हिंदू पत्तियों द्वारा छोड़ी विवाहिता के लिए कानून लाए पीएम मोदी, जानें तीन तलाक पर विपक्ष के नेताओं ने क्या-क्या कहा?

By भाषा | Published: September 20, 2018 12:27 AM2018-09-20T00:27:21+5:302018-09-20T00:27:21+5:30

तीन तलाक को दंडनीय अपराध बनाने के लिए अध्यादेश का रास्ता अपनाने के बाद विपक्षी पार्टियों और महिला कार्यकर्ताओं ने पूछा कि अपनी पत्नियों को छोड़ने वाले हिन्दू पुरुषों के लिए ऐसे ही प्रावधान क्यों नहीं बनाए गए हैं?

asaduddin owaisi and opposition party hits on PM narendra modi triple talaq ordinance | हिंदू पत्तियों द्वारा छोड़ी विवाहिता के लिए कानून लाए पीएम मोदी, जानें तीन तलाक पर विपक्ष के नेताओं ने क्या-क्या कहा?

हिंदू पत्तियों द्वारा छोड़ी विवाहिता के लिए कानून लाए पीएम मोदी, जानें तीन तलाक पर विपक्ष के नेताओं ने क्या-क्या कहा?

नई दिल्ली, 20 सितंबर: केंद्र सरकार के एक साथ तीन तलाक को दंडनीय अपराध बनाने के लिए अध्यादेश का रास्ता अपनाने के बाद विपक्षी पार्टियों और महिला कार्यकर्ताओं ने बुधवार को पूछा कि अपनी पत्नियों को छोड़ने वाले हिन्दू पुरुषों के लिए ऐसे ही प्रावधान क्यों नहीं बनाए गए हैं? इन लोगों ने ‘मानवीय मुद्दे’ को ‘फुटबॉल’ बनाने का आरोप लगाया।

कुछ ने कहा कि अध्यादेश उन दिक्कतों को नजरअंदाज करता है जो मुस्लिम महिलाओं के सामने पेश आ सकती हैं और व्यापक कानून बनाने की जरूरत बताया, जबकि कांग्रेस ने कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रथा को अवैध करार देने के बाद ऐसा करने की क्या जरूरत थी और पति को जेल भेजने से उद्देश्य की पूर्ति नहीं होगी।

एक साथ तीन तलाक मामले में याचिकाकर्ता इशरत जहां ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह देश में मुस्लिम महिलाओं को सशक्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम पुरुषों और मजहबी नेताओं को अपना रास्ता दुरूस्त करना चाहिए या अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए।

वह तीन तलाक या तलाक-ए-बिद्दत के खिलाफ याचिका दायर करने वाली पांच याचिकाकर्ताओं में से एक हैं। तीन तलाक की प्रथा को उच्चतम न्यायालय ने बीते साल 22 अगस्त को अवैध ठहरा दिया था। जहां को 2014 में उनके शौहर ने दुबई से फोन पर एक साथ तीन तलाक कहकर उन्हें तलाक दे दिया था। उनकी 13 साल की एक बेटी और सात साल का एक बेटा है।

अदालत के फैसले के बाद भी एक साथ तीन तलाक देने के मामले रिपोर्ट होते रहे तो सरकार ने इसपर कानून बनाने का फैसला किया, लेकिन इससे संबंधित विधेयक को वह संसद में पारित नहीं करा सकी। इसलिए सरकार ने अध्यादेश का रास्ता चुना।

कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि केंद्रीय कैबिनेट ने एक साथ तीन तलाक को दंडनीय अपराध बनाने के अध्यादेश को मंजूरी दे दी। प्रसाद ने प्रथा के ज्यों का त्यों चलने के कारण अध्यादेश लाने की जरूरत बताया। अध्यादेश के तहत एक साथ तीन तलाक देना अवैध है और ऐसा करने पर पति को तीन साल की जेल हो सकती है।

यह मुद्दा राजनीतिक तौर पर ज्वंलत रहा और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने इस मामले पर विपक्षी पार्टियों पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा, ‘‘ यह अध्यादेश उन के लिए अपराध और आत्मनिरीक्षण का मामला है क्योंकि उन्होंने वोट बैंक की राजनीति की वजह से दशकों तक इस खराब प्रथा का दंश झेलने के लिए मुस्लिम महिलाओं को मजबूर किया।’’ 

