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अरुण जेटली ने नोटबंदी पर लिखा ब्लॉग, कहा- इनकम टैक्स देने वालों की बढ़ी संख्या, यही था मकसद

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: August 30, 2018 19:42 IST

अरुण जेटली ने कहा कि नोटबंदी से पहले के दो सालों के दौरान आयकर संग्रह की वृद्धि 6.6 प्रतिशत और नौ प्रतिशत रही जबकि नोटबंदी के बाद के दो सालों में यह वृद्धि 15 प्रतिशत और 18 प्रतिशत रही।

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नयी दिल्ली, 30 अगस्त: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि नोटबंदी से देश में सरकार की निगाह में चलने वाली अर्थव्यवस्था का विस्तार हुआ है, कर संग्रह बढ़ा है और आर्थिक वृद्धि तेज हुई है। 

जेटली का यह वक्तव्य रिजर्व बैंक की 2017-18 की वार्षिक रिपोर्ट जारी होने के एक दिन बाद आया है। रिजर्व बैंक की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि नोटबंदी के समय चलन से हटाये गये 500, 1,000 रुपये के 99.3 प्रतिशत नोट बैंक के पास वापस आ गए। 

वित्त मंत्री ने कहा कि रिजर्व बैंक दो बार इस संबंध में रिपोर्ट जारी कर चुका है। उसने कहा है कि बंद किये गये 500, 1000 रुपये के काफी हद तक नोट बैंकों में जमा कर दिए गए। 

जेटली ने कहा, ‘‘यह कहा जा रहा है कि बंद किये गये ज्यादातर नोट बैंकों में वापस पहुंच गये हैं इसलिये नोटबंदी का जो उद्देश्य था वह सफल नहीं हुआ है।’’ 

वित्त मंत्री ने ब्लॉग में लिखा है, ‘‘क्या बैंकों में जमा नहीं किये गये धन को अवैध ठहराना ही नोटबंदी का एकमात्र उद्देश्य था? बिल्कुल नहीं।’’ 

टैक्स देने की आदत

नोटबंदी के पीछे एक व्यापक सोच भारत को कर का अनुपालन न करने वाले समाज से कर-अनुपालन करने वाला समाज बनाने की तरफ ले जाना था। इस काम में अर्थव्यवस्था को औपचारिक रूप दिलाना गतिविधियों को औपचारिक बनाना और काले धन पर प्रहार करना जरूरी था।

उन्होंने कहा, ‘‘यही नोटबंदी का सकारात्मक असर है।इससे औपचारिक रूप से चालने वाली अर्थव्यवस्था का विस्तार हुआ, प्रणाली में धन का प्रवाह बढ़ा, कर संग्रह बढ़ा, व्यय बढ़ा और दो तिमाहियों के अंतराल के बाद वृद्धि दर बढ गयी।’’ 

जेटली ने आंकड़े बताते हुये कहा कि नोटबंदी से पहले के दो सालों के दौरान आयकर संग्रह की वृद्धि 6.6 प्रतिशत और नौ प्रतिशत रही जबकि नोटबंदी के बाद के दो सालों में यह वृद्धि 15 प्रतिशत और 18 प्रतिशत रही। ‘‘तीसरे साल में भी यही रूझान देखा जा रहा है।’’ 

उन्होंने कहा मार्च 2014 में आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या 3.8 करोड़ थी जो कि 2017- 18 में बढ़कर 6.86 करोड़ पर पहुंच गई। पिछले दो साल के दौरान जब नोटबंदी और अन्य कदमों का विश्लेषण किया गया तो पता चला कि आयकर रिटर्न में 19 प्रतिशत और 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई। 

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आठ नवंबर 2016 को उस समय चलन में रहे 500, 1000 रुपये के नोटों को बंद करने की घोषणा की थी। 

रिजर्व बैंक ने कहा है कि उस समय चलन में रहे 15.41 लाख करोड़ रुपये मूल्य के 500, 1000 रुपये के नोटों में से 15.31 लाख करोड़ रुपये मूल्य के नोट बैंकों में जमा किये जा चुके हैं। 

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