बिहार की राजनीति में दबंगों के आगे लगभग सभी रहते हैं 'दंडवत', उनकी पत्नी और भाई का रहता है बरकरार जलवा

By एस पी सिन्हा | Published: February 14, 2020 05:47 PM2020-02-14T17:47:23+5:302020-02-14T17:47:23+5:30

Bihar: बाहुबल की बदौलत चुनावों में परचम लहरा चुके आधा दर्जन से ज्यादा पूर्व सांसद और विधायकों को कानून ने राजनीति से दूर कर दिया है. सजायाफ्ता होने के चलते जहां चुनावी राजीनित में बाहुबलियों पर बैन लग गया है वहीं सलाखों के पीछे उनकी जिंदगी भी कट रही है.

Bihar politics: criminal leaders history, his wife and brother career, bihar police, rjd jd u congress bjp | बिहार की राजनीति में दबंगों के आगे लगभग सभी रहते हैं 'दंडवत', उनकी पत्नी और भाई का रहता है बरकरार जलवा

महाराजगंज के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह (फाइल फोटो)

Highlightsबिहार की राजनीति में तीन दशक तक राज करने वाले बाहुबलियों ने अपने ऊपर शिकंजा कसता हुआ देख अपनी पत्नियों को आगे कर चुनावी मैदान में अपनी दबंगियत बरकरार रखी. बाहुबली अपनी पत्नियों के सहारे अपनी राजनीतिक धाक जमाए रखने में कमयाब भी रहे.

बिहार की राजनीति में तीन दशक तक राज करने वाले बाहुबलियों ने अपने ऊपर शिकंजा कसता हुआ देख अपनी पत्नियों को आगे कर चुनावी मैदान में अपनी दबंगियत बरकरार रखी. कानून बदला तो उन पर शिकंजा भी कसने लगा. सलाखों के पीछे रहकर चुनाव जीतने वाले बाहर रहकर भी चुनावी अखाड़े से दूर होते देख ये बाहुबली अपनी पत्नियों के सहारे अपनी राजनीतिक धाक जमाए रखने में कमयाब भी रहे. हालांकि कभी एकक्षत्र राज करने वाले कई बाहुबली सलाखों के पीछे सजा काट रहे हैं.  

यहां उल्लेखनीय है कि सजायाफ्ता के चुनाव लड़ने पर रोक के बाद बिहार की सियासत में बड़ा बदलाव देखने को मिला. कई शूरमा जो संसद तक पहुंचने में कामयाब हो गए थे, वह बाहर रहकर भी चुनाव में नहीं उतर पाए. इसमें बड़ा नाम सूरजभान सिंह का है. सजायाफ्ता होने के चलते सूरजभान सिंह पिछले दो लोकसभा से चुनाव नहीं लड़ पाए. हालांकि उनकी राजनीति विरासत को पहले पत्नी और अब भाई सांसद के तौर पर संभाल रहे हैं. 

वहीं, बाहुबल की बदौलत चुनावों में परचम लहरा चुके आधा दर्जन से ज्यादा पूर्व सांसद और विधायकों को कानून ने राजनीति से दूर कर दिया है. सजायाफ्ता होने के चलते जहां चुनावी राजीनित में बाहुबलियों पर बैन लग गया है वहीं सलाखों के पीछे उनकी जिंदगी भी कट रही है. 

कई बार सांसद रहे मो. शहाबुद्दीन फिलहाल तिहाड़ जेल में कैद हैं. सजायाफ्ता होने के चलते उन्होंने पत्नी हिना शहाब को दो दफे सीवान से चुनाव लड़ाया, लेकिन जीत नहीं मिली. पूर्व सांसद आनंद मोहन भी आजीवन कारावास की सजा होने के चलते जेल में हैं और चुनाव नहीं लड़ पा रहे. पत्नी लवली आनंद राजनीति में सक्रिय जरूर हैं. 

यही हाल महाराजगंज के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह का भी है. वह भी जेल में हैं. बेटे को उपचुनाव में विधायक बनाने में कामयाब हुए पर बाद में हार का सामना करना पड़ा. जबकि हत्या के एक मामले में पूर्व सांसद विजय कृष्ण पटना के बेऊर जेल में सजा काट रहे हैं. पूर्व विधायक राजबल्लभ भी दुष्कर्म के मामले में सजायाफ्ता हैं और सलाखों के पीछे जिंदगी कट रही है. अपनी पत्नी को नवादा लोकसभा से चुनाव मैदान में उतारा, लेकिन उन्हेम भी हार का मुंह देखना पड़ा.

हालांकि बिहार में कई बाहुबली ऐसे हैं जो न तो अभी सजायाफ्ता हैं न ही उन्होंने चुनाव लड़ा. पूर्व सांसद रामा सिंह को सजा नहीं हुई है पर पिछले लोकसभा में वह चुनावी मैदान से दूर रहे. रामा सिंह ने किन कारणों से चुनाव नहीं लडा इसका खुलासा उन्होंने नहीं किया. इसी तरह कई दफे विधायक रहे सुनील पाण्डेय की है. पीरो और परिसिमन के बाद तरारी से विधायक बने सुनील पाण्डेय ने 2015 के विधानसभा चुनाव में खुद किस्मत आजमाने की बजाए पत्नी को चुनावी मैदान में उतारा. 

पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला कभी सजायाफ्ता थे पर अब बरी हो चुके हैं. इसी कड़ी में पूर्व विधायक राजन तिवारी का भी नाम जुड़ जाता है. भाई को विधानसभा तक पहुंचाने वाले राजन तिवारी ने 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारी की थी पर आखिरी वक्त में वह मैदान से दूर हो गए. 

इसी कड़ी में महीनों से जेल में बंद निर्दलीय विधायक अनंत सिंह 2010 में जदयू टिकट पर चुनाव जीते थे. 2015 के चुनाव में निर्दलीय जीते. पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी को टिकट दे दिया. हालांकि वह हार गईं. वहीं, सीवान के चर्चित दबंग अजय सिंह को जदयू ने लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया. उनकी पत्नी कविता सिंह विधायक थीं. उन्हें सीवान से टिकट दे दिया गया और वह जीत गई. 

उनके इस्तीफे के बाद जब विधानसभा की दारौंदा सीट पर उपचुनाव हुए तो जदयू ने अजय सिंह को अपना उम्मीदवार बना दिया. यह अलग बात है कि उपचुनाव में उनकी हार हो गई. जबकि छपरा के दबंग छवि के एक और विधायक मनोरंजन सिंह ऊर्फ धूमल सिंह इस समय जदयू में हैं. 

हालांकि पहले की तुलना में लोकसभा या विधानसभा में राज्य के दबंग प्रतिनिधियों की पैठ कमजोर पड़ी है. बावजूद इसके बिहार में अभी भी दबंगों की दबंगियत के आगे राजनीतिक दल के मुखिया नतमस्तक दिखते हैं. उनकी पूछ अभी भी उसीतरह से है, जैसे उनके बिना वे लोग चुनाव जीत हीं नही सकेंगे.

Web Title: Bihar politics: criminal leaders history, his wife and brother career, bihar police, rjd jd u congress bjp

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