बाघ ने 3,000 किलोमीटर का सफ़र तय किया, साथी की तलाश में भटका, जानिए सबकुछ

By सतीश कुमार सिंह | Published: November 18, 2020 04:31 PM2020-11-18T16:31:14+5:302020-11-18T16:36:41+5:30

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बाघ का एक वीडियो सामने आया है। महाराष्ट्र में बाघों की संख्या सबसे अधिक है। अकेले ताडोबा में 70 से अधिक बाघ हैं। बाघों को देखने के लिए हर साल पर्यटक ताडोबा आते हैं।

बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु है। 29 जुलाई को विश्व बाघ दिवस के रूप में मनाया जाता है। बाघ सबसे बड़ा कैटरपिलर है और एक क्रूर शिकारी है। इसका वजन लगभग 100 से 180 किलोग्राम होता है।

बाघ 65 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकता है, बाघ के जबड़े उसके पंजे से ज्यादा मजबूत होते हैं। जिसकी मदद से बाघ शिकार को कसकर पकड़ सकता है और उसे दूर खींच सकता है। बाघिन एक बार में 3 से 4 बच्चों को जन्म देती है।

बाघ हाथी के अलावा किसी भी जानवर का शिकार कर सकता है, बाघ आमतौर पर अकेले शिकार करते हैं। बाघ कई किमी की यात्रा कर सकता है। वे अच्छी तरह से तैर सकते हैं, एक बाघ का जीवन लगभग 20 वर्ष है।

भारत के एक टाइगर ने अनजाने में एक खास रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है, वॉकर नाम के इस टाइगर ने महाराष्ट्र के सात जिलों और तेलांगना के कुछ हिस्सों से होते हुए 9 महीनों में 3000 किलोमीटर की यात्रा पूरी कर ली है और इससे पहले किसी टाइगर ने ऐसा कारनामा नहीं किया है।

वॉकर को पिछले साल फरवरी में एक रेडियो कॉलर लगाया गया था और ये टाइगर लगातार जंगलों की यात्रा करता रहा, जीपीएस सैटेलाइट के सहारे इसे हर घंटे ट्रैक किया जा रहा था और अपनी पूरी यात्रा के दौरान इस टाइगर ने 5000 नई लोकेशन्स पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराई।

नौ महीनों की यात्रा के बाद मार्च के महीने में महाराष्ट्र के अभायरण्य में ये टाइगर सेटल डाउन हो गया था, इस रेडियो कॉलर को इस साल अप्रैल में हटा लिया गया था, 205 स्क्वायर किलोमीटर के दायरे में फैले ज्ञानगंगा अभयारण्य में नीले बैल, जंगली सूअर, चीते, मोर और हिरण जैसे जानवर भी पाए जाते हैं।

पिछली सर्दियों में और इस साल गर्मियों के सीजन में भी वॉकर नदियों, हाइवे, खेत-खलिहानों में यात्रा करता रहा. महाराष्ट्र में सर्दियों के सीजन में कॉटन उगाया जाता है और इसके चलते वॉकर को खेतों में छिपने में मदद मिली, वो ज्यादातर रात के समय ही यात्रा करता था और इस दौरान उसने जंगली सूअरों जैसे जानवरों को खाकर अपना गुजारा किया।

प्रशासन इस बात पर भी विचार कर रहा है कि क्या एक मादा बाघ को अभयारण्य में लाना उचित होगा। महाराष्ट्र के वरिष्ठ वन अधिकारी नितिन काकोडकर ने बीबीसी को बताया कि बाघ शिकार या साथी की तलाश में यहां आकर बस गए होंगे।

उन्होंने आगे कहा कि एक मादा बाघ को यहां लाने का फैसला आसान नहीं होगा क्योंकि यह एक बड़ा अभयारण्य नहीं है। इसके चारों ओर खेत हैं और अगर वाकर बच्चे को जन्म देते हैं तो वे एक जगह से दूसरी जगह जाने की कोशिश करेंगे।