चंडीगढ़ः कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने मंगलवार को पंजाब में अपनी पार्टी की सरकार पर राज्य के गन्ना उत्पादकों का 681.48 करोड़ रुपये का बकाया भुगतान सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाने का आरोप लगाया।
मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को भेजे पत्र में बाजवा ने दावा किया कि करीब 70,000 गन्ना उत्पादकों को 2018-19 और 2019-20 के लिए सहकारी और निजी गन्ना मिलों द्वारा 681.48 करोड़ रूपये का बकाया भुगतान नहीं किया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘यह बड़ी चिंता की बात है कि सालों से भुगतान बकाया है। सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है कि किसानों को भुगतान हों। उन्होंने कहा कि गन्ना नियंत्रण आदेश और गन्ना खरीद एवं विनियमन अधिनियम की धारा 3(3) के अनुसार मिलों को ईख खरीदने के 14 दिनों के अंदर भुगतान कर देना चाहिए।
बाजवा ने लिखा,‘‘ अन्यथा, मिलों को देर की अवधि के लिए ब्याज के साथ भुगतान करना होगा।’’ राज्यसभा सदस्य ने कहा कि बकाया भुगतान नहीं होने से हजारों गन्ना किसानों को वित्तीय परेशानी हुई है और उनमें से कई पर भारी कर्ज है। उन्होंने मांग की कि सरकार गन्ना किसानों को भुगतान के लिए कदम उठाए, ये किसान फसल विविधीकरण कार्यक्रम में मदद करते हैं।
पूर्व प्रदेश कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि दो निजी मिलों ने तो गन्ना किसानों को पहले ही भुगतान कर दिया है तो फिर अन्य गन्ना मिल ऐसा क्यों नहीं कर सकते। उन्होंने लिखा, ‘‘यह सरकार की चूक है कि गन्ना मिल राज्य के नियम कायदे को तोड़ रहे हैं और उन्हें कोई सजा नहीं हो पाती है।’’ उन्होंने राज्य सरकार से किसानों को यथाशीघ्र 681.48 करोड़ रुपये का बकाया भुगतान करने की मांग की।
एमएसपी वृद्धि पर अमरिंदर ने कहा, किसानों को खैरात नहीं बल्कि अपना हक चाहिये
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने धान समेत अन्य खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में केंद्र सरकार के द्वारा की गयी वृद्धि के संबंध में सोमवार को कहा कि किसान खैरात नहीं बल्कि अपना हक चाहते हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार कोरोना वायरस महामारी के कारण किसानों के समक्ष आ रही गंभीर चुनौतियों को देख पाने में पूरी तरह से विफल रही है। उन्होंने केंद्र सरकार से निर्णय की तत्काल समीक्षा करने और विस्तृत पैकेज पेश करने का अनुरोध किया। सिंह ने एक बयान में कहा कि कर्ज के बोझ में दबा किसान समुदाय इस अप्रत्याशित संकट के समय में केंद्र सरकार से मदद की उम्मीद कर रहा था, लेकिन बहुप्रतीक्षित राहत से वे एक बार फिर से वंचित रह गये हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर धान का एमएसपी 2,902 रुपये प्रति क्विंटल करने की मांग की थी। केंद्र सरकार ने इसके बजाय धान का एमएसपी 53 रुपये बढ़ाकर महज 1,868 रुपये प्रति क्विंटल किया है। उन्होंने एमएसपी वृद्धि को अपर्याप्त बताते हुए कहा, ‘‘वे (किसान) जो चाहते हैं, वह खैरात नहीं बल्कि उनका हक है। लेकिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अगुवाई वाली केंद्र सरकार लगातार उनकी जायज मांगों और जरूरतों को नजरअंदाज कर रही है।’’