बिहार में राजद और कांग्रेस को लगा बड़ा झटका, पूर्व सांसद सीताराम यादव सहित सैकड़ों नेता बीजेपी में शामिल
By एस पी सिन्हा | Published: January 27, 2021 02:28 PM2021-01-27T14:28:16+5:302021-01-27T14:28:16+5:30
बिहार में चुनाव के बाद भी बीजेपी लगातार कांग्रेस और आरजेडी के वोट बैंक को अपने पाले में मिलाने की कोशिश जारी रखे हुए है। दोनों पार्टियों से बड़ी संख्या में नेता बीजेपी में शामिल हो रहे हैं।
पटना: बिहार की राजनीति में चुनाव के बाद एक दूसरे पार्टी में आने-जाने का सिलसिला जारी है. विधानसभा चुनाव के बाद राजद को एक बार फिर झटका लगा है.
राजद और कांग्रेस के कई नेता बुधवार को भाजपा में शामिल हुए. राजद के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद सीताराम यादव ने भाजपा का दामन थाम लिया है. इसी तरह बथनाहा की पूर्व विधायक नगीना देवी, राजद से पटना सिटी से चुनाव लड़ चुके संतोष मेहता, पटना नगर निगम की डिप्टी मेयर मीरा कुमारी का नाम भी प्रमुख रूप से शामिल है.
इनके अलावा पूर्व विधायक सुबोध पासवान, दिलीप कुमार यादव पूर्व विधान पार्षद, पूर्व सांसद रामजी मांझी, पूर्व विधायक नगीना देवी, कांग्रेस नेत्री अनिता यादव सहित सैकड़ों की संख्या में नेताओं ने बिहार भाजपा प्रभारी भूपेंद्र यादव की उपस्थिति में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की.
राजद ने सीताराम यादव को निकाल दिया था पार्टी से
विधानसभा चुनाव के दौरान राजद ने सीताराम यादव समेत अन्य कई नेताओं को पार्टी से निकाल दिया था. सीताराम यादव पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने और पार्टी उम्मीदवार के खिलाफ भीतरघात करने का आरोप लगा था.
बिहार में भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती राजद के सबसे मजबूत वोट बैंक यानी यादव वोटों को अपने खेमे में करना रहा है. पिछले कुछ सालों में भाजपा इस चुनौती को पार करते हुए भी दिखी है.
भाजपा ने हालिया वर्षों में कई मजबूत यादव नेताओं को अपने खेमे में किया है. भाजपा सीधे-सीधे राजद के वोट बैंक में सेंध लगाने में जुटी हुई है. नित्यानंद राय और भूपेंद्र यादव लगातार भाजपा को मजबूत करने के लिए तेजस्वी यादव के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं. भाजपा को इस पहल के बाद काफी हद तक सफलता भी मिली है.
बिहार चुनाव से पहले भी जारी था पार्टी छोड़ने का सिलसिला
उल्लेखनीय है कि इससे पहले बिहार चुनाव से पहले राजद के आठ में से पांच विधान पार्षद पार्टी छोड जदयू में शामिल हो गए थे. पार्टी छोडने वालों में संजय प्रसाद, राधाचरण साह, दिलीप राय, मो कमर आलम और रणविजय कुमार सिंह के नाम हैं.
पांचों ने राजद से खुद को अलग करते हुए एक समूह बनाने और जदयू में शामिल होने का पत्र विधान परिषद को दिया था.
इसके आलोक में विधानपरिषद के कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह ने पांचों को जदयू सदस्य के रूप में मान्यता दे दी थी, राजद छोडने वाले पांच सदस्यों में तीन स्थानीय प्राधिकार कोटे से चुनकर आए थे तो दो का निर्वाचन विधान सभा कोटे से हुआ था.
संजय प्रसाद साल 2015 में मुंगेर, जमुई, लखीसराय व शेखपुरा स्थानीय प्राधिकार से चुनकर विप पहुंचे थे. जबकि राधाचरण साह 2015 में ही भोजपुर व बक्सर तो दिलीप राय 2015 में ही सीतामढी व शिवहर स्थानीय प्राधिकार से चुनकर विप पहुंचे थे.
RJD में मची भगदड़ पर पार्टी का जवाब
राजद में मची भगदड का बचाव करते हुए पार्टी प्रवक्ता मृत्युजंय तिवारी ने कहा जो लोग पार्टी छोडकर जा रहे हैं, उनसे हमें कोई परेशानी नहीं होने वाली है.
उन्होंने कहा कि यह सारे नेता पार्टी से रिटायर हो चुके हैं, भाजपा ऐसे रिटायर लोगों को अपना सदस्य बना रही है. मृत्युजंय तिवारी के अनुसार राजद विधायक में किसी प्रकार की टूट नहीं हैं.
उन्होंने साथ ही पूछा कि नीतीश सरकार यह बताए कि उनके मंत्रीमंडल का विस्तार कब होगा. बता दें कि पिछले एक सप्ताह में भाजपा में कई बडे नेताओं ने सदस्यता ली है, वहीं जदयू ने बसपा के एक मात्र विधायक को अपनी पार्टी में शामिल करा लिया था