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अमेरिका की लताड़ के बाद चीन पर निर्भर पाकिस्तान, भारत के लिए क्या हैं इसके मायने?

By आदित्य द्विवेदी | Updated: January 2, 2018 13:42 IST

भारत वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान को लगातार बेनकाब करता रहा है। 

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नए साल के पहले ही संदेश में डोनाल्ड ट्रंप पाकिस्तान पर बरस पड़े। उन्होंने पाकिस्तान के फैलाए आतंक को आइना दिखाते हुए लिखा कि पाकिस्तान ने लंबे समय तक झूठ और छल किया है। अमेरिका के ट्रंप प्रशासन ने मंगलवार को पाकिस्तान को दी जाने वाली 1624 करोड़ की सैन्य सहायता पर रोक लगा दी। अमेरिका के इस फैसले को भारत की कूटनीतिक जीत माना जा रहा है।

भारत लगातार पाकिस्तान के असली चेहरे को बेनकाब करता रहा है। अमेरिका से आर्थिक सहायता बंद होने के बाद अब पाकिस्तान की चीन पर निर्भरता बढ़ गई है। पाकिस्तान में आगामी आम चुनाव को देखते हुए कई सवाल भी उठने लाजिमी हैं। क्या पाकिस्तान के आम चुनाव में चीन का दखल बढ़ जाएगा? पाकिस्तान के खिलाफ अमेरिका का स्टैंड भारत के लिए कितना मददगार साबित होगा?

18 सितंबर 2016 को हुए उड़ी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को वैश्विक मंचों पर अलग-थलग करने की रणनीति बनाई। मोदी सरकार ने इसकी शुरुआत पाकिस्तान में होने वाले सार्क सम्मेलन के बहिष्कार से की थी। भारत की देखा-देखी अफगानिस्तान, बांग्लादेश और भूटान ने भी उस सम्मेलन का बहिष्कार किया। इसके बाद यह सम्मेलन ही रद्द करना पड़ा। पाकिस्तान को अलग-थलग करने की दिशा में यह भारत की पहली कूटनीतिक सफलता थी। 

इसके बाद ब्रिक्स सम्मेलन में भी भारत ने आतंकवाद का मुद्दा उठाते हुए पाकिस्तान को निशाने पर लिया। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र समेत अलग-अलग मंचों पर भी भारत ने पाकिस्तान के दोहरे चरित्र की कड़े शब्दों में आलोचना की है।

डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट किया था, 'अमेरिका ने मूर्खतापूर्ण ढंग से बीते 15 सालों में पाकिस्तान को 33 अरब डॉलर की सहायता दी है। लेकिन बदले में हमें झूठ और छल के अलावा कुछ भी नहीं मिला। हमारे नेताओं को मूर्ख समझा गया। वे आतंकियों को शरण देते रहे और हम अफगानिस्तान में खाक छानते रहे। अब और नहीं।' साल 2018 की शुरुआत में अमेरिका का सख्त रवैया भारत के लिए भले ही राहत भरा हो लेकिन पाकिस्तान के लिए बड़ी चिंता का सबब है।

आर्थिक मदद बंद करने के अमेरिका के फैसले के बाद पाकिस्तान ने एनएससी की आपात बैठक बुलाई है। 'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' की खबर के मुताबिक इस बैठक में आगे की रणनीति का रुख तय किया जाएगा। बता दें कि पाकिस्तान को आर्थिक मदद देने वाला अमेरिका सबसे बड़ा देश है। अमेरिका से दुत्कारे जाने के बाद पाकिस्तान चीन पर अधिक निर्भर हो जाएगा। हाल के वर्षों में चीन ने पाकिस्तान में बड़ा निवेश किया है। जल्द ही पाकिस्तान के आम चुनाव होने हैं। ऐसे में पाकिस्तान पर चीन का दखल भारत के लिए भी चिंताजनक हो सकता है।

भारत का मानना है कि विदेशी सहायता का इस्तेमाल पाकिस्तान आतंकी संगठनों को पालने-पोसने में करता है जिनका समय-समय पर भारत के खिलाफ इस्तेमाल कर सके। अमेरिकी सहायता बंद होने से फंड के अभाव में आतंक की भी कमर टूट सकती है। इस लिहाज से भी यह फैसला भारत के पक्ष में जाता है।

My View: आतंक को संरक्षण देने का पाकिस्तान का रवैया किसी से छिपा नहीं है। डोनाल्ड ट्रंप के ट्वीट ने भी इस पर मुहर लगाई है। सच्चाई तो ये है कि अपने ही पैदा किए आतंक से पाकिस्तान खुद बुरी तरह प्रभावित है। ऐसे में पाकिस्तान को आतंक के खिलाफ एक मजबूत स्टैंड लेना चाहिए। वैश्विक स्तर पर थू-थू से बचने का यही एकमात्र तरीका है। 

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