छठ महापर्व की आस्थाः श्रद्धालु सूप पर फल, ठेकुए, सजाकर पहुंचे, डूबते सूर्य को अर्घ्य, देखें तस्वीरें

By सतीश कुमार सिंह | Published: November 20, 2020 05:46 PM2020-11-20T17:46:25+5:302020-11-20T18:07:18+5:30

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छठ पूजा के अवसर पर आज बड़ी संख्या में लोग पूजा के लिए पटना कॉलेज घाट पर एकत्र हुए। लोगों ने आज छठ पर्व के अवसर पर गुवाहाटी में ब्रह्मपुत्र नदी के तट पर पूजा-अर्चना की। 

वाराणसी के अस्सी घाट पर लोग छठ पर्व के मौके पर पूजा के लिए पहुंचे। छठ महापर्व की आस्था बिहार के घाटों पर बिखर गई है। हर तरफ श्रद्धालु हैं, पर्व मनाया जा रहा है।

पटना के गंगा घाटों पर श्रद्धालु सूप पर फल, ठेकुए, कसार सजाकर पहुंच गए हैं। इन्हें छठी मइया को अर्पित किया जा रहा है। श्रद्धालुओं ने डूबते सूर्य को अर्घ्य देना शुरू कर दिया है।

पटना के घाटों पर भीड़ उमड़ी। लोग मास्क पहने नजर तो आए पर सोशल डिस्टेंसिंग नहीं दिखीं। घाटों पर ही चाट और गोलगप्पे की दुकानें सजीं। सेल्फी का दौर भी लगातार चला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को छठ पूजा के अवसर पर लोगों को बधाई दी और सभी के लिए सुख और समृद्धि की कामना की। प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘सूर्य की आराधना के महापर्व छठ की सभी देशवासियों को मंगलकामनाएं। छठी मइया सभी के जीवन में सुख-समृद्धि का संचार करें।’’ चार दिवसीय छठ पर्व की शुरुआत बुधवार को हुयी थी। छठ पूजा विशेष रूप से बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनायी जाती है।

शहर के पार्कों में बने तालाबों में भी लोगों ने छठ का पर्व मनाया। ज्यादातर जगहों पर घरों और अपार्टमेंट्स की छत पर भी पर्व मनाया गया। मनाही के बावजूद लोगों ने आतिशबाजी की।

पटना में प्रशासन ने लोगों से अपील की थी कि वो घर पर ही छठ मनाए। पर हर किसी के घर में इतनी जगह नहीं होती कि वो छठ मना सकें। ऐसे में लोग घाटों पर भी गए।

केन्द्रीय संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी और विधि एवं न्याय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने “छठ पूजा" के अवसर पर बृहस्पतिवार को वीडियो कांफ्रेंस के जरिए “माई स्टाम्प" का विमोचन किया।  इसके लिए कोई व्यक्ति अपने नजदीकी डाकघर से संपर्क कर सकता है और महज 300 रुपए शुल्क पर अपने सपने को साकार कर सकता है। उन्होंने कहा कि छठ पर्व के अवसर पर बिहार डाक परिमंडल द्वारा निकाले गये एक विशेष आवरण जिसका विमोचन बांकीपुर एवं दीघा के विधायक नीतिन नवीन एवं संजीव कुमार चौरसिया ने किया। 

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बृहस्पतिवार को लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा की शुभकामनाएं देते हुए सभी से कोविड-19 महामारी संबंधी दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखते हुए पूजा-अर्चना करने को कहा। उन्होंने कहा कि छठ पूजा पर परंपरा है कि लोग नदियों, तालाबों और अन्य जल स्रोतों के पास जाकर भगवान सूर्य की पूजा करते हैं और प्रकृति की उपासना करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘छठ पूजा के पावन अवसर पर हम प्रकृति और पर्यावरण को बचाने का शपथ लें और कोविड-19 महामारी को ध्यान में रखते हुए इसे मनाएं। छठी मइया सभी लोगों को स्वास्थ्य और समृद्धि का आशीर्वाद दें।’’ अपने संदेश में राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘छठ पूजा के पावन अवसर पर मैं देशवासियों और विदेश में बसे भारतीयों को बहुत बहुत शुभकामनाएं देता हूं।’’

सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा और पार्टी के कई अन्य वरिष्ठ नेताअें ने छठ पूजा के मौके पर शुक्रवार को लोगों को बधाई दी और कहा कि अस्त होते और उदीयमान सूर्य की अराधना का यह पर्व भारत की आस्था एवं गौरवशाली परंपरा की एक मिसाल है। सोनिया ने एक बयान में कहा, ‘‘ सूर्य की उपासना दुनिया की अनेक प्राचीन संस्कृतियों में भिन्न भिन्न रूपों में रही है तथा भारत में सूर्यदेव की पूजा की परंपरा आदि काल से चली आ रही है। बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश तथा झारखंड सहित देश के अनेक स्थानों पर छठ पूजा का आयोजन बड़े पैमाने पर होने से हमें जीवन मे स्वच्छता, भाईचारे तथा मर्यादा का पालन करने का संदेश भी मिलता है।’’

सूर्य उपासना के इस पावन पर्व पर नहाय—खाय के अगले दिन यानि बृहस्पतिवार व्रतियों द्वारा निर्जला उपवास रखकर खरना किया जाएगा। खरना में दूध, अरवा चावल व गुड़ से बनी खीर एवं रोटी का भोग लगाया जाता है । खरना के बाद व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपावास शुरू हो जाएगा जो कि 20 नवंबर की शाम अस्ताचलगामी सूर्य और 21 नवंबर को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पारण के साथ पूरा होगा।

दिल्ली में कोविड-19 के बढ़ते मामलों की वजह से प्राधिकारियों द्वारा नदियों और अन्य जलाशायों के किनारे छठ पूजा करने की अनुमति नहीं दिए जाने के बाद यहां पूर्वांचलियों- पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों- के संगठन ने श्रद्धालुओं के लिए ऑनलाइन छठ पूजा की मेजबानी करने की योजना बनाई है। चार दिवसीय आस्था के महापर्व छठ की शुरुआत बुधवार को हुई। इस बार कोविड-19 की वजह से भगवान सूर्य को समर्पित लोकगीत और भक्ति का माहौल घरों तक ही सीमित है अन्यथा हर साल घाटों पर भक्तों की भीड़ जमा होती थी।