पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सभी दल एकजुट हो गए हैं। एनडीए में जीतन राम मांझी की वापसी हो गई है। हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा प्रमुख जीतन राम मांझी ने कहा कि हमने जनता दल (यूनाइटेड) के साथ गठबंधन किया है और NDA का हिस्सा बन गए हैं। अगले बिहार विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है।
जीतन राम मांझी ने कहा कि लालू प्रसाद जी के गलत चक्कर में हम पड़ गए कि आओ भाई जो NDA काम कर के नहीं दे रही है वो हम करके देंगे लेकिन वहां हमें यही लगा कि वहां तो भाई-भतीजावाद है, करप्शन है, हर तरह से अपने बारे में विशेष सोच है न कि राज्य के लिए।
जहां से सम्मान मिला है उस सम्मान को मद्देनजर रखते हुए हमने निर्णय लिया कि अगर हमें कहीं जाना ही है तो हम नीतीश कुमार जी के साथ रहेंगे। पार्टी में विलय नहीं कर के एक अलग पार्टनर के रूप में उनके साथ बिना शर्त के रहने का फैसला किया है।
जिस गठबंधन के साथ हम लोग फैसला ले रहे हैं नीतीश कुमार के साथ और NDA के साथ, उसे जिताने के लिए हमारे कार्यकर्ता समस्त बिहार में लगेंगे और राज्यहित में बिहार में NDA की सरकार बने इसके लिए हम लोग एड़ी चोटी का पसीना एक कर देंगे।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाला हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) तीन सितंबर को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल होगा। हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने बुधवार को बताया कि उनकी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मांझी तीन सितंबर को मोर्चा के राजग का हिस्सा होने की घोषणा करेंगे।
हमारे लिए सीट को लेकर समझौता कभी एजेंडा नहीं रहा था
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे लिए सीट को लेकर समझौता कभी एजेंडा नहीं रहा था। हम विकास को लेकर राजग के साथ जा रहे हैं। हमारी पार्टी का कोई विलय नहीं हो रहा है। हम राजग गठबंधन में शामिल होंगे और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विकास की धारा को आगे बढाने का काम करेंगे।’’
राजग में वापसी की अटकलों के बीच 27 अगस्त को मांझी ने मुख्यमंत्री कुमार से यहां एक अणे मार्ग स्थित उनके सरकारी आवास पर मुलाकात की थी। मांझी ने कुमार से मुलाकात के दौरान किसी भी तरह की राजनीतिक वार्ता होने से इनकार करते हुए कहा था कि यह मुलाकात स्थानीय मुद्दों और समस्याओं पर केंद्रित थी। गत 20 अगस्त को मांझी के नेतृत्व वाले मोर्चा ने प्रदेश के विपक्षी महागठबंधन में समन्वय समिति नहीं बनाए जाने पर उससे नाता तोड़ लिया था। बिहार विधानसभा में मांझी अपनी पार्टी के एकमात्र विधायक हैं।
कुशवाहा की पार्टी रालोसपा और मुकेश सहनी का दल वीआईपी बचे हैं
मोर्चा के महागठबंधन से निकल जाने के बाद अब इस गठबंधन में चार दल राजद, कांग्रेस, पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा और मुकेश सहनी का दल वीआईपी बचे हैं। बिहार में सत्तारूढ़ राजग में पहले से ही एक दलित नेता केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा शामिल है, ऐसे में मांझी के लिए प्रस्तावित बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर अधिक सीटों के लिए दबाव बनाना आसान नहीं होगा।
मांझी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वह किसी भी अन्य राजनीतिक दल में अपनी पार्टी का विलय नहीं करने जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि मांझी ने जदयू से नाता तोड़कर अपनी नई पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा बना ली थी और राजग के घटक के तौर पर 2015 बिहार विधानसभा चुनाव में 21 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन जुलाई 2017 में नीतीश कुमार की राजग में वापसी होने पर वह विपक्षी महागठबंधन में शामिल हो गए थे।