीच मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि रेलगाड़ियों का रास्ता भटकना नरेंद्र मोदी सरकार के अच्छे दिनों का ‘जादू’ है।
कोलकाताः श्रमिक विशेष रेलगाड़ियों से घर लौटने वाले प्रवासियों की मौत ‘‘छोटी एवं छिटपुट’’ घटनाएं हैं और इसके लिए रेलवे को उत्तरदायी नहीं ठहरा जा सकता।
यह बात बृहस्पतिवार को पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कही। कोविड-19 की वजह से लागू लॉकडाउन के बीच अपने घरों को लौट रहे लाखों श्रमिक और उनके परिजन गर्मी, भूख और प्यास का सामना कर रहे हैं और सोमवार तक ‘श्रमिक विशेष’ रेलगाड़ियों पर एक बच्चे सहित नौ श्रमिकों की मौत हो चुकी है।
भाजपा सांसद घोष ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘कुछ दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हुई हैं। लेकिन आप इसके लिए रेलवे को उत्तरदायी नहीं ठहरा सकते हैं। वे प्रवासियों को घर पहुंचाने के लिए बेहतर प्रयास कर रहे हैं। कुछ मौतें हुई हैं लेकिन ये छिटपुट घटनाएं हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यात्रियों की सेवा के लिए रेलवे के बेहतर प्रयासों के हमारे पास उदाहरण हैं। कुछ छोटी-मोटी घटनाएं हुई हैं लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि आप रेलवे को बंद कर देंगे।’’ उनके बयान पर पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और विपक्षी माकपा ने तीखी प्रतिक्रिया जताई, जिसने भाजपा नेता से मजदूरों की दुर्दशा पर संवेदनशील होने के लिए कहा।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने बृहस्पतिवार को कहा कि कोरोना वायरस महामारी के समय रेलगाड़ियों का रास्ता भटकना नरेंद्र मोदी सरकार के अच्छे दिनों का ‘जादू’ है। दूसरी तरफ, रेलगाड़ियों के रास्ता भटकनें से जुड़ी खबरों पर रेल विभाग ने कहा है कि उसने 22 मई और 24 मई को उत्तर प्रदेश एवं बिहार जाने वाली कई श्रमिक ट्रेनों का मार्ग बदला था क्योंकि इन राज्यों की तरफ 80 फीसदी रेल यातायात था।
येचुरी ने ट्वीट कर आरोप लगाया, ‘‘मोदी सरकार सिर्फ अमीरों के लिए काम करती है। वह गरीबों का मजाक बनाती है और नागरिकों को उनके अधिकारों से वंचित रखती है।’’ उन्होंने तंज कसते हुए कहा, ‘‘कई दशकों से भारतीय रेल सही से चल रही थी। यह मोदी सरकार के अच्छे दिन का ‘जादू’ है कि रेलगाड़ियां भी रास्ता भटक रही हैं।’’ माकपा नेता ने दावा किया कि यह सिर्फ सरकार का कुप्रबंधन ही नहीं है, बल्कि गरीब विरोधी मानिसकता भी है।
ट्रेनों में प्रवासी मजदूरों की मुश्किलों को लेकर गृह सचिव, रेलवे को एनएचआरसी का नोटिस
ट्रेन सेवाओं में देरी और भोजन तथा पानी की कमी के कारण उनमें में सवार प्रवासी मजदूरों को होने वाली कठिनाइयों को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने केंद्रीय गृह सचिव, रेलवे और गुजरात और बिहार की सरकारों को नोटिस भेजा है। इन परेशानियों की वजह से कुछ यात्रियों के कथित तौर पर बीमार पड़ने और उनमें से कुछ लोगों की मृत्यु होने की भी खबरें हैं। एनएचआरसी ने एक बयान में कहा कि ‘‘राज्य ट्रेनों में सवार गरीब मजदूरों के जीवन की रक्षा करने में विफल रहा है।’’
बयान के मुताबिक, एनएचआरसी ने मीडिया रिपोर्टों के आधार पर यह संज्ञान लिया है कि जो रेलगाड़ियां प्रवासी मजदूरों को ले जा रही हैं, वे न केवल देरी से शुरू हो रही हैं, बल्कि गंतव्य तक पहुँचने के लिए कई अतिरिक्त दिन ले रही हैं। बयान में कहा गया है, ‘‘एक रिपोर्ट में, यह आरोप लगाया गया है कि कई प्रवासी मजदूरों ने ट्रेन से यात्रा के दौरान अपनी जान गंवा दी। पीने के पानी और भोजन आदि की कोई व्यवस्था नहीं है।’’ गौरतलब है कि रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार के मुजफ्फरपुर में दो और दानापुर, सासाराम, गया, बेगूसराय और जहानाबाद में एक-एक व्यक्ति की कथित तौर पर मौत हो गई, जिसमें एक 4 साल का बच्चा भी शामिल है। सभी की कथित तौर पर भूख के कारण मौत हुई है।
आयोग ने कहा, ‘‘एक अन्य घटना में, एक ट्रेन कथित तौर पर गुजरात के सूरत जिले से 16 मई को बिहार के सिवान के लिए रवाना हुई और नौ दिनों के बाद 25 मई को बिहार पहुंची।’’ आयोग ने कहा है कि मीडिया की खबरें अगर सही है, तो यह मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है। इससे पीड़ित परिवारों को अपूरणीय क्षति हुई है। तदनुसार, आयोग ने गुजरात और बिहार के मुख्य सचिवों, रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और केंद्रीय गृह सचिव को नोटिस जारी कर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
बयान में कहा गया है कि गुजरात और बिहार सरकार के मुख्य सचिवों से अपेक्षा की जाती है कि वे विशेष रूप से सूचित करें कि ट्रेनों में सवार होने वाले प्रवासी मजदूरों के लिए चिकित्सा सहायता सहित बुनियादी सुविधाओं को सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए गए थे। उसमें कहा गया है कि सभी प्रशासनों से चार सप्ताह के भीतर सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलने की उम्मीद है।