लोजपा अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान की जीवनी जल्द, पुस्तक में पढ़िए शाहरबन्नी (बिहार) से सांसद बनने की कहानी
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 3, 2019 05:43 PM2019-10-03T17:43:04+5:302019-10-03T17:44:12+5:30
शोधपरक और गहरे साक्षात्कारों पर आधारित इस पुस्तक में श्रीवास्तव एक ऐसे राजनेता के जीवन की प्रवाहमय किस्सागोई पेश करते हैं, जो जिसने अपनी पूरी जिंदगी दलित-पीड़ित जनता और समाजिक न्याय की राजनीत को समर्पित कर दी। पासवान बिहार के खगड़िया जिले के शाहरबन्नी गांव से हैं।
पेंगुइन हिंदी केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष राम विलास पासवान की जीवनी प्रकाशित करने जा रहा है, जिसे वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप श्रीवास्तव ने लिखा है। यह राम विलास पासवान की पहली विस्तृत जीवनी है।
इस किताब को नवंबर 2019 में प्रकाशित किया जाएगा। यह पुस्तक वर्तमान भारत के एक कद्दावर राजनेता की एक बांधकर रखनेवाली जीवनी है, जिसमें लेखक ने उनके बचपन, अनेक कठिनाइयों को पारकर हुई उनकी शिक्षा-दीक्षा और उनके निजी जीवन से जुड़े अन्य तथ्यों के साथ आधी सदी से ज्यादा के राजनीतिक करियर का लेखाजोखा प्रस्तुत किया है, जिस दरम्यान पासवान ने इस देश के राजनीतिक इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिकाओं का निर्वहन किया।
शोधपरक और गहरे साक्षात्कारों पर आधारित इस पुस्तक में श्रीवास्तव एक ऐसे राजनेता के जीवन की प्रवाहमय किस्सागोई पेश करते हैं, जो जिसने अपनी पूरी जिंदगी दलित-पीड़ित जनता और समाजिक न्याय की राजनीत को समर्पित कर दी। पासवान बिहार के खगड़िया जिले के शाहरबन्नी गांव से हैं।
पेंगुइन रैंडम हाउस की एडिटर-इन-चीफ़, लैंग्वेजेज, वैशाली माथुर कहती हैं, ‘आज के दौर में ज़मीन से उठकर शिखर तक पहुंचने वाले राजनेता कम ही हैं, जिन्होंने इतनी लंबी एक बेदाग पारी खेली है। एक साधारण से परिवार से आनेवाले राम विलास पासवान जिन्होंने अपने जीवन में देश की अहम राजनीतिक घटनाओं में हिस्सा लिया और उसके नज़दीक से गवाह बने, उनकी जीवनी पाठकों अवश्य ही प्रेरित करेगी और राजनीति के अंत:पुर का परिचय करवाएगी। यह किताब राजनीति शास्त्र ही नहीं बल्कि आधुनिक भारत के इतिहास का भी एक अहम दस्तावेज है। ’
पुस्तक के लेखक और वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप श्रीवास्तव कहते हैं, ‘राम विलास पासवान देश के वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने दलित-पीड़ित जनता और हाशिए पर रहे लोगों के लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया। वह जिस भी विभाग में रहे उनकी नीतियों के केंद्र में दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यकों के हित व उनका विकास उनकी प्राथमिकता रही है।
ये साधारण बात नहीं है कि हाजीपुर ने उन्हें कई-कई बार लोकसभा में चुनकर भेजा। उनकी जीवनी देश की आज़ादी के बाद के इतिहास का एक जीवंत दस्तावेज भी है. ’ वे आगे कहते हैं,‘ मुझे इस बात का आश्चर्य है कि एक इतने लोकप्रिय, वरिष्ठ और समाजिक न्याय की राजनीति के लिए समर्पित नेता की जीवनी अभी तक नहीं लिखी गई। उनके बारे में न के बराबर लिखा गया. यह पुस्तक उसी दिशा में एक प्रयास है।’
प्रदीप श्रीवास्तव वरिष्ठ पत्रकार हैं, जिन्होंने करीब तीन दशक तक देश की राजनीतिक रिपोर्टिंग की। वे दो दशक से ज्यादा समय तक जनसत्ता(इंडियन एक्सप्रेस समूह) में रहे और कोलकता से प्रकाशित सन्मार्ग दैनिक में एसोशिएट एडिटर के पद पर पांच साल काम किया। वे मूलत: उत्तर प्रदेश के बलिया जिला के रहनेवाले हैं लेकिन बिहार की राजनीति पर गहरी पकड़ रखते हैं। उनकी शिक्षा-दीक्षा मगध विश्वविद्यालय और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में हुई है।