संसद के शीतकालीन सत्र से पहले उपेंद्र कुशवाहा मंत्री पद से दे सकते हैं इस्तीफा, जानिए क्या वजह 

By एस पी सिन्हा | Published: December 2, 2018 01:11 AM2018-12-02T01:11:01+5:302018-12-02T01:11:25+5:30

मोतिहारी पहुंचे केंद्रीय मंत्री व रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने प्रधानमंत्री और अमित शाह पर एक साथ बडा हमला बोला है।

Before the winter session of Parliament, Upendra Kushwaha resigns | संसद के शीतकालीन सत्र से पहले उपेंद्र कुशवाहा मंत्री पद से दे सकते हैं इस्तीफा, जानिए क्या वजह 

संसद के शीतकालीन सत्र से पहले उपेंद्र कुशवाहा मंत्री पद से दे सकते हैं इस्तीफा, जानिए क्या वजह 

बिहार एनडीए में आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर सीट शेयरिंग को लेकर मचे घमासान के बीच संसद के शीतकालीन सत्र से पहले केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा क्या मंत्री पद से इस्तीफा दे सकते हैं? इस बात की अटकलों का दौर शुरू हो चुका है। वैसे, सूत्रों के अनुसार मंत्री पद पर इस्तीफा देने से पहले कुशवाहा 6 दिसंबर को मोतिहारी में एनडीए छोडने का ऐलान कर सकते हैं! संसद का शीतकालीन सत्र 11 दिसंबर से शुरू हो रहा है।

वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से निर्धारित अवधि में मुलाकात नहीं होने पर उपेंद्र कुशवाहा ने आज अपना बागी तेवर दिखाया है। मोतिहारी पहुंचे केंद्रीय मंत्री व रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने प्रधानमंत्री और अमित शाह पर एक साथ बडा हमला बोला है। आज मोतिहारी पहुंचे कुशवाहा से जब पत्रकारों ने पूछा कि प्रधानमंत्री और अमित शाह से मिलने का समय क्यों नहीं मिला? इस पर कुशवाहा ने कहा- "समय क्यों नहीं मिला इसका जवाब वही दे पायेंगे"। लेकिन दिनकर के शब्दों में हम इस बात को कह सकते हैं कि "जब नाश मनुष्य पर छाता है पहले विवेक मर जाता है"।

कुशवाहा ने आगे कहा कि बाकी चीजें क्या और क्यों आप उनसे पूछ लिजिए। कुशवाहा से जब आगे कि रणनीति के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि रणनीति के बारे में मैंने पहले ही बता दिया है। उन्होंने कहा कि एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर उनकी भाजपा से अभी तक अंतिम बात नहीं हो पाई है। पार्टी बाल्मिकी नगर सम्मेलन में इस मुद्दे पर अंतिम फैसला लेगी। उल्लेखनीय है कि रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने की अवधि शुक्रवार को समाप्त हो गई। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह द्वारा उनको समय नहीं दिये जाने के बाद उन्होंने ट्वीट कर प्रधानमंत्री से 27-30 नवंबर के बीच मिलने का समय मांगा था। प्रधानमंत्री विदेश में हैं। ऐसे में उनके मिलने की उम्मीदें क्षीण पड गई। 

तेजी से बदल रहे हैं बिहार में राजनीतिक घटनाचक्र

इस तरह उपेन्द्र कुशवाहा के एनडीए छोड़ने के कयासों के बीच बिहार में राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदल रहे हैं। इसबीच, रालोसपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रीभगवान सिंह कुशवाहा के एक बयान से इसमें नया ट्विस्ट आता दिख रहा है। उन्होंने कहा कि कुशवाहा को एनडीए ने बहुत अधिक इज्जत दिया है और उन्हें एनडीए में ही रहना चाहिए। जाहिर है श्रीभगवान सिंह के इस बयान से उपेन्द्र कुशवाहा एनडीए छोडने के मुद्दे पर अपनी ही पार्टी में अकेले पडते नजर आ रहे हैं।

श्रीभगवान सिंह कुशवाहा ने कहा कि रामविलास पासवान की पार्टी एलजेपी के छह सांसद होने के बावजूद एक ही मंत्री बनाया। जबकि रालोसपा के तीन ही सांसद थे, तब भी एक मंत्री पद दिया गया। उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि कुशवाहा जी को यूपीए में एनडीए जितनी इज्जत नहीं मिलेगी। उन्होंने कहा कि हम दिल की गहराई से आग्रह करते हैं कि रालोसपा एनडीए मे ही बना रहे। 


इसके साथ ही पार्टी के दोनों विधायक, सुधांशु शेखर और ललन पासवान ने भी एनडीए में ही बने रहने के संकेत दिए थे। वे 27 नवंबर को भाजपा विधानमंडल दल की बैठक में शामिल भी हुए थे। इससे पहले 10 नवंबर को इन्ही दोनों विधायकों ने जदयू में जाने का संकेत दिया था। बहरहाल, यह तो साफ है कि कुशवाहा की पार्टी के सभी विधायक और सांसद एनडीए में ही बने रहना चाहते हैं। ऐसे में यह कहा जाने लगा है कि अगर उपेन्द्र कुशवाहा एनडीए छोडने का फैसला लेते हैं तो उनकी पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी नहीं, बल्कि ‘अकेले’ वही महागठबंधन में शामिल होंगे!

जदयू ने साधा निशाना

उपेन्द्र कुशवाहा के एनडीए में उपेक्षा वाले बयान पर जदयू ने निशाना साधा है। पार्टी के विधान पार्षद व प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि राजनीति में ‘इफ और बट’ नहीं होता, यहां सीधी बात होती है। उन्होंने कहा कि रालोसपा फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन उनके जाने का बिहार एनडीए पर कोई असर नहीं पडेगा। उन्होंने कहा कि बिहार में सरकार अच्छे से चल रही है। उन्होंने कुशवाहा पर जाति की आरोप लगाते हुए कहा कि जदयू जाति की नहीं जमात की राजनीति करती है। इस बीच पार्टी के प्रवक्ता अजय आलोक ने कहा कुशवाहा पर तल्ख टिप्पणी की है। उन्होंने कहा हमें किसी पार्टी को तोडने से कोई मतलब नहीं हम एनडीए में बने हुए हैं। जो एनडीए में है वो लक्ष्मी, और जो गए तो बला! 

इस बीच, जदयू की तल्ख टिप्पणी के बीच भाजपा ने कुशवाहा के एनडीए में बने रहने की उम्मीद जताई है। पार्टी नेता मिथिलेश तिवारी ने कहा है कि वह एक सुलझे हुए राजनेता हैं और जल्दबाजी में ऐसा कोई भी फैसला नहीं लेंगे जिससे एनडीए पर असर पडे। उन्होंने कहा कि जिस तरह से वो तारीख बदल रहे हैं। उनके कुछ मायने जरूर हैं, लेकिन हमें उम्मीद है कि वो एनडीए छोडकर लालू यादव से हाथ नहीं मिलाएंगे। उन्होंने कहा कि बिहार में लालू यादव से हाथ मिलाने का मतलब है भ्रष्टाचार और अपराध से हाथ मिलाना।

Web Title: Before the winter session of Parliament, Upendra Kushwaha resigns

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