लाइव न्यूज़ :

गीता उपदेश: श्रीकृष्ण की ये 10 बातें मान ली तो बदल जाएगी पूरी जिंदगी, इन तीन चीजों से रहें दूर, खोलती हैं नर्क का द्वार

By विनीत कुमार | Updated: March 13, 2020 12:45 IST

Open in App
1 / 11
भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान उस समय दिया था जब महाभारत की कौरव और पांडवों की लड़ाई शुरू होने वाली थी। इस युद्ध के शुरू होने से ठीक पहले अर्जुन अपने पितामह, गुरू और नाते-रिश्तेदारों को सामने देख मोह में फंस गये थे और लड़ाई से इनकार कर दिया था। इसके बाद श्रीकृष्ण ने उन्हें कर्म का महत्व समझाया। कृष्ण की ओर से अर्जुन को दिया यहीं उपदेश गीता उपदेश कहा गया। कहते हैं कि गीता जीवन का सार है। आईए जानते हैं गीता में कहे गये कुछ अहम उपदेशों के बारे में..
2 / 11
भगवान कृष्ण के अनुसार कर्म पर ही किसी भी इंसान का अधिकर है। कर्म के फल पर किसी का भी अधिकार नहीं है। इसलिए कर्म करो और फल की चिंता मत करो। तुम्हारी आसक्ति काम करने में ही होनी चाहिए।
3 / 11
इस दुनिया में जो व्यक्ति अपने मन को नियंत्रित नहीं कर सकता है। उसके लिए वही मन शत्रु का काम करता है। गीता में ये भी बताया गया है कि बुद्धिमान व्यक्ति को बिना किसी स्वार्थ के समाज के लिए योगदान करना चाहिए।
4 / 11
मन अशांत होता और उसे नियंत्रित करना कठिन है। इसके बावजूद अभ्यास से इसे वश में किया जा सकता है। इसे जो करने में कामयाब हो, वही उत्तम पुरूष होता है।
5 / 11
भगवान कृष्ण ने गीता में कहा है कि जो भी जीव जन्‍म लेता है उसकी मृत्‍यु भी निश्चित है। इसलिए जो चीज निश्चित है उसके लिए शोक या पछतावा भला किस बात का है।
6 / 11
वो इंसान जो अपने नजरिए का सही प्रकार से इस्तेमाल नहीं करता है वह अंधकार में धंसता चला जाता है। मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है। वो जैसा विश्वास करता है, वैसा ही वह बन जाता है।
7 / 11
भगवान कृष्ण ने गीता में बताया है कि वासना, क्रोध और लालच, ये तीनों ही चीजें नरक के द्वार हैं। अगर किसी व्यक्ति को सुखी रहना है तो उसे इन तीनों ही चीजों से दूर रहना चाहिए।
8 / 11
गीता के अनुसार भगवान कहते हैं ऐसा मनुष्य जो कभी बहुत हर्षित न होता हो, न द्वेष करता हो, न शोक करता हो और जो न कामना करता है और शुभ और अशुभ सभी कर्मों का त्यागी है। वही भक्ति युक्त मनुष्य मुझे अतिप्रिय है।
9 / 11
क्रोध से भ्रम पैदा होता है। भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है। बुद्धि जब व्यग्र होती हो तब तर्क नष्ट हो जाता है। तर्क जब नष्ट होता है तो व्यक्ति का पतन हो जाता है।
10 / 11
भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है कि आत्मा ही अजर-अमर और शाश्वत है। आत्मा को न कोई शस्त्र काट सकता है, न आग उसे जला सकती है और न ही पानी उसे भिगो सकता है।
11 / 11
गीता में कहा गया है कि जो व्‍यक्ति भगवान को याद करते हुए मृत्‍यु को प्राप्‍त होता है वह सीधा भगवान के धाम यानी बैकुंठ पहुंचता है।
टॅग्स :भगवत गीतामहाभारतभगवान कृष्ण
Open in App

संबंधित खबरें

पूजा पाठBhagwat Geeta: गीता की विचारधारा सदियों से मानवीय चिंतन को प्रभावित करती रही है?

पूजा पाठठाकुर जी की कृपा के बिना श्रीमद भागवत का श्रावण संभव नहीं: चारु लाडली

पूजा पाठमथुरा के बांके बिहारी मंदिर में बड़ा बदलाव, जगमोहन में प्रवेश और दर्शन पर रोक

पूजा पाठवृंदावन श्री बांके बिहारी मंदिरः घर बैठे ऑनलाइन दर्शन कीजिए?, 2026 में खुशखबरी, जानें कैसे करें रजिस्ट्रेशन

भारतकौन हैं चीनी विद्वान झांग बाओशेंग?, कहा- ‘ज्ञान का अमृत’ और ‘भारतीय सभ्यता का लघु इतिहास’ भगवद्गीता

पूजा पाठ अधिक खबरें

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 05 December 2025: आज 4 राशिवालों पर किस्मत मेहरबान, हर काम में मिलेगी कामयाबी

पूजा पाठPanchang 05 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठPanchang 04 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 04 December 2025: आज वित्तीय कार्यों में सफलता का दिन, पर ध्यान से लेने होंगे फैसले

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 03 December 2025: आज इन 3 राशि के जातकों को मिलेंगे शुभ समाचार, खुलेंगे भाग्य के द्वार