बिहार: मुकेश सहनी ने दिया बीजेपी को झटका, नहीं बनेंगे विधान परिषद उम्मीदवार, रख दी ये शर्त
By एस पी सिन्हा | Published: January 17, 2021 03:40 PM2021-01-17T15:40:27+5:302021-01-17T15:49:32+5:30
वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी ने साफ कर दिया है कि छोटे समय के लिए उन्हें बिहार विधान परिषद की सीट नहीं चाहिए. वह 6 साल के कार्यकाल वाली सीट पर मनोनीत होना चाहते हैं.
पटना: बिहार विधान परिषद की 2 सीटों के लिए 28 जनवरी को उपचुनाव होगा. भाजपा ने राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन को जहां उम्मीदवार बनाया है. वहीं दूसरी सीट पर भाजपा वीआईपी सुप्रीमो व राज्य में मंत्री मुकेश सहनी को भेजना चाहती है.
भाजपा की तरफ से पूर्व समझौते के तहत उन्हें सीट देने का ऑफर भी दिया था. मुकेश सहनी ने लेकिन भाजपा को साफ बता दिया है कि वह शॉर्ट टर्म के लिए विधान परिषद में जाने को इच्छुक नहीं हैं. सीधे भाषा में कहा जाए तो मुकेश सहनी ने दोनों सीटों पर उम्मीदवार बनने से इनकार कर दिया है.
वीआईपी ने बीजेपी से मिले ऑफर को ठुकराया
वीआईपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बयान जारी कर कहा है कि बिहार विधान परिषद के लिए भाजपा से मिले ऑफर को वीआईपी पार्टी ने ठुकरा दिया है. वीआईपी पार्टी ने साफ तौर पर कहा है कि उसे 4 साल के कार्यकाल वाली बिहार विधान परिषद की सीट नहीं चाहिए बल्कि वह 6 साल के कार्यकाल वाली सीट पर मनोनीत होना चाहते हैं.
बता दें कि विधान परिषद के 2 सीट खाली हुए हैं. विनोद नारायण झा जहां विधायक बने हैं. वहीं सुशील मोदी राज्यसभा भेजे गए हैं. विनोद नारायण झा का कार्यकाल 2022 में खत्म होने वाला था, और सुशील मोदी का कार्यकाल 2024 तक था.
यहां यह भी बता दें कि विधानसभा चुनाव में मुकेश सहनी हार गए थे. बताया जा रहा है शाहनवाज हुसैन को सुशील कुमार मोदी की खाली हुई सीट पर उम्मीदवार बनाया जा रहा है. जिसमें अभी 41 महीने का कार्यकाल बचा हुआ है.
वहीं दूसरी सीट पर विनोद नारायण झा की खाली हुई सीट पर सिर्फ डेढ साल का समय बचा हुआ है. मुकेश सहनी को इसी सीट पर उम्मीदवार बनाए जाने का प्रस्ताव था. लेकिन मुकेश सहनी ने साफ कर दिया है कि वह पूरे 72 माह के लिए से विधान परिषद जाना पसंद करेंगे, इसलिए दोनों सीटों में किसी पर वह उम्मीदवार नहीं बनेंगे.
मुकेश सहनी को 6 महीने के अंदर बनना होगा सदन का सदस्य
यहां उल्लेखनीय है कि पूर्व के समझौते के तहत मुकेश सहनी को नीतीश मंत्रिमंडल में जगह दी गई है. ऐसे में नियमत: मुकेश सहनी को 6 महीने के अंदर किसी भी सदन का सदस्य बनना पडेगा. बिहार विधान परिषद के उपचुनाव के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 18 जनवरी है.
अब जबकि मुकेश सहनी ने कम समय के लिए सदन में जाने से मना कर दिया है, ऐसे में अब उनके लिए अब राज्यपाल कोटे से मनोनयन की संभावना जताई जा रही है.
हालांकि एक दूसरा विकल्प यह भी है कि मुकेश सहनी भाजपा के साथ यह समझौता कर सकते हैं कि डेढ़ साल बाद जब दोबारा विधान परिषद का चुनाव होगा, तो उस सीट पर उन्हें ही उम्मीदवार बनाया जाएगा.
इससे उनके मंत्री पद पर कोई खतरा भी नहीं होगा और 72 की जगह 90 महीने के लिए वह विधान परिषद के सदस्य बने रह सकते हैं. लेकिन उन्होंने भाजपा के प्रस्ताव के अस्वीकार कर दिया है तो राज्यपाल कोटे के सिवाय कोई और विकल्प नही बच रहा है.