असंतुष्टों से परेशान BJP व कांग्रेस, नामांकन रद्द होने से पार्टियों को मिली राहत
By संजय परोहा | Published: November 13, 2018 11:19 PM2018-11-13T23:19:47+5:302018-11-13T23:19:47+5:30
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह के गृह निवास और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के विशेष प्रभाव वाले जबलपुर में बागियों के तेवरों ने दोनों पार्टियों को मुश्किल में डाल रखा है.
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह के गृह निवास और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के विशेष प्रभाव वाले जबलपुर में बागियों के तेवरों ने दोनों पार्टियों को मुश्किल में डाल रखा है. भाजपा-कांग्रेस दोनों डैमेज कंट्रोल में जुटे हैं. असंतुष्टो को मनाने में इस बार जितनी परेशानी हो रही है उतनी परेशानी इससे पूर्व के चुनाव में कभी नहीं देखी.
राकेश सिंह को भाजपा का गढ़ बन चुके अपने शहर में पार्टी का सम्मान बनाये रखने की चिंता है तो कमलनाथ को अपनी टिकटों की. कमलनाथ ने जो टिकटें बांटी हैं, उनमें वे ज्यादा से ज्यादा जीत चाहते हैं. राकेश सिंह के लिए तो ये चुनाव जीवन- मरण का प्रश्न है. इसलिए दोनों ओर से असंतुष्टों को मनाने के जोरदार प्रयास हो रहे हैं. भाजपा को उत्तर, पनागर, पाटन में खासी दिक्कत हो रही है, तो कांग्रेस को पूर्व और सिहोरा में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
हालांकि कल नाम निर्देशन पत्र निरस्त होने के बाद हालात बदले हैं लेकिन अब भी जो बागी चुनाव मैदान में हैं उन्हें देख-देख आला नेताओं और अधिकृत प्रत्याशियों की टेंशन कम नहीं हो रही.भारतीय जनता पार्टी को उत्तर और पनागर विधानसभा में असंतुष्टों को मनाने में खासी मशक्कत करनी पड़ रही है. उत्तर में राज्य मंत्री शरद जैन की सीट में भाजयुमो के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष धीरज पटेरिया ने बगावत का झंडा बुलंद कर रखा है। उन्हें जिस तरह का समर्थन मिल रहा है उससे भाजपा सकते में है.
धीरज से चर्चा के सारे प्रयास असफल साबित हुए हैं. दूसरी तरफ पनागर में भाजपा के जमीनी नेता मैदान में है. एक पूर्व विधायक नरेंद्र त्रिपाठी सहित महत्वपूर्ण ओबीसी नेता भारत सिंह यादव ने चुनाव में परेशानियां पैदा कर रखी है.भाजपा को उत्तर पनागर में तो परेशानी है ही, अन्य क्षेत्रों में भी छोटे-छोटे उम्मीदवार दिक्कत दे रहे हैं. बरगी में प्रत्याशी प्रतिभा सिंह के घर की बहू ज्योति सिंह से ही परेशानी है. केंट में कन्हैया तिवारी, योगेश अग्रवाल जैसे हिंदू विचारधारा के नेता परेशानी उत्पन्न कर रहे हैं. ये सभी हिंदूवादी नेता भाजपा के ही वोट काटेंगे. इस कारण प्रदेश नेतृत्व परेशान हो रहा है.
पश्चिम विधानसभा में अवतार सिंह मामा के माफीनामा ने जरूर थोड़ा राहत दी है, लेकिन यहां प्रत्याशी का संगठन स्तर पर भारी विरोध है. पाटन में पार्टी के ही एक नेता चुनावी मैदान में है. ऐसा नहीं है कि विद्रोहियों के तेवरों से सिर्फ भाजपा ही परेशान है, प्रतिद्वंदी खेमा कांग्रेस की मुश्किलें भी कम नहीं है. उत्तर विधानसभा में कांग्रेसियों के मन में बैठी बाहरी प्रत्याशी की धारणा बड़ी समस्या बनी हुई है. सिहोरा विधानसभा में जमुना मरावी पार्टी के लिए मुसीबत है. केंट में एक निर्दलीय को असंतुष्ट कांग्रेसियों का समर्थन बड़ी समस्या है.