कानून मंत्री ने कैबिनेट प्रेस वार्ता में कांग्रेस पर भी हमला किया और कहा कि मुख्य विपक्षी पार्टी ‘वोट बैंक के दबाव’ में राज्यसभा में लंबित विधेयक का समर्थन नहीं कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘ मेरा गंभीर आरोप है कि सोनिया गांधी जी ने इस मुद्दे पर खामोशी अख्तियार की हुई है।।’’ 

प्रसाद ने कहा कि बसपा प्रमुख मायावती और तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी को ‘लैंगिक न्याय, लैंगिक समानता और लैंगिग गरिमा’ की खातिर संसद के अगले सत्र में विधेयक का समर्थन करना चाहिए। सरकार के फैसले की प्रशंसा करते हुए भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल पर तंज कसते हुए कहा कि उन्होंने उच्चतम न्यायालय में इस प्रथा का बचाव किया था।

कांग्रेस प्रमुख प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सरकार ने उनकी पार्टी के अनुरोध को नहीं माना जो तलाक के बाद प्रभावित महिला और बच्चों को मुआवजा नहीं देने वालों की संपत्ति जब्त करने का प्रावधान शामिल करने को लेकर था। उन्होंने कहा कि एक साथ तीन तलाक हमारे लिए हमेशा महिला अधिकारों से संबंधित और उन्हें दिलाने वाला एक मानवीय मुद्दा रहा है।

सुरजेवाला ने कहा कि सलमान खुर्शीद और मनीष तिवारी जैसे कांग्रेस नेताओं और वकीलों ने उच्चतम न्यायालय में प्रभावित महिलाओं का प्रतिनिधित्व किया है। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘ मोदी सरकार मुद्दे को मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के मामले के बजाय राजनीतिक फुटबॉल की तरह व्यवहार कर रही है।’’ 

उधर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीम (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि अध्यादेश ‘मुस्लिम महिला विरोधी’ है और उनके साथ और नाइंसाफी करेगा। उन्होंने मांग की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ऐसी हिन्दू महिलाओं के सरंक्षण के लिए कानून लाना चाहिए जिन्हें उनके पतियों ने छोड़ दिया है।

ओवैसी ने कहा कि इस्लाम में शादी एक करार है और दंडनीय प्रावधना करना ‘गलत और गैरजरूरी’ है। उन्होंने उम्मीद जताई कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इसे अदालत में चुनौती देगा। उन्होंने कहा, ‘‘ प्रधानमंत्री मोदी, इस देश को उन गरीब महिलाओं के लिए एक कानून की जरूरत है जो 2011 की जनगणना के मुताबिक 24 लाख हैं। वे शादीशुदा हैं और उनके पति चुनावी हलफनामे में कहते हैं कि वे शादीशुदा हैं लेकिन उनकी पत्नियां उनके साथ नहीं रहती हैं।’’ 

ओवैसी ने दावा किया कि अध्यादेश तेल की बढ़ती कीमतों और गिरते रुपये जैसे मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए लाया गया है। कार्यकर्ता और ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव वूमन्स एसोसिएशन की सचिव कविता कृष्णन ने पूछा, ‘‘ अपनी पत्नियों को छोड़ने के लिए सिर्फ मुस्लिम पुरुषों को ही सजा क्यों मिले, हिन्दू पुरुषों को क्यों नहीं मिले?’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘ एक साथ तीन तलाक औपचारिक तलाक नहीं है, यह अलग होने एक तरीका है। क्या हिन्दू पुरुष को अपनी पत्नी से अलग होने पर जेल जाना पड़ता है?’’  नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वूमन्स की महासचिव एन्नी राजा ने कहा, ‘‘ एक व्यापक कानून को लाने की जरूरत है...लेकिन सरकार ने आगामी चुनाव में राजनीतिक फायदे के लिए यह कदम उठाया है।’’ 

Web Title: asaduddin owaisi and opposition party hits on PM narendra modi triple talaq ordinance

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